सर्विस टैक्स के नाम पर लूट
सर्विस टैक्स के नाम पर गोधा की लूट
-वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी: जो टैक्स लगता ही नहीं वो भी विविध सेवा के नाम वसूला
-संमति सर्विस के नाम राजधानी लैंड हाउसिंग कार्पोरेशन ले ली कालोनीवासियों से यह राशि
-प्रारंभिक पजेशन के दौरान ही वसूल लिए थे करीब २ करोड़
पीडि़त-१
देवानन्द गौतम बंगला क्र.-सी-11, निवासी ने कालोनाइजर की शिकायत करते हुए सर्विस टैक्स विभाग से पूछा है कि उनसे सर्विस टैक्स के नाम पर 15631 रुपए वसूली है। इसकी किसी प्रकार की कोई पावती नहीं दी है। क्या, सर्विस टैक्स रहवासियों के लिए देय है यदि नहीं तो कालोनाइजर पर दंडात्मक कार्यवाही करें।
पीडि़त-२
एफ-12, निवासी केके माहेश्वरी ने शिकायती आवेदन में लिखा है, उनसे 13227 रुपए सर्विस टैक्स के नाम से वसूले। इसकी पावती तो दी, लेकिन इस पर सर्विस टैक्स अंकित नहीं किया। यह शिकायत श्री माहेश्वरी ने दिनांक ११/०१/२००७ को सर्विस टैक्स विभाग के भोपाल ऑफिस में की। इसी प्रकार अन्य रहवासियों ने भी शिकायत की है।
भोपाल।
80 फीट रोड पर अवैधानिक रूप से बसाई वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी के रहवासियों से कालोनाइजर पुनीत गोधा व संगीत गोधा ने सर्विस टैक्स भी अवैधानिक तरीके से वसूल लिया। नियमानुसार सर्विस टैक्स आवासीय (रहवासियों) मकानों पन नहीं लगा। अलग-अलग टैक्स राशि बता पुनीत गोधा ने शुरुआत में करीब २ करोड़ की वसूली की।
कालोनाइजर ने सर्विस टैक्स वसूली का यह गणित पजेशन (कब्जा, आधिपत्य) देने के साथ ही लगा लिया था। पुनीत गोधा ने सर्विस टैक्स के नाम पर ५ से ८० हजार तक नवंबर-दिसंबर २००६ से वसूलना शुरू किया। कालोनाइजर ने यह टैक्स लिया कालोनी के मैंटेनेन्स के लिए खुद के द्वारा बनाई संमति सर्विस के जरिए। बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि संमति सर्विस पंजीकृत ही नहीं है? इसके इतर बात करें तो नियमानुसार १२ लाख रुपए वार्षिक टर्नओवर होने पर सेवा प्रदाता समिति, संस्था, संगठन या फर्म को सर्विस टैक्स जमा करना होता है। बावजूद इसके समिति ने कभी भी टैक्स जमा नहीं किया। उल्टा रहवासियों से ५ प्रतिशत सर्विस टैक्स लिया, जिसे पुनीत गोधा अब भी नवीन भवन के्रताओं से ले रहे हैं।
अवैधानिक रूप से वसूली गई राशि को लेकर कुछ कालोनीवासियों ने इसकी शिकायत केन्द्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क के भोपाल रेंज-1 दफ्तर में भी की है।
-ऐसे शुरू हुई वसूली
पुनीत गोधा ने वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी में २००४-०५ मकानों की बुकिंग की। बुकिंग करने के दौरान विक्रय अनुबंध निषपादन (लिखा) किया। उस वक्त अनुबंध में सर्विस टैक्स राशि का कोई जिक्र नहीं किया गया था। शुरुआत में करीब १७५ मकानों के लिए बुकिंग पुनीत गोधा ने की। कालोनाइजर ने प्लाट की रजिस्ट्री कराने के बाद एक अनुबंध भवन तैयार करके देने का किया। इसमें सेवा शर्तो का उल्लंघन था, लेकिन सर्विस टैक्स का हवाला नहीं था। मकान क्रेता नवंबर-दिसंबर २००६ में पजेशन लेने अनुबंध अनुसार शेष रह गई १० राशि जमा करने जब कालानाइजर के पास गए तो पुनीत गोधा ने सर्विस टैक्स की मांग की। कुछ लोगों ने पुनीत गोधा से नियमों का हवाला मांगा पर वह आना कानी कर टैक्स देने की बात पर अड़ा रहा। आखिरकार, गोधा ने मई २००७ तक करीब मकान (प्लाट छोड़) की कुल कीमत का ५ प्रतिशत सर्विस टैक्स के रूप में वसूला। यह लगभग २ करोड़ रुपए होता है।
