मप्र में आधे से ज्यादा विधायक करोड़पति
-70 फीसदी करोड़पतियों का आंकड़ा, मप्र इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट बीते बार के मुकाबले 30 प्रतिशत बढ़े करोड़पति
भोपाल।
मप्र विधानसभा चुनाव में जीत कर पहुंचे 230 विधायकों में से 47 प्रतिशत करोड़पति हैं। भाजपा में 72 तथा कांग्रेस में 69 फीसदी विधायक करोड़पति हैं। इस बार 230 विधायकों में से 161 यानी 70 प्रतिशत करोड़पतियों ने सीट पक्की की है। यह ग्राफ बीते निर्वाचन-2008 की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।
मप्र इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोके्रटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में जीते विधायकों का औसत संपत्ति का ब्यौवरा 5.24 करोड़ रुपए है, जबकि 2008 में यह मात्र 1.49 फीसदी ही था। रिपोर्ट कहती है, बीते और इस बार की तुलना की जाए तो भाजपा में प्रति विधायक 4.61 करोड़ का मालिक है। कांग्रेस में यह औसत 7.11 करोड़ रुपए है। वहीं बसपा विधायक 3.22 करोड़ के असामी हैं। इधर विधायकों के शपथ-पत्र में घोषित संपित्त का विश्लेषण देंखे तो भाजपा के विधायकों की संपत्तियों में कमी हुई है। इसमें भाजपा के महू से नवर्निवाचित विधायक कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा के ही हाटपिपल्या से चुने गए दीपक जोशी शामिल हैं। इनकी संपत्तियों में क्रमश: 28 तथा 10 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। खरगोन से चुने गए भाजपा विधायक बालकृष्ण पाटीदार ने अपनी संपत्ति में 9 प्रतिशत की कमी दर्ज कराई है।
किसके कितने करोड़पति
भाजपा 118 72 प्रतिशत
कांग्रेस 40 69
-मप्र सबसे आगे
मप्र विधानसभा में इस बार चुने गए विधायकों की अच्छी बात यह है कि 67 प्रतिशत प्रत्याशी ऐसे हैं, जो पढ़े-लिखे हैं। यह आंकाड़ा प्रदेश नहीं, बल्कि हालिया संपन्न हुए चारों राज्य मप्र, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा है। वहीं मप्र में हालिया चुने 73 विधायक 12वीं पास हैं। यानी 32 फीसदी हैं।
किस पार्टी में कितने पढ़े-लिखे
पार्टी ग्रेज्यूएट प्रोफेशनल पोस्ट ग्रेज्यूएट डॉक्टेÑट
भाजपा 38 24 47 02
कांग्रेस 12 06 20 01
बसपा 01 निरंक 02 निरंक
निर्दलीय निरंक निरंक 02 निरंक
दो तिहाई करोड़पति
मध्यप्रदेश की नवनिर्वाचित विधानसभा में दो तिहाई से भी ज्यादा (70 फीसदी) करोड़पति विधायक चुन कर आए हैं जबकि पिछली विधानसभा में महज 40 फीसदी विधायक ही करोड़पति थे। विश्लेषण से यह भी सामने आया कि जिन उम्मीदवारों ने सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की, उनमें से 107 (47 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की, 87 (38 प्रतिशत) ऐसे विधायकों ने भी जीत दर्ज की है जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक संपत्ति घोषित की थी। इसके अलावा जिन पहले तीन उम्मीदवारों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की थी, वैसे 217 (94 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसका सीधा मतलब यह है कि संपत्ति और जीत के बीच सीधा सम्बन्ध हैे
मध्यप्रदेश के चुनाव में मध्यप्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्मस (एडीआर) ने 2013 के प्रदेश के विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों में से तीन प्रमुख दलों कांग्रेस, भाजपा और बसपा के 686 उम्मीदवारों में से 683 उम्मीदवारों का विश्लेषण कर आपके बीच में समय-समय पर रखा थो इन विश्लेषणों में संपत्ति का विश्लेषण, शिक्षा का विश्लेषण, आपराधिक प्रकरणों की जानकारी के साथ-साथ शपथ पत्रों आदि की गड़बड़ियां प्रमुख रहीें
चुनाव के बाद हम आपके बीच में चुने हुए 230 विधायकों की संपत्ति का विश्लेषण रख रहे हैें इस बार हमने चुने हुए प्रतिनिधियों में से भाजपा के 165, कांग्रेस के 58, बसपा के 4 तथा 3 अन्य प्रतिनिधियों की सम्पत्ति का का विश्लेषण किया हैे यह विश्लेषण भी विधायकों के द्वारा दिए गए शपथ पत्रों के आधार किया गया हैे
आर्थिक पृष्ठभूमि
पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति की तुलना
-पुनर्निर्वाचित विधायकों की संख्या: मध्यप्रदेश इलेक्शन वाच ने सभी 65 पुनर्निर्वाचित विधायकों के दाखिल किए गए शपथपत्रों का विश्लेषण किया है।
