रविवार को आईसीएमआर के डीजी से आमने सामने होगी बात
गैस पीडितों ने बीएमएचआरसी का घेराव करके दिया अल्टीमेटम
महीनेभर में सुधार नहीं तो दिल्ली में घेरेंगे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को
भोपाल।
बीएमएचआरसी (भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर) से एक एक करके विशेषज्ञ डॉक्टरों के नौकरी छोडकर जाने और सालों पुराने चिकित्सा उपकरणों से ही इलाज करवाने के विरोध में गैस पीडित सडक पर उतर आए हैं। गैस पीडितों ने बीएमएचआरसी का घेराव करते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गौरतलब होगा कि, बीएमएचआरसी की बदहाली के बारे में पीपुल्स समाचार ने 17 जनवरी,2014 के अंक में समाचार प्रकाशित किया था। दूसरी ओर, बीएमएचआरसी एंप्लाइज एसोसिएसन के आव्हान पर फेडरेशन आफ आल इंडिया आईसीएमआर एंप्लाइज की मीटिंग में नियमितीकरण और वेतन विसंगति सहित लंबित मुद्दों पर रविवार को भोपाल आ रहे आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल विश्वमोहन कटोच से आमने सामने बात करने का निर्णय लिया गया।
बीएमएचआरसी की बदहाली के खिलाफ गैस पीडित महिला उद्योग संगठन के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार, विधायक आरिफ अकील और जिला कांग्रेस अध्यक्ष पीसी शर्मा की अगुवाई में शनिवार को बीएमएचआरसी के मुख्य द्वार के सामने सैकडों गैस पीडितों और उनके परिजन ने प्रदर्शन किया। इस मौके पर पीसी शर्मा ने कहा कि, भोपाल मेमोरियल अस्पताल अंदर से खोखला हो चुका है। अस्पताल प्रबंधन और आईसीएमआर जिम्मेदारी निभाने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। राज्य और केंद्र सरकार को असलियत का पता होने के बाद भी सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं। इसका खामियाजा गैस पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है, जिनको इलाज के बिना लौटाया जा रहा है। विधायक आरिफ अकील ने बदइंतजामी पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि, मरीजों को सुपर स्पेशलिटी कहे जाने वाले अस्पताल से कमला नेहरु अस्तपाल और हमीदिया अस्पताल रिफर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, अस्पताल डायरेक्टर डॉ. मनोज पांडे सहित आईसीएमआर झूठ बोल रहे हैं और उपकरणों की खरीदी या डॉक्टरों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। जब्बार ने इस मौके पर चेतावनी दी कि, अगर अस्पताल को बचाने और आगे बढाने में इसी तरह लापरवाहीभरा रवैया जारी रहा तो भोपाल के बाद दिल्ली में आईसीएमआर डीजी कटोच और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद का घेराव करने के लिए कूच करेंगे।
बंद होते विभाग और पलायन करते डॉक्टर
गेस्ट्रो मेडिसिन विभाग में इंट्रोस्कोप सितम्बर 2009 से बंद है। इंडोस्कोप 9000 जुलाई 2010 से,इंडो अल्ट्रोसाउंड सितम्बर 2012 से, इंडोस्कोप(साइड व्यू)अगस्त 2012 से और इंडोवाशर नवम्बर 2011 से बंद है। वहीं नेत्र रोग विभाग में येग लेजर नवम्बर 2011 से,मल्टी लीनियर विजन फॉर न्यूरोआॅप्थलमोलॉजी मार्च 2012 से और आॅटोक्लेव मशीन जनवरी 2010 से बंद है। इन मशीनों के साथ ही नेत्र रोग विभाग में 8 मशीनें बंद हैं, जबकि गैस पीड़ितों में सबसे ज्यादा मरीज आंखों के पाए जाते हैं। मेडिकल रिसर्च के अनुसार एमआईसी गैस का सबसे ज्यादा घातक प्रभाव आंखों पर ही हुआ था। अस्पताल के अन्य विभागों में यूरोलॉजी के 11, मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी के 23, रेडियोलॉजी के 7, गेस्ट्रोमेडिसिन के 6 व गेस्ट्रोसजर्री के 15 उपकरण बंद पड़े हैं। गौरतलब होगा कि, अस्पताल के सभी विभागों में कुल 60 डॉक्टरों और कंसल्टेंटों के पद स्वीकृत थे। बाद में कुछ विभागों के बंद होने के बाद डॉक्टरों की संख्या में कटौती कर दी गई। वतर्मान में यहां 44 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 27 पद रिक्त हैं।
