-४ पटवारियों को भेजा ट्रेनिंग पर
भोपाल।
जिले आरआई-पटवारी अब हाई टेक तरीके से जमीनों का सीमांकन करेंगे। दरअसल, जिले को ४ टोटल स्टेशन मशीनों (टीएसएम) मिल रही हैं, जिसके जरिए यह काम होगा। वहीं इन्हें ऑपरेट करने जिले के ४ पटवारियों को ट्रेनिंग लेने ग्वालियर भेजा है। यहां वे २९ अप्रैल तक मशीन की तकनीक का गुर सीखेंगे।
दूसरे चरण की ट्रेनिंग भोपाल जिले के लाभदायक साबित हुई है। अधिकारियों के अनुसार जिन पटवारियों को ग्वालियर ट्रेनिंग पर भेजा गया है। वे जब वापस लौटेंगे तो टीएसएम मशीनें लेकर आएंगे।
ेजानकारी के अनुसार आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त ने टीएसएम मशीनों की दूसरे चरण की ट्रेनिंग के लिए एक बार फिर भोपाल जिले के पटवारियों को ग्वालियर बुलाया था। बुलावा पत्र 24 अप्रैल को भोपाल कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। हालांकि ट्रेनिंग की जानकारी भू-अभिलेख अधीक्षक को पहले ही मिल गई थी। इसके चलते उन्होंने पहले ही चार पटवारियों को 22 से 29 मार्च तक होने वाली टीएसएम की ट्रेनिंग के लिए रवाना कर दिया। पत्र में स्पष्ट किया गया था, जो कर्मचारी ट्रेनिंग पर जाएंगे, उन्हें प्रशिक्षण के साथ टीएसएम मशीनें सौंप रवानगी दी जाएगी। इसी के साथ चार पटवारियों के ट्रेनिंग के साथ टीएसएम मशीनों के मिलने का रास्ता खुल गया है। अधिकारियों ने अब मन बनाया है जैसे ही मशीनें भोपाल आएंगी, इसका प्रशिक्षण अन्य पटवारियों को दिलाया जाएगा।
-इसलिए छिनी थीं मशीनें
आयुक्त भूमि अभिलेख एवं बंदोबस्त ग्वालियर ने मार्च माह में कुछ जिलों को टीएसएम मशीनें आवंटित करने के निर्देश दिए थे। इसमें भोपाल जिले की 4 टीएसएम मशीनें देना शामिल था। इस आदेश में मशीने उपलब्ध कराने से पहले शर्त रखी गई थी कि जिले के सभी राजस्व वृत्तों के करीब एक दर्जन पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को इस मशीन के प्रशिक्षण के लिए ग्वालियर भेजना होगा। वहां पर टीएसएम से सीमांकन की तकनीक को सिखाया जाएगा और सीमांकन की बारीकियां भी बताई जाएंगी। इस आदेश के आधार पर पटवारियों व राजस्व निरीक्षकों के नाम भी चयन किए गए और उन्हें अवगत भी कराया गया। बाद में कि न्ही कारणों से वे प्रशिक्षण लेने नहीं गए। इससे नाराज सीएलआर ने भोपाल जिले को भेजी जाने वाली चार टीएसएम का आवंटन निरस्त कर दिया था। सीएलआर का कहना है कि जब प्रशिक्षण में ही अधिकारी-कर्मचारी रूचि नहीं ले रहे हैं तो मशीनें देने से भी क्या होगा।
-जल्दी और सटीक होगा सीमांकन
अधिकारियों की माने तो भोपाल को मिलने जा रही यह टीएसएम मशीनें सीमांकन करने के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इससे जल्द और सटीक सीमांकन होता है। इस मशीनों से माइक्रोवेव और इंफ्रारेड किरणें निकलती हैं जो जमीन की नापजोख करने में सहायक होती है। इसमें लैग के समान एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्टेंस मीटर होता है। जिस स्थान तक की नपती करनी होती है इसे वहां र ा दिया जाता है। इसके बाद उपकरण से इंफ्रारेड किरणें छोड़ी जाती हैं। यह किरणें दूर रखें उपकरण पर पड़ते ही उस पर दूरी प्रदर्शित होने लगती है। इसे नोट कर लिया जाता है। इसमें किसी प्रकार की कोई गलती की गुंजाइश नहीं रहती है। इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि यह गड़बडिय़ां बिलकुल भी नहीं करती हैंं, इसके चलते लोगों को मन में सीमांकन को लेकर आ रही शंकाएं भी दूर हो जाएंगी।
-फायदे जो होंगे
१. सीमांकन कार्य में गति आएगी।
२. बरसात में सीमांकन रूक जाता था, अब मशीनों से बरसात में भी प्रक्रिया चालू रहेगी।
भोपाल।