-2013 के चुनाव में पुनर्निर्वाचित हुए विधायकों की संपत्ति में औसत बढ़ोतरी: मध्यप्रदेश में पुनर्निर्वाचित हुए 65 विधायकों की वर्ष 2013 में कुल औसत संपत्ति 7.51 करोड़ रुपए है। इन विधायकों की वर्ष 2008 में कुल औसत संपत्ति 1.92 करोड़ रुपए थी। इन सभी पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति में औसतन 290 प्रतिशत या 5.59 करोड़ रुपयों की बढ़ोतरी हुई है।
-पार्टीवार संपत्ति की औसत बढ़ोतरी:
भाजपा के पुनर्निर्वाचित 55 विधायकों की संपत्ति में औसत 279 प्रतिशत या 3.26 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं कांग्रेस के 10 पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति में 302 प्रतिशत या 18.39 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
-पांच वर्षों (2008-2013) के दौरान संपत्ति में सर्वाधिक बढ़ोतरी: विजयराघवगढ़ से चुने गए कांग्रेस के विधायक संजय पाठक की संपत्ति में पिछले 5 वर्षीं के दौरान सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने अपनी संपत्ति में 87.15 करोड़ (255 प्रतिशत) बढ़ोतरी की घोषणा की है। वर्श 2008 में उनकी संपत्ति 34.17 करोड़ थी जो 2013 में बढ़कर 121.32 करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह पिछोर विधानसभा क्षेत्र से पुनर्निर्वाचित विधायक कांग्रेस के के.पी. सिंह काकजू की संपत्ति में 49.23 करोड़ रुपए (429 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है। उनकी संपत्ति वर्ष 2008 में 11.48 करोड़ थी जो 2013 में बढ़कर 60.72 करोड़ रुपए हो गयी। इसी तरह भोजपुर से चुने गए भाजपा के सुरेंद्र पटवा की संपत्ति में 31.32 करोड़ रुपए (468 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है। यह 2008 में इनकी सम्पत्ति 6.69 करोड़ रूपये थी जो कि बढ़कर 2013 में 38.02 करोड़ रुपए हो गई है।
कम हुई इनकी संपत्ति
भाजपा के तीन विधायकों ने 2008 की घोषित संपत्ति की तुलना में 2013 में अपनी संपत्ति में कमी दर्ज कराई है। डॉ. आंबेडकर नगर, महू से निर्वाचित कैलाश विजयवर्गीय की संपत्ति में 28 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 2.55 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 1.83 करोड़ रुपए हो गयी। इसी तरह हाटपिपल्या से चुने गए दीपक जोशी की संपत्ति में 10 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 40.94 लाख रुपए से घटकर 2013 में 36.82 लाख रुपए ही रह गयी है। वहीं खरगोन से चुने गए भाजपा विधायक बालकृष्ण पाटीदार ने अपनी संपत्ति में 9 प्रतिशत की कमी दर्ज कराई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 3.84 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 3.51 करोड़ रुपए हो गयी।
वर्तमान स्थिति
करोड़पति विधायक
वर्ष 2008 में 219 विधायकों में से 87 (40 प्रतिशत) विधायक ही करोड़पति थे। वहीं 2013 में अभी 230 विधायकों में से 161 (70 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। यानी करोड़पति विधायकों की संख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
पार्टीवार करोड़पति विधायक
भाजपा के 165 विधायकों में से 118 (72 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। वहीं कांग्रेस के 58 विधायकों में 40 (69 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं।
औसत संपत्ति
मप्र की 2013 की विधानसभा में प्रति विधायक औसत संपत्ति 5.24 करोड़ रुपए है जबकि यह 2008 में 1.49 करोड़ रुपए थी।
करोड़पति विधायकों की तुलना (2008-2013)
पार्टीवार संपत्ति:
भाजपा में प्रति विधायक औसत संपत्ति 4.61 करोड़ रुपए है। वहीं कांग्रेस में प्रति विधायक औसत संपत्ति 7.11 करोड़ रुपए है। बसपा विधायकों की औसत संपत्ति 3.22 करोड़ रुपए है।
सर्वाधिक संपत्ति वाले विधायक
सर्वाधिक घोषित संपत्ति वाले मुख्य 3 विधायकों में विजयराघवगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक (121.32 करोड़ रु.), रतलाम सिटी से भाजपा विधायक चेतन कश्यप (120.29 करोड़ रु.) तथा तेंदूखेड़ा से भाजपा विधायक संजय शर्मा (65.42 करोड़ रु.) शामिल हैं।
विजेता विधायकों की संपत्ति व उनके जीतने के अवसर के बीच की तुलना: यह जानना भी कम रोचक नहीं है कि जिन लोगों की सम्पत्ति ज्यादा थी, उन्होंने अपने साथ जुड़े इस फेक्टर को जीत में बदला या नहीें । विश्लेषण से यह भी सामने आया कि जिन उम्मीदवारों ने सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की, उनमें से 107 (47 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की, 87 (38 प्रतिशत) ऐसे विधायकों ने भी जीत दर्ज की है जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक संपत्ति घोषित की थी। इसके अलावा जिन पहले तीन उम्मीदवारों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की थी, वैसे 217 (94 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसका सीधा मतलब यह है कि संपत्ति और जीत के बीच सीधा सम्बन्ध हैे
