
-पूर्व सीएम के बयान से बौ ालाए ग्रामीण
ेभोपाल।
पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने मंडीदीप से दाहोद में कलारी के विरोध में उनसे मिलने पहुंची सैकड़ों महिलाओं से दो टूक कह दिया, सीएम भी कलारी बंद नहीं करा सकते। मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। दरअसल, दाहोद ग्राम में महिलाओं ने नशामुक्त और निर्मल गांव की कल्पना का संकल्प ले रखा।
यह ग्राम विधायक सुरेंद्र पटवा का लगाता है। इसकी चलते महिलाओं ने राजधानी स्थित उनके निवास विधायक के साथ पूर्व सीएम से गुहार लगाई थी। ग्रामीणों से दो टूक शब्द करते ही रहवासियों की मंशा पर उस समय पानी फिर गया। यहां बीते माह ही आबकारी विभाग ने शराब की दुकान को लायसेंस दे दिया, जबकि इस कलारी का काफी समय पहले से विरोध किया जा रहा था।
-यह हुआ
गौरकरने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन ने दुकानदार को श्मशान के पास टेंट लगाकर शराब बेचने की अस्थायी अनुमति दी है। चुनावी वर्ष होने के चलते यह स्थानीय नेताओं के लिए बढ़ी परेशानी बन गया है। मंगलवार की शाम करीब छह बजे ग्राम दाहोद के सैकड़ों निवासियों ने सरपंच सुकिया बाई, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी पंद्राम,जगदीश मालवीय आदि के साथ भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल से मुलाकात की। इसके बाद बड़ी संख्या में महिलाओं को साथ लेकर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के निवास पर जाकर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।
जानकारी के अनुसार ग्रामीणों ने पूर्व मुख्यमंत्री से चर्चा की जब बात नहीं बनी तो 29 मार्च को किए गए वायदा याद दिलाया, लेकिन कुछ हांसिल नहीं हुआ। जनप्रतिनिधियों के साथ भोपाल आए दाहोद निवासी हरलाल सिंह नागर, फूलचंद मालवीय, मूरतसिंह नागर, प्रेमबाई मंडलोई, पार्वतीबाई पाल, श्यामलाल पंद्राम, जगदीश मालवीय, किशन पंद्राम, शंकरलाल नागर ाागीरथ नागर, राधेश्याम नागर आदि ने श्री पटवा के निर्णय का विरोध करते हुए कहा, जब आप शराब दुकान नहीं हटा सकते तो अगले चुनाव में हम भी आपकी कोई मदद नहीं करेंगे।
ज्ञात हो कि दाहोद को दुव्र्यसन मुक्त गांव बनाने और यहां घरेलू हिंसामुक्त समाज का निर्माण करने के लिए विश्वामित्र परिषद द्वारा ग्रामीणों को जागरूक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ग्रामीणों ने स्थानीय शराब दुकान को हटाने का संकल्प लिया है। उल्ले ानीय है कि 29 मार्च को श्री पटवा ने गांववालों के सामने घोषणा की थी कि गांव में शराब की दुकान नहीं रहेंगी। जिसके बाद से शराब की दुकान विरोधी आंदोलनकर्ताओं को उ मीद बंधी थी कि मदिरा की दुकान वहां से हट जाएगी, लेकिन अब उनकी उ मीदें धूमिल होने लगी हैं।
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