सोमवार, 1 अप्रैल 2013

आपके पांचवें सिलेंडर को बताया जा रहा छठवां -एजेंसियां नहीं दे रहीं सब्सिडी वाला सिलेंडर


-बुकिंग में की जा ही गड़बडिय़ां 
-केस प्रभावित जो हैं 

केस-१
उत्तम कुशवाह अपना पांचवा सिलेंडर खाता संख्या-एजी ३८१२२, अर्चना गैस एजेंसी से लेने गए। उन्हें इसी माह की ९ तारीख को पांचवा सिलेंडर दिए जाने की बात कही, जबकि इस तारीख की उनकी बुक पर किसी प्रकार की कोई एंट्री नहीं है। मजबूरन उन्हें एक हजार रुपए का सिलेंडर लेना पड़ा। 

केस-2 
हर्षवर्धन नगर के निवासी मुकुंद श्रीवास्तव ने १३ सितंबर को सिलेंडर लिया था, लेकिन एजेंसी संचालक ने इसे भी पांचवें सिलेंडर में गिन लिया। जबकि रूल १४ सितंबर से मान्य हुए। श्री श्रीवास्तव को सब्सिडी वाला सिलेंडर नहीं दिया। आखिर में उन्होंने पहले उपभोक्ता जैसे ही बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर लिया। 

भोपाल। 
शहर की गैस एजेंसियां पांचवा सब्सिडी वाला सिलेंडर देने से कतरा रहीं हैं, जबकि कइयों के खाते में अब भी सब्सिडी वाला एक सिलेंडर शेष है। बावजूद इसके एजेंसी संचालक सब्सिडी वाला सिलेंडर गोल कर रहे हैं। 
खाद्य विभाग द्वारा नजर न रखे जाने के चलते लोगों को मजबूरन बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर (एक हजार) लेना पड़ रहा है। एजेंसी के कर्ताधरा इसे अंजाम दे रहे हैं खाते में हेरफेर कर। सब्सिडी वाले सिलेंडर को पिछले दरवाजे से निकाल बाजार में बेचा जा रहा है। शहर की सभी ३० एजेंसियों में ये खेल चल रहा है। हालांकि देश भर में एजेंसियां एक ही सॉफ्टवेयर पर काम कर रही हैं। वहीं एजेंसी संचालक इस बात से इंकार कर रहे हैं कि सिलेंडर बुकिंग में कहीं गड़बडिय़ां हुई हैं। गौर करने वाली बात यह है कि बड़े स्तर पर हो रही इस गड़बड़ी की उच्च स्तर पर जांच न होने से दिक्कतें और बढ़ गई हैं। सब्सिडी वाला सिलेंडर पूरा होने की बात कह एजेंसियां अगले माह अप्रैल में लेने को कह रही हैं। 

-फरवरी-मार्च में बताई जा रही एंट्री 
केन्द्र सरकार ने १४ सितंबर को सब्सिडी वाले सिलेंडरों की लिमिट निर्धारित कर दी थी। पहले ३ सिलेंडर किए गए। हौहल्ला मचने के बाद केन्द्र ने इस वित्तीय वर्ष (२०१२-१३) मार्च तक सब्सिडी वाले पांच सिलेंडर दिए जाने के आदेश जारी किए। सब्सिडी वाले सिलेंडरों की लिमिट किए जाने के बाद लोगों ने इसका यूज भी सोच-समझकर किया। आलम ये रहा कि सर्दी में सिलेंडर की खपत नहीं बढ़ी। अब लोग अपने पांचवें सिलेंडर की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें ये कहकर मना किया जा रहा है कि पांच सिलेंडर पूरे हो गए। इसकी फरवरी या इसी माह में एंट्री बताई जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि इसकी खाता धारक की बुक में कहीं भी एंट्री नहीं है। 

