गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

कर्मचारियों के ४६ करोड़ डकारे सरकार ने ,भोपाल

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की तीन दिन की हड़ताल में ही सरकार ने 46 करोड़ डकार लिए हैं। दरअसल, इन तीन दिनों की हड़ताल का वेतन किसी भी कर्मचारी को नहीं मिलेगा। 
कई सालों से अपनी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को भले ही अब तक कोई फायदा नहीं हुआ हो लेकिन हड़ताल के दौरान काटे जाने वाले कर्मचारी वेतन के रूप में सरकार को जरूर करोड़ों रुपए का फायदा हो जाता है । जानकारी के अनुसार अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के करीब साढ़े आठ लाख अधिकरी और कर्मचारियों ने गत 17 मार्च 2010,23 जनवरी 2011 और 9 अप्रैल 2013 को हड़ताल की,एक अनुमान के मुताबिक प्रति हड़ताली कर्मी का औसत वेतन 550 रुपए भी मान लिया तो साढ़े आठ लाख कर्मचारियों का एक हड़ताल के दौरान ही करीब 46 करोड़ 75 लाख रुपए वेतन के रूप में कटते हैं। वहीं दैवेभो,कार्यभारित,गैंगमैन,श्रमिक और माली आदि 10 हजार कर्मचारियों का वेतन सवा सौ रुपए प्रतिदिन के औसत मान से एक दिन में करीब साढे बारह लाख रुपया शासन के खाते में जाता है ।

अब तक केवल आश्वासन
मांगों के लेकर हड़ताल करने से वेतन के रूप में करोड़ों रुपए गंवा चुके कर्मचारियों को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए अभी तक केवल आश्वासन ही दिया जाता रहा है। हालांकि कर्मचारी नेता अमरसिंह परमार,रामनारायण आचार्य,सुशील पांडे,संग्राम सिंह बैस,साबिर खान और अमोद तिवारी आदि कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कर्मचारी को अपने हक की लड़ाई लडऩे के लिए हड़ताल का सहारा लेना पड़ता है,जब वह अपनी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ता है तो वेतन कटने या सेवा से निकाले जाने की परवाह नहीं करता।

कर्मचारी संख्या एक नजर
शासकीय -4.63 लाख, शिक्षक- 3.57 लाख,कार्यभारित- 25 हजार,आकस्मिक निधि- 48 हजार,नगरीय स्थानीय निकाय- 68 हजार,ग्रामीण स्थानीय निकाय - 11 हजार,विश्वविद्यालय - 8 हजार और कोटवार- 35 हजार सहित करीब 8 लाख 41 लाख कर्मचारी हैं। श्रेणीवार कर्मचारियों में प्रथमश्रेणी- करीब 5 हजार 853,द्वितीय श्रेणी- करीब 30 हजार 975,त्रतीय श्रेणाी- करीब 3 लाख 61 हजार 484 और चतुर्थ श्रेणी- करीब 65 हजार 501 कर्मचारी हैं। 

इनका कहना है 
 हड़ताल की वजह से आज सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीरता वरत रही है । हम सरकार से गुजारिश करेंगे कि हड़ताल के समय  के दौरान काटा गया वेतन कर्मचारियों को वापस दिया जाए।
अमरसिंह परमार,प्रांताध्यक्ष मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ

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