जनवरी में हो सकती है किसानों को किल्लत
अब तक नहीं नहीं बढ़ाए कदम
हेमन्त पटेल, भोपाल।मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल (चंबल नदी) बंटवारे का विवाद और बढ़ सकता है। इससे जहां मप्र के ग्वालियर संभाग की लगभग 2 लाख 54 हजार भूमि सिंचित होने से प्रभावित होगी। वहीं राजस्थान के कोटा, बांरा और बूंदी जिलों में इसका प्रभाव देखने को अभी से मिलने लगा। राजस्थान के ही हाड़ौती क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई का संकट बढ़ गया है।
चंबल नदी पर बना गांधी सागर बांध लगभग 60 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। बांध से दोनों ही राज्यों के किसान पानी लेते हैं। मप्र का जल संशाधन विभाग अब राजस्थान के अधिकारियों से करीब 8 से 9 बिन्दुओं पर दो-टूक बात करना चाहता है। राजस्थान 102 करोड़ रुपए मप्र से लेना बता रहा है। वहीं मप्र पूछ रहा है कि जब 125 करोड़ रुपए नगर पक्की करने दे चुके हैं। इसके बाद वह किस हिसाब से रुपए मप्र पर होना जता रहा है, जबकि 30 प्रतिशत नहर पक्की भी हो चुकी है। इस हिसाब से तो जल का रिसाव कम होना चाहिए, बावजूद इसके 103 गुना रिसाव बढऩा बताया जा रहा है। इस जल से ग्वालियर संभाग के शिवपुर, मुरैना और भिंड जिलों में भूमियां चंबल नदी के पानी से सिंचित होता है।
-पानी खत्म होने की कगार पर
गांधी सागर के पानी को लेकर दोनों राज्यों में खींचतान इसलिए भी बढऩे के आसर क्योंकि अब तक अधिकारी वर्ग ने कोई पहल नहीं की है। उल्लेखनीय है चार दिन पहले ही मप्र ने गांधी सागर से चार हजार क्यूसेक से अधिक पानी की निकासी से इन्कार कर दिया था। वहीं राजस्थान सरकार के अनुसार मप्र के पानी बढ़ाने से इन्कार करने से दायीं और बायीं मुख्य नहरों से चलने वाला पानी अब खत्म होने की कगार पर है। मामला बढ़ता देख जल संशाधन मंत्री जयंत मलैया ने मुख्य सचिव आर. परशुराम को हस्तक्षेप कर हल निकालने को कहा था। मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार किसी प्रकार के कदम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि, जल संसाधन विभाग कोटा खंड के मुख्य अभियंता ने मप्र के अधिकारियों को पत्र लिख अतिरिक्त पानी देने की मांग की है।
चार दिन पहले तक
मध्य प्रदेश 15 दिसंबर तक गांधीसागर से 4000 क्यूसेक पानी दे रहा था, जबकि बायीं मुख्य नहर में 1300 क्यूसेक और दायीं मुख्य नहर में 5700 क्यूसेक पानी चल रहा है। दायीं मुख्य नहर के 5700 क्यूसेक पानी में से 2800 क्यूसेक पानी मध्य प्रदेश को मिल रहा है। बैराज की दायीं और बायीं मुख्य नहरों में अतिरिक्त पानी राणाप्रताप सागर से मिल रहा है। दूसरी ओर राणाप्रताप सागर का जलस्तर 1144.90 फीट पहुंच गया है। ऐसे में पानी की निकासी न होने पर पन बिजलीघर और पेयजल की व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
...तो बढ़ेगी परेशानी
एक बैठक के दौरान मप्र के प्रमुख जल संसाधन सचिव राधेश्याम जुलानिया का राजस्थान के कमांड एरिया डवलपमेंट (सीएडी) के प्रमुख सचिव संजय दीक्षित के साथ विवाद हो गया था। इसके बाद बातें सामने आई थीं कि जुलानिया ने दीक्षित को मप्र में न घुसने की धमकी दी थी। हालांकि जुलानिया ने इस खबर का घंडन किया था। खैर, विवाद न सुलझा तो दोनों राज्यों के किसानों को जनवरी के बाद खासी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। राजस्थान में जहां इस समय ज्वार-बाजरे की फसलें खेतों खड़ी हैं। मप्र के चंबल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में सरसों, गेहूं और चने की फसलों को एक माह बाद पानी की जरूरत होगी।
दुर्भाग्यपूर्ण है यह
पानी का मुद्दा बढ़ा है, दोनों राज्यों के किसान इससे प्रभावित हो रहे हैं। मप्र के मुख्यमंत्री को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। किसानों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है। किसान पुत्र कहलाने वाले सीएम को जल्द ही इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलानी चाहिए।
चौधरी राकेश सिंह, उप नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस मप्र विधानसभा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें