
दबंग रिपोर्टर, भोपाल
इंसान के दिमाग में विचार रुकने का नाम ही नहीं लेते, हमेशा कुछ न कुछ सोचता ही रहता है। जिसका न तो कोई रूप होता है और न ही आकार। अपनी इसी सोच और विचारों को पेंटिंग के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया दिल्ली से आए कलाकार हेमराज ने। मौका था आलियांस फ्रंासेेस द भोपाल की गैलरी में आयोजित आठ दिवसीय समूह चित्र प्रदर्शनी 'ट्रांस' का। जिसमें दिल्ली से आए हेमराज, पंकज मावन एवं मोहन शिंगने द्वारा बनाए गए लगभग २० चित्रों को प्रस्तुत किया गया। इस प्रदर्शनी में तीनों कलाकारों की अनुभूति का तल अलग है, लेकिन भाषा एक ही है, 'निराकार'
जिसका कोई आकार नहीं होता। प्रदर्शनी में कलाकारों ने अपने काम में फिगरेशन और अमूर्तन दोनों पर ध्यान दिया है। जब वे कैनवास पर रचना रचते है तो उनका संसार यर्थात नजर आता है और पूरा करते करते अर्मूत की ओर चला जाता है। प्रदर्शनी में प्रस्तुत चित्रों में हेमराज की चित्रकारी में रेखांकन और रंगों के संयोजन में सौन्दर्य बोध झलक रहा हैं। मोहन अपनी सहज प्रेरणा से अवकाश को अपने भीतर रचते हैं, इनका कार्य जैसे मौन कविता है। वहीं पंकज की माटी में सहज विचरित करती उंगलिया शीध्रता से सांसे रच रही हैं। इन तीनों का कार्य जैसे दृश्य प्रार्थना है। जो एक-दूसरे के पूरक होने के साथ-साथ उनकी जरूरत भी है। प्रदर्शनी का आयोजन आलियांस फ्रांसेस द भोपाल, भारत में फ्रांसीसी दूतावास द्वारा किया गया। प्रदर्शनी २७ अप्रैल तक रोज सुबह १० बजे से शाम ७ बजे तक कलाप्रमियों के लिए खुली रहेगी।
ये बोले कलाकार
मेरे अनुभव का विस्तार है मेरी चित्रकारी जिसकी कोई थीम नहीं है। कल्पना और अनुभव है, जिसको दिल से जाना जाता है दिमाग से नहीं। मैं पिछले १४ सालों से इस कार्य को कर रहा हूं। मुझे लाइट शेड पसंद है इसलिए मैनें अपनी पेंटिग्स में सौम्य रंगों का प्रयोग किया है।
कलाकार मोहन शिंगने, भोपाल
मैनें अपनी पेंटिंग्स में अमूर्त रूप को शामिल किया है। इंसान के दिमाग में विचार रूकने का नाम ही नहीं लेते इसलिए मैनें अपनी चित्रकारी में माउ, परपल, मजेन्डा कलर का उपयोग किया है। जिसको देखने से विचार थमने लगते है। और दिमाग से टेंशन दूर हो जाता है।
कलाकार- हेमराज, दिल्ली
कैनवास पर कलाकृतियों के मूर्त रूप देते समय मन में जो भाव आते है, वह बनते जाते है, मैनें अपनी हर पेंटिंग्स में मन के हर भाव को बड़ी ही सहजता से दर्शाने का प्रयास किया है। समूह चित्र प्रदर्शनी में लगे हर चित्रों के अलग-अलग भाव है, जो दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
कलाकार पंकज मानव, दिल्ली
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