-गैस पीडि़त संगठनों ने लगाए आरोप, विकीलीक्स के दस्तावेज रखे पत्रकारों के सामने
भोपाल।
गैस कांड के मुख्य आरोपी वारन एंडरसन को भोपाल से अमेरिका भगाने में कांग्रेस का हाथ था। कांग्रेस अगर साथ न देती तो वह कभी भाग नहीं पाता। यह आरोप भोपाल गैस पीडितों के पांच संगठनों ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में लगाए।
संगठन ने विकीलीक्स के दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि इससे साबित होता है कि केन्द्र सरकार ने अमेरिका के दबाव में यूनियन कार्बाइड और डाऊ केमिकल के हित साधने का काम किया है। भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉमेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया, विकीलीक्स ने हाल ही में दस्तावेज जारी किए हैं। यह जानकारी किसन्जर केबल्स में है, वहीं तत्कालीन वाणिज्य मंत्री कमलनाथ एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह आहलूवालिया ने अक्टूबर 2006 में सीईआे फोरम के कार्यक्रम में स्वीकार किया था कि वे डाऊ का भारत में पूंजी निवेश का स्वागत करते हैं। पर यह नहीं मानते कि भोपाल गैस कांड हादसे का वारन एंडरसन जिम्मेदार हैं और डाऊ का इसकी जिम्मेदारी उठानी चाहिए। उन्होंने कहा, विकीलीक्स के सितंबर 2007 के एक केबल में अमेरिका के राजदूत डेविड मलफर्ड द्वारा भारत सरकार से डाऊ के खिलाफ अपने दावे वापस लेने की मांग की गई थी। जवाब में श्री आहलूवालिया ने कहा था, सक्रिय और मुखर गैर सरकारी संगठनों की वजह से सरकार डाव के खिलाफ दावों को वापस लेने में असमर्थ है। षडंगी बोलेे, 70 के दशक में विदेशी पंूंजी के संबंध में बनाए गए सिद्धांतों से समझौता कर केन्द्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड को उसके भारतीय शाखा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में मदद पहुंचाई थी। यह जानकारी अमेरिका दूतावास द्वारा चार फरवरी 1975 को भेजे गए केबल से सामने आती है। दूसरी ओर विदेशी पूंजी पर नियंत्रण रखने वाले फेरा कानून का केंद्र सरकार ने उल्लंघन किया और यूनियन कार्बाइड को भारतीय बैंक की जगह अमेरिकी एक्जिम बैंक से कर्ज लेने की इजाजत दी।
भोपाल।
गैस कांड के मुख्य आरोपी वारन एंडरसन को भोपाल से अमेरिका भगाने में कांग्रेस का हाथ था। कांग्रेस अगर साथ न देती तो वह कभी भाग नहीं पाता। यह आरोप भोपाल गैस पीडितों के पांच संगठनों ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में लगाए।
संगठन ने विकीलीक्स के दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि इससे साबित होता है कि केन्द्र सरकार ने अमेरिका के दबाव में यूनियन कार्बाइड और डाऊ केमिकल के हित साधने का काम किया है। भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉमेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया, विकीलीक्स ने हाल ही में दस्तावेज जारी किए हैं। यह जानकारी किसन्जर केबल्स में है, वहीं तत्कालीन वाणिज्य मंत्री कमलनाथ एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह आहलूवालिया ने अक्टूबर 2006 में सीईआे फोरम के कार्यक्रम में स्वीकार किया था कि वे डाऊ का भारत में पूंजी निवेश का स्वागत करते हैं। पर यह नहीं मानते कि भोपाल गैस कांड हादसे का वारन एंडरसन जिम्मेदार हैं और डाऊ का इसकी जिम्मेदारी उठानी चाहिए। उन्होंने कहा, विकीलीक्स के सितंबर 2007 के एक केबल में अमेरिका के राजदूत डेविड मलफर्ड द्वारा भारत सरकार से डाऊ के खिलाफ अपने दावे वापस लेने की मांग की गई थी। जवाब में श्री आहलूवालिया ने कहा था, सक्रिय और मुखर गैर सरकारी संगठनों की वजह से सरकार डाव के खिलाफ दावों को वापस लेने में असमर्थ है। षडंगी बोलेे, 70 के दशक में विदेशी पंूंजी के संबंध में बनाए गए सिद्धांतों से समझौता कर केन्द्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड को उसके भारतीय शाखा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में मदद पहुंचाई थी। यह जानकारी अमेरिका दूतावास द्वारा चार फरवरी 1975 को भेजे गए केबल से सामने आती है। दूसरी ओर विदेशी पूंजी पर नियंत्रण रखने वाले फेरा कानून का केंद्र सरकार ने उल्लंघन किया और यूनियन कार्बाइड को भारतीय बैंक की जगह अमेरिकी एक्जिम बैंक से कर्ज लेने की इजाजत दी।
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