हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुविधि सब संता। ग्राम कुराना में चल रहे श्रीराम कथा महोत्सव के छठवें दिन कथावाचक पं. जगदीश नारायण स्वामी ने रामकथा का महत्व बताते कहा कि कलिकाल में हरि की कथा जीवन की हर व्यथा को मिटाती है। महाराज जनक विदेह होकर भी अपनी देह से श्रीराम को नहीं पहचान सके, तब मुनि विश्वामित्र ने समझाया कि राजन जिस निर्गुण की आपने साधना की है, वही निर्गुण आज सगुण रूप में पधारे हैं। कथा के छठवें दिन जिला पंचायत अध्यक्ष मीना हि मतसिंह गोयल, नगर निगम अध्यक्ष कैलाश मिश्रा, जिला पंचायत सदस्य सीमा मीना, मंडी सदस्य अशोक मीना सहित रघुवीर सिंह मीना, पवन गुर्जर, पूर्व मंडी अध्यक्ष रमेश सैनी, राजेन्द्र सेन, प्रेमसिंह सेन, धर्मेन्द्र सेन, चंदरसिंह मंडलोई, गजराजसिंह मंडलोई तथा आसपास ग्रामीण क्षैत्र आए करीब दो हजार लोगों ने श्रीराम कथा का आनंद लिया। अंत में रघुवीरसिंह मीना की ओर से प्रसाद वितरण किया गया।
ाक्ति से मिलते हैं ागवान : आचार्यश्री ने कहा कि राम ब्र ह है तो जानकी शक्तिहै। आज जनक के यहां शक्ति और ब्र ह का मिलन है। राम ज्ञान है तो जानकी भक्ति है। ज्ञान की शोभा भक्ति से ही सुंदर लगती है। मन में भक्ति का निवास है जीवन में राम रूपी ज्ञान अपने आप आ जाता है, इसलिए मनुष्य को भगवान की भक्ति करते रहना चाहिए, तभी उसके पापों का विनाश होता है।
ाक्ति से मिलते हैं ागवान : आचार्यश्री ने कहा कि राम ब्र ह है तो जानकी शक्तिहै। आज जनक के यहां शक्ति और ब्र ह का मिलन है। राम ज्ञान है तो जानकी भक्ति है। ज्ञान की शोभा भक्ति से ही सुंदर लगती है। मन में भक्ति का निवास है जीवन में राम रूपी ज्ञान अपने आप आ जाता है, इसलिए मनुष्य को भगवान की भक्ति करते रहना चाहिए, तभी उसके पापों का विनाश होता है।
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