जिले आरआई-पटवारी अब हाई टेक तरीके से जमीनों का सीमांकन करेंगे। दरअसल, जिले को ४ टोटल स्टेशन मशीनों (टीएसएम) मिल रही हैं, जिसके जरिए यह काम होगा। वहीं इन्हें ऑपरेट करने जिले के ४ पटवारियों को ट्रेनिंग लेने ग्वालियर भेजा है। यहां वे २९ अप्रैल तक मशीन की तकनीक का गुर सीखेंगे।
दूसरे चरण की ट्रेनिंग भोपाल जिले के लाभदायक साबित हुई है। अधिकारियों के अनुसार जिन पटवारियों को ग्वालियर ट्रेनिंग पर भेजा गया है। वे जब वापस लौटेंगे तो टीएसएम मशीनें लेकर आएंगे।
ेजानकारी के अनुसार आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त ने टीएसएम मशीनों की दूसरे चरण की ट्रेनिंग के लिए एक बार फिर भोपाल जिले के पटवारियों को ग्वालियर बुलाया था। बुलावा पत्र 24 अप्रैल को भोपाल कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। हालांकि ट्रेनिंग की जानकारी भू-अभिलेख अधीक्षक को पहले ही मिल गई थी। इसके चलते उन्होंने पहले ही चार पटवारियों को 22 से 29 मार्च तक होने वाली टीएसएम की ट्रेनिंग के लिए रवाना कर दिया। पत्र में स्पष्ट किया गया था, जो कर्मचारी ट्रेनिंग पर जाएंगे, उन्हें प्रशिक्षण के साथ टीएसएम मशीनें सौंप रवानगी दी जाएगी। इसी के साथ चार पटवारियों के ट्रेनिंग के साथ टीएसएम मशीनों के मिलने का रास्ता खुल गया है। अधिकारियों ने अब मन बनाया है जैसे ही मशीनें भोपाल आएंगी, इसका प्रशिक्षण अन्य पटवारियों को दिलाया जाएगा।
-इसलिए छिनी थीं मशीनें
आयुक्त भूमि अभिलेख एवं बंदोबस्त ग्वालियर ने मार्च माह में कुछ जिलों को टीएसएम मशीनें आवंटित करने के निर्देश दिए थे। इसमें भोपाल जिले की 4 टीएसएम मशीनें देना शामिल था। इस आदेश में मशीने उपलब्ध कराने से पहले शर्त रखी गई थी कि जिले के सभी राजस्व वृत्तों के करीब एक दर्जन पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को इस मशीन के प्रशिक्षण के लिए ग्वालियर भेजना होगा। वहां पर टीएसएम से सीमांकन की तकनीक को सिखाया जाएगा और सीमांकन की बारीकियां भी बताई जाएंगी। इस आदेश के आधार पर पटवारियों व राजस्व निरीक्षकों के नाम भी चयन किए गए और उन्हें अवगत भी कराया गया। बाद में कि न्ही कारणों से वे प्रशिक्षण लेने नहीं गए। इससे नाराज सीएलआर ने भोपाल जिले को भेजी जाने वाली चार टीएसएम का आवंटन निरस्त कर दिया था। सीएलआर का कहना है कि जब प्रशिक्षण में ही अधिकारी-कर्मचारी रूचि नहीं ले रहे हैं तो मशीनें देने से भी क्या होगा।
-जल्दी और सटीक होगा सीमांकन
अधिकारियों की माने तो भोपाल को मिलने जा रही यह टीएसएम मशीनें सीमांकन करने के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इससे जल्द और सटीक सीमांकन होता है। इस मशीनों से माइक्रोवेव और इंफ्रारेड किरणें निकलती हैं जो जमीन की नापजोख करने में सहायक होती है। इसमें लैग के समान एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्टेंस मीटर होता है। जिस स्थान तक की नपती करनी होती है इसे वहां र ा दिया जाता है। इसके बाद उपकरण से इंफ्रारेड किरणें छोड़ी जाती हैं। यह किरणें दूर रखें उपकरण पर पड़ते ही उस पर दूरी प्रदर्शित होने लगती है। इसे नोट कर लिया जाता है। इसमें किसी प्रकार की कोई गलती की गुंजाइश नहीं रहती है। इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि यह गड़बडिय़ां बिलकुल भी नहीं करती हैंं, इसके चलते लोगों को मन में सीमांकन को लेकर आ रही शंकाएं भी दूर हो जाएंगी।
-फायदे जो होंगे
१. सीमांकन कार्य में गति आएगी।
२. बरसात में सीमांकन रूक जाता था, अब मशीनों से बरसात में भी प्रक्रिया चालू रहेगी।
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