- 67 हजार के लगभग हुई रजिस्ट्रियां
- अंतिम दिन देर रात तक होगी रही रजिस्ट्री
भोपाल।
वर्ष 2012-13 की कलेक्टर गाइडलाइन में ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र की जमीनों के दाम 50 से 200 प्रतिशत तक बढ़ाए गए थे। इसके बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि पिछले वर्ष की तुलना में रजिस्ट्रियां कम ही होंगी, लेकिन हकीकत इसके उलट ही सामने आई। रिकार्ड तोड़ रजिस्ट्रियां तो हुई ही साथ ही साथ रिकार्ड तोड़ राजस्व की कमाई ाी। इधर पिछले तीन दिनों से भोपाल जिले के सभी उपपंजीयन कार्यालयों में भीड़ लगी हुई है। अंतिम दिन यानि 31 मार्च को भी सभी कार्यालयों पर रंगपंचमी होने के बाद भी मजमा लगा रहा। कार्यालय बंद होने तक करीब 500 से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रियां करा ली थी।
एक अप्रैल से वर्ष 2013-14 की नई कलेक्टर गाइडलाइन लागू होने और उसके आधार पर जमीनों की कीमतें बढऩे के चलते रजिस्ट्रियां कराने में स्टॉ प ड्यूटी अधिक अदा करनी होगी। अधिक स्टॉ प ड्यूटी से बचने के लिए लोग रजिस्ट्रियां कराने 31 मार्च यानि रविवार को भी उपपंजीयन कार्यालय पहुंचे। परीबाजार व टीटी नगर कार्यालय पर रजिस्ट्रियां कराने के लिए काफी ाीड़ देखी गई। उपपंजीयन ाी धड़ाधड़ रजिस्ट्री कर रहे थे। अंतिम दिन देर रात तक हुई रजिस्ट्रियों से शासन को 10 से 12 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुई। वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 की समाप्ति तक शासन को जिले की ओर से लगभग 580 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया पिछले तीन दिनों 29, 30 व 31 मार्च को क्रमश: 1050, 900 व 500 के करीब रजिस्ट्रियां हुई है। उन्होंने बताया कि 31 मार्च तो जिला कोषालय के खुले होने व स्टॉ प वेंडरों को स्टॉ प मिलने के चलते रजिस्ट्रियों में स्टॉ प लगाने में भी दिक्कतें नहीं आई।
लक्ष्य भेदा, संशोधित लक्ष्य से पीछे -
पिछले वर्ष 464 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 580 करोड़ रुपए के करीब है। इस तरह इस वर्ष 116 करोड़ रुपए अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है जो रिकार्ड है। पंजीयन कार्यालय के अधिकारियों की माने तो जिले को 520 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य दिया गया था, जो उन्होंने 28 मार्च को छू लिया था। हालांकि अंतिम दिन तक 584 करोड़ रुपए के संशोधित लक्ष्य को छूने में पंजीयन कार्यालय असमर्थ ही रहे। 4 करोड़ रुपए की राशि कम रह गई, नहीं तो संशोधित लक्ष्य भी पूरा हो जाता।
पिछले पांच दिन में हुई सर्वाधिक रजिस्ट्रियां -
वित्तीय वर्ष 2012-13 के अंतिम पांच दिनों में सर्वाधिक रजिस्ट्रियां हुई है। 28 व 29 मार्च को 900 से 1000 रजिस्ट्रियां हुई है, जबकि 30 मार्च को करीब 900 व 31 मार्च को अंतिम दिन 500 से अधिक रजिस्ट्रियां देर रात तक हुई। हालांकि 31 मार्च को रंगपंचमी होने के बाद भी लोगों का रजिस्ट्री कराने के लिए हुजूम उमड़ा।
फैक्ट फाईल -
वर्ष 2012-13 में प्राप्त राजस्व - लगभग 580 करोड़ रुपए
रजिस्ट्री सं या - करीब 67000
वर्ष 2011-12 में प्राप्त राजस्व - 464 करोड़ रुपए
रजिस्ट्री सं या - 59060
वर्ष 2012-13 का राजस्व लक्ष्य - 520 करोड़ रुपए
वर्ष 2012-13 का संशोधित लक्ष्य- 584 करोड़ रुपए
संशोधित राजस्व लक्ष्य से रहे कम - करीब 4 करोड़ रुपए
वर्ष 2013-14 का राजस्व लक्ष्य - लगभग 700 करोड़
पिछले वर्ष से ज्यादा हुई रजिस्ट्रियां
वर्ष 2012-13 के आंकड़ों पर गौर करें तो कलेक्टर गाइडलाइन में 200 प्रतिशत तक वृद्धि होने के बाद ाी जमीन की खरीदी-बिक्री में कमी नहीं आई थी और न ही रजिस्ट्रियों में। वर्ष 2011-12 की रजिस्ट्रियों से तुलना करें तो 31 मार्च 2012 तक 59060 रजिस्ट्रियां हुई थीं, जबकि 31 मार्च -13 तक यह आंकड़ा लगभग 67 हजार के करीब पहुंच गया है। इससे तो लगता है कि जमीनों की कीमतें बढऩे का रजिस्ट्रियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। दूसरी ओर सरकार को जहां वर्ष 2011-12 में 464 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था वहीं वर्ष 12-13 में यह राजस्व 580 करोड़ के करीब पहुंच गया है।
दो वर्षों में हुई रजिस्ट्रियों की तुलनात्मक स्थिति -
माह - वर्ष 2011-12 - वर्ष 2012-13
अप्रैल - 2945 - 3503
मई - 4751 - 4711
जून - 4244 - 4933
जुलाई - 3918 - 5109
अगस्त - 3627 - 3787
सितंबर - 3507 - 4256
अक्टूबर - 4071 - 4121
नवंबर - 3983 - 4691
दिसंबर - 4714 - 5744
जनवरी - 4557 - 5914
फरवरी - 4852 - 6179
मार्च - 13848 - करीब 14300
बोले अधिकारी -
रंगपंचमी होने के बाद भी ढेरों लोग रजिस्ट्रियां कराने आए। रात करीब साढ़े 11 बजे तक रजिस्ट्री करने का काम सभी उपपंजीयन कार्यालयों में जारी रहा।
एनएस तोमर, वरिष्ठ जिला पंजीयक
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