-संमति ऐसे करती वसूली
मकान रुपए राशि
३५० ३५० १२,२५००
१०० ५०० ५०,०००
८० ५०० ४०,०००
एक माह में ली गई कुल राशि- २,१२,५००/-
-ये है नियम
पुनीत गोधा संमति सर्विस के जरिए कालोनीवासियों से एक माह में २,१२,५००/- लेते हैं। इस हिसाब से कालोनी मैंटेनेंस के नाम पर यह वार्षिक राशि २५ लाख ५० हजार रुपए लेते हैं। जबकि वह संमति के नाम से किसी प्रकार का सेवा कर जमा ही नहीं किया। नियमानुसार किसी भी सेवा प्रदाता कंपनी का १२ लाख रुपए सालाना टर्नओवर होने पर उसे सेवा कर अनिवार्य रूप से जमा करना होता है।
-इसलिए नहीं लगता टैक्स
केन्द्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क विभाग ने १/८/२००६ को जारी अपने पत्र क्रमांक ३३२/३५/२००६-टीआरयू में स्पष्ट किया है कि बिल्डर, प्रमोटर और डेवलपर्स जो कि १२ से अधिक रहवासी कॉम्पलेक्स का निर्माण करवाता है तब कॉन्टेक्टर को सेवा कर अनिवार्य रूप से देना होता है। ऐसे में बिल्डर, प्रामोटर और डेवलपर्स स्वयं ही यह निर्माण करता है तब सेवा कर की जवाबदारी नहीं आती। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 'कामर्शियल कांसट्रक्शन सर्विस' के प्रकरण में कामर्शियल कॉम्पलेक्स रहवासी कॉम्पलेक्स की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए केवल कॉमर्शियल पर ही सेवा कर देय होगा। उल्लेखनीय है कि सीमा शुल्क विभाग ने १/०३/२००६ को फायनेंस एक्ट १९९४ की धारा ६५(०५) के तहत टैक्स लगाया था, लेकिन आपत्तियां आने के पांच माह बाद ही १/०८/२००६ को रहवासी मकानों को सेवाकर से मुक्त कर दिया।
सर्विस टैक्स के नाम पर गोधा की लूट
-वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी: जो टैक्स लगता ही नहीं वो भी विविध सेवा के नाम वसूला
-संमति सर्विस के नाम राजधानी लैंड हाउसिंग कार्पोरेशन ले ली कालोनीवासियों से यह राशि
-प्रारंभिक पजेशन के दौरान ही वसूल लिए थे करीब २ करोड़
पीडि़त-१
देवानन्द गौतम बंगला क्र.-सी-11, निवासी ने कालोनाइजर की शिकायत करते हुए सर्विस टैक्स विभाग से पूछा है कि उनसे सर्विस टैक्स के नाम पर 15631 रुपए वसूली है। इसकी किसी प्रकार की कोई पावती नहीं दी है। क्या, सर्विस टैक्स रहवासियों के लिए देय है यदि नहीं तो कालोनाइजर पर दंडात्मक कार्यवाही करें।
पीडि़त-२
एफ-12, निवासी केके माहेश्वरी ने शिकायती आवेदन में लिखा है, उनसे 13227 रुपए सर्विस टैक्स के नाम से वसूले। इसकी पावती तो दी, लेकिन इस पर सर्विस टैक्स अंकित नहीं किया। यह शिकायत श्री माहेश्वरी ने दिनांक ११/०१/२००७ को सर्विस टैक्स विभाग के भोपाल ऑफिस में की। इसी प्रकार अन्य रहवासियों ने भी शिकायत की है।
भोपाल।
80 फीट रोड पर अवैधानिक रूप से बसाई वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी के रहवासियों से कालोनाइजर पुनीत गोधा व संगीत गोधा ने सर्विस टैक्स भी अवैधानिक तरीके से वसूल लिया। नियमानुसार सर्विस टैक्स आवासीय (रहवासियों) मकानों पन नहीं लगा। अलग-अलग टैक्स राशि बता पुनीत गोधा ने शुरुआत में करीब २ करोड़ की वसूली की।
