इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के मुक्ताकाष प्रदर्षनी परिसर हिमालयन गांव में आज दिनांक 25 अप्रैल 2013 को सिक्किम में निवास करने वाली लिंबू जनजाति के परंपरागत आवास लिंबू आवास में लिंबू कलाकारों ने अपनी परंपरानुसार पूजा पाठ कर संग्रहालय के निदेषक प्रो, के, के, मिश्र एवं संयुक्त निदेषक श्री अरूण कुमार श्रीवास्तव के साथ गृह प्रवेष किया । उत्तरी सिक्किम के गंगटोक जिले( मंगन) से आये लिंबू जनजाति के इन कलाकारों ने लगभग दो माह में इस तीन मंजिला आवास को तैयार किया । इस आवास में नीचे शंन्चाघर अर्थात किचिन बनाया इसके ऊपर वाली मंजिल में पौहुना घर बनाया जिसमें अतिथि ठहरते है। इसके ऊपर वाली मंजिल को बुढऊ घर कहते है, इसमें परिवार के के बडे बूढे रहते है,एवं घर का सामान रखते हैं। इस आवास में प्रयुक्त लकडी,दरवाजे, खिडकी सिक्किम से ही यहां लायी गयी । इस आवास की विषेषता यह है कि यह आवास मिट्टी, पत्थर एवं लकडी से बना होने के कारण सर्दियों में गरम रहता है। मिट्टी से बने नीचे के फर्ष को श्ुई कहते हैं। ऊपर की मंजिल में बने लकडी के फर्ष को शत्रो कहते है,ें दरवाजे को दइलो कहते है,इन कलाकारों द्वारा लकडी की खिडकियों पर सुन्दर नक्काषी की गई है खिडकी को ये लोग लूखर कहते है। इस अवसर पर इन्होंने नारियल (गटठा)सिंदूर (टीका) एवं मिठाई रखकर अपने कुल की स्मृति में पूजा की एवं गृह प्रवेष किया इस अवसर पर संग्रहालय के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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