इंदौर में खर्च 2 लाख, हमीदिया में हुआ नि:शुल्क
भोपाल।
हमीदिया अस्पताल में हीमोफिलिया बीमारी से पीडि़त 25 वर्षीय मरीज का जटिल ऑपरेशन किया गया। इंदौर में इस ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने 2 लाख रूपये खर्च बताया था,जबकि हमीदिया अस्पताल में यह ऑपरेशन आर्थोपेडिक्स विशेषज्ञ और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.दीपक एस मरावी द्वारा नि:शुल्क किया गया।
हीमोफिलिया एक जन्मजात बीमारी होती है,जिसमें मरीज के शरीर में रक्त का थक्का जमाने वाले फेक्टर 8 नहीं बनते। इससे एक बार रक्तस्त्राव शुरू होने के बाद रूकता नहीं है,जिससे मरीज की मौत हो जाती है। इसी कारण साधारण डॉक्टर हीमोफिलिया के मरीज का ऑपरेशन नहीं करते हैं।
हीमोफिलिया से पीडि़त शुजालपुर निवासी 25 साल के जगदीश को गिरने के कारण कूल्हे ही हड्डी में फ्रेक्चर हो गया था। हीमोफिलिया होने के कारण इंदौर में डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करने से मना कर दिया। कुछ डॉक्टरों ने ऑपरेशन पर दो लाख रूपये खर्च बताया। बाद में मरीज के परिजन उसे भोपाल ले आए। यहां डॉ.मरावी ने उसका ऑपरेशन किया और गांधी मेडिकल कालेज की हीमोफिलिया सोसायटी ने दो लाख रूपये के फेक्टर 8 उसे नि:शुल्क उपलब्ध कराए। उसे ऑपरेशन से पहले,ऑपरेशन के दौरान व बाद फेक्टर 8 दिए गए,जिससे उसका रक्तस्त्राव नहीं हुआ। उसका ऑपरेशन सफल रहा। डॉ.मरावी ने हीमोफिलिया मरीजों के ऑपरेशन की ट्रेनिंग क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वैल्लूर से प्राप्त की है।
एक दर्जन आएंगे,आधा दर्जन छोड़कर जाने की तैयारी में
भोपाल।
हमीदिया अस्पताल में हीमोफिलिया बीमारी से पीडि़त 25 वर्षीय मरीज का जटिल ऑपरेशन किया गया। इंदौर में इस ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने 2 लाख रूपये खर्च बताया था,जबकि हमीदिया अस्पताल में यह ऑपरेशन आर्थोपेडिक्स विशेषज्ञ और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.दीपक एस मरावी द्वारा नि:शुल्क किया गया।
हीमोफिलिया एक जन्मजात बीमारी होती है,जिसमें मरीज के शरीर में रक्त का थक्का जमाने वाले फेक्टर 8 नहीं बनते। इससे एक बार रक्तस्त्राव शुरू होने के बाद रूकता नहीं है,जिससे मरीज की मौत हो जाती है। इसी कारण साधारण डॉक्टर हीमोफिलिया के मरीज का ऑपरेशन नहीं करते हैं।
हीमोफिलिया से पीडि़त शुजालपुर निवासी 25 साल के जगदीश को गिरने के कारण कूल्हे ही हड्डी में फ्रेक्चर हो गया था। हीमोफिलिया होने के कारण इंदौर में डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करने से मना कर दिया। कुछ डॉक्टरों ने ऑपरेशन पर दो लाख रूपये खर्च बताया। बाद में मरीज के परिजन उसे भोपाल ले आए। यहां डॉ.मरावी ने उसका ऑपरेशन किया और गांधी मेडिकल कालेज की हीमोफिलिया सोसायटी ने दो लाख रूपये के फेक्टर 8 उसे नि:शुल्क उपलब्ध कराए। उसे ऑपरेशन से पहले,ऑपरेशन के दौरान व बाद फेक्टर 8 दिए गए,जिससे उसका रक्तस्त्राव नहीं हुआ। उसका ऑपरेशन सफल रहा। डॉ.मरावी ने हीमोफिलिया मरीजों के ऑपरेशन की ट्रेनिंग क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वैल्लूर से प्राप्त की है।
एक दर्जन आएंगे,आधा दर्जन छोड़कर जाने की तैयारी में
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