चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर ाूब झूमे श्रद्धालु
भोपाल।
नंद घर अनंद ायो जय कन्हैयालाल की और जसोदा ललना जायो है जैसे सुमधुर बधाईगीतों की संगीतमय प्रस्तुति से समूचा पंडाल कृष्णमय हो गया। अवसर था समीपस्थ ग्राम ला बा ोड़ा में चल रहे श्रीमद ाागवत कथा ज्ञान यज्ञ का। आयोजन के चौथे दिन कथावाचक पं. बालाप्रसाद शर्मा द्वारा श्रीमद ाागगवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वात्सल्य और हर्ष ारा प्रसंग विस्तार से सुनाया। इस अवसर पर वसुदेव के रूप में पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के प्रदेश सचिव नारायणसिंह गौर तथा देवकी के रूप में सरपंच ममता गौर अपने शिशु को कृष्ण के बाल रूप में लोगों के सामने आये, जिस पर पंडाल में ाुशियों की लहर दौड़ गई। श्रोता ााववि ाोर होकर नाचने लगे। आचार्यश्री ने कहा कि जिस तरह जेल में बंद वसुदेव और देवकी की करुण पुकार सुनकर प्र ाु ने उन्हें सात तालों के बीच दर्शन दिये, उसी तरह ाक्त द्वारा सच्चे मन और निर्मल ााव से आवाज देने पर ागवान को आना ही पड़ता है। उधर मथुरा से गोकुल जाते समय यमुना नदी ने ागवान की चरण वंदना की गरज से अपने जलस्तर को बढ़ाया तो वसुदेव जी को ाय लगने लगा। इस पर बालकृष्ण ने स्थिति को ाांपते हुए टोकनी में से ही अपना एक पैर नीचे कर दिया ताकि यमुना जी उसे छू सकें। कथा में मु य यजमान बाबूलाल गौर सहित राम ााई मेहर, बाबूलाल शर्मा, प्रहलादसिंह गौर, रघुवीरप्रसाद सक्सेना, अर्जुनसिंह गौर, शिवप्रसाद चौकसे, संदीप मारण, नन्नूलाल सोनी, राजेंद्रसिंह ठाकुर, नरेंद्र गौर, अजहर उस्मानी, अ ाय ठाकुर, विवेक ठाकुर, अंकुर गौर और बड़ी सं या में ग्रामीणजन मौजूद थे।
भोपाल।
नंद घर अनंद ायो जय कन्हैयालाल की और जसोदा ललना जायो है जैसे सुमधुर बधाईगीतों की संगीतमय प्रस्तुति से समूचा पंडाल कृष्णमय हो गया। अवसर था समीपस्थ ग्राम ला बा ोड़ा में चल रहे श्रीमद ाागवत कथा ज्ञान यज्ञ का। आयोजन के चौथे दिन कथावाचक पं. बालाप्रसाद शर्मा द्वारा श्रीमद ाागगवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वात्सल्य और हर्ष ारा प्रसंग विस्तार से सुनाया। इस अवसर पर वसुदेव के रूप में पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के प्रदेश सचिव नारायणसिंह गौर तथा देवकी के रूप में सरपंच ममता गौर अपने शिशु को कृष्ण के बाल रूप में लोगों के सामने आये, जिस पर पंडाल में ाुशियों की लहर दौड़ गई। श्रोता ााववि ाोर होकर नाचने लगे। आचार्यश्री ने कहा कि जिस तरह जेल में बंद वसुदेव और देवकी की करुण पुकार सुनकर प्र ाु ने उन्हें सात तालों के बीच दर्शन दिये, उसी तरह ाक्त द्वारा सच्चे मन और निर्मल ााव से आवाज देने पर ागवान को आना ही पड़ता है। उधर मथुरा से गोकुल जाते समय यमुना नदी ने ागवान की चरण वंदना की गरज से अपने जलस्तर को बढ़ाया तो वसुदेव जी को ाय लगने लगा। इस पर बालकृष्ण ने स्थिति को ाांपते हुए टोकनी में से ही अपना एक पैर नीचे कर दिया ताकि यमुना जी उसे छू सकें। कथा में मु य यजमान बाबूलाल गौर सहित राम ााई मेहर, बाबूलाल शर्मा, प्रहलादसिंह गौर, रघुवीरप्रसाद सक्सेना, अर्जुनसिंह गौर, शिवप्रसाद चौकसे, संदीप मारण, नन्नूलाल सोनी, राजेंद्रसिंह ठाकुर, नरेंद्र गौर, अजहर उस्मानी, अ ाय ठाकुर, विवेक ठाकुर, अंकुर गौर और बड़ी सं या में ग्रामीणजन मौजूद थे।
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