शनिवार, 20 अप्रैल 2013

सूखे की आशंका: सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें

-मालवा अंचल सबसे ज्यादा प्रभावित
-इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर संभाग सबसे ज्यादा भू-जल पर निर्भर 
भोपाल। ९८९३७१११४७.
मप्र में जमीन के भीतर का पानी और नीचे पहुंचने से सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। सूखे की चपेट में सबसे ज्यादा मालवा अंचल के 10 जिले आए हैं। ताजा आंकड़े राज्य ग्राउंड वाटर सर्वे विभाग की रिपोर्ट से सामने आए हैं। 
विभाग की इस रिपोर्ट से प्रदेश में जहां सूखी की आशंका बढ़ गई है। वहीं सरकारी महकमे में इस बात पर चर्चा भी तेज हो गई है कि ऐसे में भूजल दोहन को कैसे रोका जाए। वहीं बारिश के बाद फसलों को कैसे जल प्रदाय होगा। ओवर एक्साप्लाटेड एरिया (सबसे ज्यादा प्रभावित) में मिनी मुम्बई इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर संभाग के जिले शामिल हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है, इन संभागों के रहवासियों की भूजल पर निर्भरा अधिक है। अधिकारियों की माने तो इन जिलों में अन्य जल स्त्रोतों के उपयोग को बढ़ाने के भी सुझाव विभाग ने दिए हैं। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद पानी को लेकर सरकार की मुश्किलें और बढ़ती दिखाई दे रही है। हालांकि रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। सर्वे रिपोर्ट कहती है उक्त जिलों में भू-जल का अत्यधिक दोहन हुआ है, जिसके चलते यहां का पानी पाताल लोक में जा पहुंचा है। 

-मालवा के ये हैं जिले 
बड़वानी, देवास, धार, ग्वालियर, इंदौर, मंदसौर, रतलाम, सतना, शाजापुर तथा उज्जैन के 22 ब्लॉक शामिल हैं। मालवा में बीते पांच सालों से गिरते जल स्तर को देखते हुए विभाग ने भीषण सूखे की आंशका जाहिर की है। वहीं सरकार के वित्तीय विभाग के जानकारों की माने तो ऐसे में राज्य सरकार की विकास दर का ग्राफ लुढ़क सकता है। 

-मच सकती है हाय तौबा 
विशेषज्ञों के हिसाब से सर्वे रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में चार क्रिटिकल ब्लॉक हैं। इसमें नरसिंहपुर, अमरपाटन, सोहावल, आगर हैं। साथ ही 67 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल ब्लॉक की श्रेणी में शामिल किए गए हैं। हालांकि सर्वे के बाद सरकार को विभाग ने किसी प्रकार की सिफारिशें नहीं की हैं। जानकारों ने कहा, सरकार मालवा के क्षेत्र में पेयजल के लिए अतिरिक्त प्रयास करे। ऐसा नहीं होता है तो इस क्षेत्र में पानी के लिए हाय तौबा की स्थिति बनते देर नहीं लगेगी। उल्लेखनीय है कि इसे आने वाले विधानसभा चुनाव की नजर से देखा जा रहा है। स्थिति नियंत्रित नहीं की गई तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पडऩा सुनिश्चित है। 

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