गैस पीडितों ने बीएमएचआरसी का घेराव करके दिया अल्टीमेटम
महीनेभर में सुधार नहीं तो दिल्ली में घेरेंगे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को
भोपाल।
बीएमएचआरसी (भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर) से एक एक करके विशेषज्ञ डॉक्टरों के नौकरी छोडकर जाने और सालों पुराने चिकित्सा उपकरणों से ही इलाज करवाने के विरोध में गैस पीडित सडक पर उतर आए हैं। गैस पीडितों ने बीएमएचआरसी का घेराव करते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गौरतलब होगा कि, बीएमएचआरसी की बदहाली के बारे में पीपुल्स समाचार ने 17 जनवरी,2014 के अंक में समाचार प्रकाशित किया था। दूसरी ओर, बीएमएचआरसी एंप्लाइज एसोसिएसन के आव्हान पर फेडरेशन आफ आल इंडिया आईसीएमआर एंप्लाइज की मीटिंग में नियमितीकरण और वेतन विसंगति सहित लंबित मुद्दों पर रविवार को भोपाल आ रहे आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल विश्वमोहन कटोच से आमने सामने बात करने का निर्णय लिया गया।
बीएमएचआरसी की बदहाली के खिलाफ गैस पीडित महिला उद्योग संगठन के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार, विधायक आरिफ अकील और जिला कांग्रेस अध्यक्ष पीसी शर्मा की अगुवाई में शनिवार को बीएमएचआरसी के मुख्य द्वार के सामने सैकडों गैस पीडितों और उनके परिजन ने प्रदर्शन किया। इस मौके पर पीसी शर्मा ने कहा कि, भोपाल मेमोरियल अस्पताल अंदर से खोखला हो चुका है। अस्पताल प्रबंधन और आईसीएमआर जिम्मेदारी निभाने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। राज्य और केंद्र सरकार को असलियत का पता होने के बाद भी सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं। इसका खामियाजा गैस पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है, जिनको इलाज के बिना लौटाया जा रहा है। विधायक आरिफ अकील ने बदइंतजामी पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि, मरीजों को सुपर स्पेशलिटी कहे जाने वाले अस्पताल से कमला नेहरु अस्तपाल और हमीदिया अस्पताल रिफर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, अस्पताल डायरेक्टर डॉ. मनोज पांडे सहित आईसीएमआर झूठ बोल रहे हैं और उपकरणों की खरीदी या डॉक्टरों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। जब्बार ने इस मौके पर चेतावनी दी कि, अगर अस्पताल को बचाने और आगे बढाने में इसी तरह लापरवाहीभरा रवैया जारी रहा तो भोपाल के बाद दिल्ली में आईसीएमआर डीजी कटोच और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद का घेराव करने के लिए कूच करेंगे।
बंद होते विभाग और पलायन करते डॉक्टर
गेस्ट्रो मेडिसिन विभाग में इंट्रोस्कोप सितम्बर 2009 से बंद है। इंडोस्कोप 9000 जुलाई 2010 से,इंडो अल्ट्रोसाउंड सितम्बर 2012 से, इंडोस्कोप(साइड व्यू)अगस्त 2012 से और इंडोवाशर नवम्बर 2011 से बंद है। वहीं नेत्र रोग विभाग में येग लेजर नवम्बर 2011 से,मल्टी लीनियर विजन फॉर न्यूरोआॅप्थलमोलॉजी मार्च 2012 से और आॅटोक्लेव मशीन जनवरी 2010 से बंद है। इन मशीनों के साथ ही नेत्र रोग विभाग में 8 मशीनें बंद हैं, जबकि गैस पीड़ितों में सबसे ज्यादा मरीज आंखों के पाए जाते हैं। मेडिकल रिसर्च के अनुसार एमआईसी गैस का सबसे ज्यादा घातक प्रभाव आंखों पर ही हुआ था। अस्पताल के अन्य विभागों में यूरोलॉजी के 11, मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी के 23, रेडियोलॉजी के 7, गेस्ट्रोमेडिसिन के 6 व गेस्ट्रोसजर्री के 15 उपकरण बंद पड़े हैं। गौरतलब होगा कि, अस्पताल के सभी विभागों में कुल 60 डॉक्टरों और कंसल्टेंटों के पद स्वीकृत थे। बाद में कुछ विभागों के बंद होने के बाद डॉक्टरों की संख्या में कटौती कर दी गई। वतर्मान में यहां 44 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 27 पद रिक्त हैं।
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