-ऐसे हो रहा खेल 
धोखेबाजी होने की मुख्य वजह उपभोक्ता के खाते का संचालन एजेंसी संचालक द्वारा किया जाना है। कंप्यूटर पर उपभोक्ता के सिलेंडरों का हिसाब-किताब दर्ज करने का अधिकार एजेंसी संचालक को ही है। इसी के चलते वह उपभोक्ता के कंप्यूटर में दर्ज डाटा में सिलेंडरों की घट-बढ़ करता है। उपभोक्ता जब बुक पर सिलेंडर न लिए जाने की जानकारी दर्ज होने की बात कहते हैं तो डिस्ट्रीब्यूटर साफ इंकार कर देते हैं। वे कंप्यूटर पर डिलेवरी दर्शाते हैं। इससे अब नए सिरे से सिलेंडरों की कालाबाजारी हो रही है। उदाहरण के तौर पर किसी का उपभोक्ता संख्या ८०१२ है। इस नंबर को एजेंसी के कंप्यूटर के साफ्टवेयर पर डालने का अधिकार एजेंसी संचालक को ही है। इसे केन्द्र सरकार भले ही पारदर्शिता की बात करे, लेकिन इसे सीधे तौर पर पारदर्शिता नहीं कहा जा सकता। 

...तो रुक सकती है ये गड़बड़ी 
मैनिट के कंप्यूटर साइंस एंड इजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. दीपक तोमर कहते हैं, सरकार चाहे तो बिना किसी बड़े बदलाव के टोकन मैनेजमेंट सिस्टम शुरू कर सकती है। एजेंसी संचालक सॉफ्टवेयर पर जब उपभोक्ता का खाता संख्या डाले तो इसका एसएमएस उपभोक्ता के मोबाइल पर आ जाए। जिसमें यह दर्शाया गया हो कि क्या आप सिलेंडर लेना चाहते हैं, यस (हां) या नो (ना)। उपभोक्ता जैसे ही यस करे तो सॉफ्टवेयर में अलगे कुछ सेंकड में इसकी पुष्टी हो जाए। इसके बाद सॉफ्टवेयर से संबंधित उपभोक्ता का बिल निकल आए। डॉ. तोमर कहते हैं, हर उपभोक्ता के पास मोबाइल होता है। ऐसी व्यवस्था होने में दिक्कतें नहीं आएंगी। वहीं किसी प्रकार का नया स्ट्रेक्चर बनाने की जरूरत है। इसे 'नॉन रिप्यूटेशनÓ कहा जा सकता है। इससे राज्य और केन्द्र दोनों में पारदर्शिता होगी। 

स्थिति एक नजर में 
१४ सितंबर को केंद्र सरकार ने सब्सिडी वाले ५ सिलेंडरों की लिमिट के आदेश जारी किए। 
१३ सितंबर तक के बुकिंग वाले सिलेंडरों को आदेश में शामिल नहीं किया गया। 
१३ सितंबर को बुकिंग हुई हो और १८ तक डिलेवरी, उसे ५ सब्सिडी वाले सिलेंडर में नहीं गिना गया। 
३१ मार्च तक सब्सिडी वाले पांच सिलेंडर निर्धारित किए गए। 
६० प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं ने सब्सिडी वाले पूरे सिलेंडर उपयोग नहीं किए। 
४० प्रतिशत लोगों ने ही लिए पूरे ५ सिलेंडर। 
९५ प्रतिशत उपभोक्ताओं ने घरेलू रसोई उपयोग के अलावा अन्य जगह नहीं लगाया सिलेंडर। 
५ लाख उपभोक्ता हैं राजधानी में लगभग घरेलू सिलेंडरों के। 
३० एजेंसियां सेवाएं दे रही हैं शहर में। 

-वर्जन 
किसी को पांचवा सिलेंडर नहीं मिला है तो वह जिला खाद्य विभाग के नम्बर २५४०८६४ पर शिकायत दर्ज करा सकता है। एजेंसी संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 
एचएस परमार, जिला आपूर्ति अधिकारी 

एजेंसी के हाथों में अब कुछ नहीं है। हर व्यक्ति सिलेंडर का हिसाब-किताब रख रहा है। एजेंसी कहीं भी गड़बड़ नहीं कर सकतीं। सितंबर से मार्च तक अधिकांश उपभोक्ताओं ने तो ५ सिलेंडर उपयोग ही नहीं किए। वहीं डायर्वसन (दुरुपायोग, शादी, पार्टी, वाहनों में) भी रुका है। 
संजय दुबे, संचालक, चंद्रकांत गैस एजेंसी 


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