सोमवार, 24 दिसंबर 2012

पहले पुनर्वास करो फिर बांध में पानी भरो

पहले पुनर्वास करो फिर बांध में पानी भरो
-राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से महेश्वर बांध परियोजना खटाई में पड़ी
-परियोजनाकर्ता एस कुमार्स को लगा झटका
भोपाल। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने महेश्वर बांध में 154 मीटर तक पानी नहीं भरने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही ट्रिब्यूनल ने कहा है कि जब तक बांध प्रभावितों का पूर्णत: पुनर्वास नहीं किया जाता है तब तक बांध में पानी नहीं भरा जाए और न ही परियोजना पर काम शुरू किया जाए। ट्रिब्यूनल के आदेश से निजी परियोजनाकर्ता एस कुमार समूह को तगड़ा झटका लगा है। यह जानकारी नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल एवं अन्य प्रभावितों ने सोमवाद को राजधानी भोपाल में पत्रकारवार्ता में दी।
    निजी परियोजनाकर्ता एस कुमार की मांग पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने महेश्वर बांध में 154 मीटर तक पानी भरने के आदेश दिए थे। इस आदेश को बांध प्रभावितों ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। चालू साल में 7 एवं 8 अगस्त को जब बांध का स्तर 154 मीटर से ऊपर था तब करीब 400 से अधिक घरों में पानी भर गया था। इस घटना से प्रभावितों ने ग्रीन ट्रिब्यूनल को अवगत कराया था। मामले को गंभीरता से लेकर ट्रिब्यूनल ने 22 नवंबर को एक समिति गठित कर महेश्वर बांध क्षेत्र की विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की थी। समिति सदस्यों ने 5 एवं 6 दिसंबर को महेश्वर क्षेत्र का दौरा कर बांध प्रभावितों से पुनर्वास संबंधी जानकारी ली। इस दौरान समिति सदस्यों क्षतिग्रस्त घरों को भी देखा। अपने दौरे के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को सौंपी। रिपोर्ट में कहा है कि महेश्वर बांध में 154 मीटर तक पानी नहीं भरा जा सकता है। 7 अगस्त को बांध का जल स्तर 154 मीटर से अधिक था जिस कारण से कई गांवों में 400 से अधिक घर पानी में डूब गए थे। रिपोर्ट मेें कहा है कि डूब क्षेत्र में आ रहे 1228 पाइप लाइन एवं पंप हाउस का मुआवजा भी पीडि़तों को नहीं मिला है।
समिति में तीन सदस्य शामिल
केंद्रीय जांच समिति में तीन सदस्य केंद्रीय जल आयोग के एसके हालदार, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के डा अजय मेहरोत्रा एवं खरगोन कलेक्टर नवनीत मोहन कोठारी को शामिल किया गया था।
परियोजनाकर्ता ने नही दी पुनर्वास की राशि
महेश्वर बांध में 154 मीटर तक पानी भरने की अनुमति लेने से पहले परियोजनाकर्ता एस कुमार ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को बताया कि सभी प्रभावितों का पुनर्वास किया जा चुका है। जबकि जांच समिति ने पाया कि मात्र 15 फीसदी प्रभावितों का पुनर्वास किया गया है। जबकि निर्माण कार्य 90 फीसदी हो चुका है। समिति ने बताया कि निजी कंपनी द्वारा पुनर्वास के लिए मात्र 203 करोड़ रुपए दिए हैं, जबकि संपूर्ण पुनर्वास पर 740 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। बांध प्रभावितों की मांग है कि परियोजनाकर्ता पुनर्वास के लिए 1250 करोड़ रुपए राज्य सरकार के पास जमा कराए।
16 साल में 15 फीसदी का पुनर्वास
महेश्वर बांध से 61 गावों के करीब 60 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। पिछले 16 साल में अभी तक 15 फीसदी प्रभावितों का पुनर्वास हुआ है, जबकि परियोजना का 90 फीसदी निर्माण हो चुका है। प्रभावितों ने राज्य शासन पर पुनर्वास के मामले में केंद्रीय मंत्रालय को असत्य जानकारी देने का आरोप लगाया है। प्रभावितों का कहना है मप्र शासन के ऊर्जा सचिव मो. सुलेमान ने मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में बताया कि महेश्वर बांध प्रभावितों का 70 फीसदी पुनर्वास किया जा चुका है। अब राज्य सरकार ने पुनर्वास से अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। नियमानुसार किसी भी प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले प्रभावितों का पुनर्वास करना जरूरी होता है। जब तक सौ फीसदी प्रभावितों का पुनर्वास नहीं हो जाता तब तक बांध में पानी नहीं भरा जा सकता है।