कालोनाइजर ने सर्विस टैक्स वसूली का यह गणित पजेशन (कब्जा, आधिपत्य) देने के साथ ही लगा लिया था। पुनीत गोधा ने सर्विस टैक्स के नाम पर ५ से ८० हजार तक नवंबर-दिसंबर २००६ से वसूलना शुरू किया। कालोनाइजर ने यह टैक्स लिया कालोनी के मैंटेनेन्स के लिए खुद के द्वारा बनाई संमति सर्विस के जरिए। बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि संमति सर्विस पंजीकृत ही नहीं है? इसके इतर बात करें तो नियमानुसार १२ लाख रुपए वार्षिक टर्नओवर होने पर सेवा प्रदाता समिति, संस्था, संगठन या फर्म को सर्विस टैक्स जमा करना होता है। बावजूद इसके समिति ने कभी भी टैक्स जमा नहीं किया। उल्टा रहवासियों से ५ प्रतिशत सर्विस टैक्स लिया, जिसे पुनीत गोधा अब भी नवीन भवन के्रताओं से ले रहे हैं।
अवैधानिक रूप से वसूली गई राशि को लेकर कुछ कालोनीवासियों ने इसकी शिकायत केन्द्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क के भोपाल रेंज-1 दफ्तर में भी की है।
-ऐसे शुरू हुई वसूली
पुनीत गोधा ने वर्धमान ग्रीन पार्क कालोनी में २००४-०५ मकानों की बुकिंग की। बुकिंग करने के दौरान विक्रय अनुबंध निषपादन (लिखा) किया। उस वक्त अनुबंध में सर्विस टैक्स राशि का कोई जिक्र नहीं किया गया था। शुरुआत में करीब १७५ मकानों के लिए बुकिंग पुनीत गोधा ने की। कालोनाइजर ने प्लाट की रजिस्ट्री कराने के बाद एक अनुबंध भवन तैयार करके देने का किया। इसमें सेवा शर्तो का उल्लंघन था, लेकिन सर्विस टैक्स का हवाला नहीं था। मकान क्रेता नवंबर-दिसंबर २००६ में पजेशन लेने अनुबंध अनुसार शेष रह गई १० राशि जमा करने जब कालानाइजर के पास गए तो पुनीत गोधा ने सर्विस टैक्स की मांग की। कुछ लोगों ने पुनीत गोधा से नियमों का हवाला मांगा पर वह आना कानी कर टैक्स देने की बात पर अड़ा रहा। आखिरकार, गोधा ने मई २००७ तक करीब मकान (प्लाट छोड़) की कुल कीमत का ५ प्रतिशत सर्विस टैक्स के रूप में वसूला। यह लगभग २ करोड़ रुपए होता है।
-संमति ऐसे करती वसूली
मकान रुपए राशि
३५० ३५० १२,२५००
१०० ५०० ५०,०००
८० ५०० ४०,०००
एक माह में ली गई कुल राशि- २,१२,५००/-
-ये है नियम
पुनीत गोधा संमति सर्विस के जरिए कालोनीवासियों से एक माह में २,१२,५००/- लेते हैं। इस हिसाब से कालोनी मैंटेनेंस के नाम पर यह वार्षिक राशि २५ लाख ५० हजार रुपए लेते हैं। जबकि वह संमति के नाम से किसी प्रकार का सेवा कर जमा ही नहीं किया। नियमानुसार किसी भी सेवा प्रदाता कंपनी का १२ लाख रुपए सालाना टर्नओवर होने पर उसे सेवा कर अनिवार्य रूप से जमा करना होता है।
-इसलिए नहीं लगता टैक्स
केन्द्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क विभाग ने १/८/२००६ को जारी अपने पत्र क्रमांक ३३२/३५/२००६-टीआरयू में स्पष्ट किया है कि बिल्डर, प्रमोटर और डेवलपर्स जो कि १२ से अधिक रहवासी कॉम्पलेक्स का निर्माण करवाता है तब कॉन्टेक्टर को सेवा कर अनिवार्य रूप से देना होता है। ऐसे में बिल्डर, प्रामोटर और डेवलपर्स स्वयं ही यह निर्माण करता है तब सेवा कर की जवाबदारी नहीं आती। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 'कामर्शियल कांसट्रक्शन सर्विस' के प्रकरण में कामर्शियल कॉम्पलेक्स रहवासी कॉम्पलेक्स की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए केवल कॉमर्शियल पर ही सेवा कर देय होगा। उल्लेखनीय है कि सीमा शुल्क विभाग ने १/०३/२००६ को फायनेंस एक्ट १९९४ की धारा ६५(०५) के तहत टैक्स लगाया था, लेकिन आपत्तियां आने के पांच माह बाद ही १/०८/२००६ को रहवासी मकानों को सेवाकर से मुक्त कर दिया।
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