भारत रत्न के हकदार हैं अटल: शिवराज
भोपाल। 
उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़े छाया चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- वाजपेयी भारत रत्न के हकदार हैं, उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। वास्तव में अटलजी ही राजनीति के प्रणेता हैं। उन्हीं के नेतृत्व में सुशासन चला। उन्होंने कहा मैं उन्हें आदर्श मानता हूं और उन्हीं के पद चिन्हों पर चल रहा हूं। 
कार्यक्रम के दौरान श्री चौहान ने कहा कि वाजपेयी जनता के दिल के हार, उद्भट विद्वान, जनता के दिलों पर राज करने वाले नेता हैं। प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने देश की अदभुत सेवा की और विश्व में भारत की अलग पहचान स्थापित की। एक वही हैं, जिन्होंने राष्ट्र को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाया। प्रदर्शनी में अटलजी के जीवन से जुड़ी १०० से भी अधिक तस्वीरों को लगाया गया है। तस्वीरों के जरिए उनके जीवन से जुड़े प्रमुख पहलुओं को भी शब्दों में उल्लेखित किया गया है। प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पद संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे। चौहान ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली जाकर वाजपेयी को उनके जन्म दिन पर शुभकामनाएं देंगे और उनका आशीर्वाद लेंगे। चौहान ने कहा मप्र सरकार उनके जन्म दिवस को सुशासन दिवस के रूप में मना रही है। सच्चे मायनों में अटल ने ही सुशासन करके दिखाया है। उल्लेखनीय है कि वाजपेयी 25 दिसंबर को 89 वर्ष के हो जाएंगे। 

-क्या प्रदर्शनी में 
सौ से अधिक चित्रों के जरिए अटल के बचपन से लेकर अब तक के पहलुओं को प्रतिबिंबित किया है। चित्र दीर्घा की शुरुआत में बचपन से जुड़ी यादों को सहेजा गया है। इसके बाद जनसंघ में उनका स्थान और फिर जनता पार्टी से अलग हो भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में उनकी भूमिका का उल्लेख किया है। इसी गलियारे में आगे चित्रों में बताया- मोरारजी देसाई सरकार में १९७७ से १९७९ तक विदेश मंत्री रहे। इसके जरिए उन्होंने विदेशों में भारत की छवि बनाई। अटल ने उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिए सात सूत्री गरीगी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। ऐसा कार्यक्रम शुरू करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया। इसकी भनक अमेरिका के सीआईए को तक नहीं लगने दी। वे कितने दूरदृष्णा हैं, इसे भी प्रदर्शनी के जरिए दिखा गया है। 

-अटल पर एक नजर 
नाम- अटल बिहारी वाजपेयी। 
पिता- श्रीकृष्ण बिहारी वाजपेयी।
माता- श्रीमती कृष्णा देवी। 
जन्म- २५ दिसंबर १९२४ 
कहां- ग्वालियर के शिन्दे की छावनी में। 
पहली कविता- ताजमहल। 
प्रमुख कविताएं- मृत्यु या हत्या, कैदी कविराज की कुंडलियां, संसद में तीन दशक, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें, बिन्दु बिन्दु विचार, अमर आग है। 
बदलाव- महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा लिखी 'विजय पताका' का प्रभाव जीवन पर ऐसा पड़ा कि जीवन की दिशा ही बदल दी। 
इस टिप्पणी ने पहचान दी- ऐसा भारत जो भूख और डर से, निक्षरता और अभाव से मुक्त हो। 
संग्रह- लोकसभा के उद्बोधनों को लोकसभा ने 'अमर बलिदान' नाम से पुस्तक स्वरूप में संग्रहित किया है।

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