सबसे कम संपत्ति वाले विधायक
इंदौर-3 विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक ऊषा ठाकुर दीदी ने सबसे कम संपत्ति (1.38 लाख रुपए) की घोषणा की है। वहीं झाबुआ से भाजपा विधायक शांतिलाल भिलवाल ने 4.88 लाख रुपए व जतारा से कांग्रेस विधायक दिनेश अहिरवार ने 6.02 लाख रुपए की संपत्ति की घोषणा की है।
सर्वाधिक देनदारी वाले विधायक
कुल 25 विधायकों ने एक करोड़ रुपए या उससे ज्यादा की देनदारी की घोषणा की है। सर्वाधिक देनदारी घोषित करने वाले विधायकों में विजयराघवगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक (48.70 करोड़ रुपए), भोजपुर से भाजपा विधायक सुरेंद्र पटवा (34.49 करोड़ रुपए) तथा उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक डा. मोहन यादव (5.11 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
पैन की घोषणा नहीं
कुल 18 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अपने परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) का ब्यौरा नहीं दिया है।
आयकर नहीं जमा करने वाले विधायक
कुल 53 (23 प्रतिशत) विधायकों ने घोशणा की है कि उन्होंने अपने आयकर रिटर्न नहीं जमा किए हैं।
सर्वाधिक आय घोषित करने वाले विधायक
विजयराघोगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक ने सर्वाधिक 8.94 करोड़ रुपयों की आय की घोषणा की है। वहीं तेंदूखेड़ा से भाजपा विधायक संजय शर्मा ने 3.44 करोड़ रुपए तथा दमोह से भाजपा विधायक जयंत मलैया ने 88.93 लाख रुपए आय की घोषणा की है।
-70 फीसदी करोड़पतियों का आंकड़ा, मप्र इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट बीते बार के मुकाबले 30 प्रतिशत बढ़े करोड़पति
भोपाल।
मप्र विधानसभा चुनाव में जीत कर पहुंचे 230 विधायकों में से 47 प्रतिशत करोड़पति हैं। भाजपा में 72 तथा कांग्रेस में 69 फीसदी विधायक करोड़पति हैं। इस बार 230 विधायकों में से 161 यानी 70 प्रतिशत करोड़पतियों ने सीट पक्की की है। यह ग्राफ बीते निर्वाचन-2008 की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।
मप्र इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोके्रटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में जीते विधायकों का औसत संपत्ति का ब्यौवरा 5.24 करोड़ रुपए है, जबकि 2008 में यह मात्र 1.49 फीसदी ही था। रिपोर्ट कहती है, बीते और इस बार की तुलना की जाए तो भाजपा में प्रति विधायक 4.61 करोड़ का मालिक है। कांग्रेस में यह औसत 7.11 करोड़ रुपए है। वहीं बसपा विधायक 3.22 करोड़ के असामी हैं। इधर विधायकों के शपथ-पत्र में घोषित संपित्त का विश्लेषण देंखे तो भाजपा के विधायकों की संपत्तियों में कमी हुई है। इसमें भाजपा के महू से नवर्निवाचित विधायक कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा के ही हाटपिपल्या से चुने गए दीपक जोशी शामिल हैं। इनकी संपत्तियों में क्रमश: 28 तथा 10 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। खरगोन से चुने गए भाजपा विधायक बालकृष्ण पाटीदार ने अपनी संपत्ति में 9 प्रतिशत की कमी दर्ज कराई है।
किसके कितने करोड़पति
भाजपा 118 72 प्रतिशत
कांग्रेस 40 69
-मप्र सबसे आगे
मप्र विधानसभा में इस बार चुने गए विधायकों की अच्छी बात यह है कि 67 प्रतिशत प्रत्याशी ऐसे हैं, जो पढ़े-लिखे हैं। यह आंकाड़ा प्रदेश नहीं, बल्कि हालिया संपन्न हुए चारों राज्य मप्र, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा है। वहीं मप्र में हालिया चुने 73 विधायक 12वीं पास हैं। यानी 32 फीसदी हैं।
किस पार्टी में कितने पढ़े-लिखे
पार्टी ग्रेज्यूएट प्रोफेशनल पोस्ट ग्रेज्यूएट डॉक्टेÑट
भाजपा 38 24 47 02
कांग्रेस 12 06 20 01
बसपा 01 निरंक 02 निरंक
निर्दलीय निरंक निरंक 02 निरंक
दो तिहाई करोड़पति
मध्यप्रदेश की नवनिर्वाचित विधानसभा में दो तिहाई से भी ज्यादा (70 फीसदी) करोड़पति विधायक चुन कर आए हैं जबकि पिछली विधानसभा में महज 40 फीसदी विधायक ही करोड़पति थे। विश्लेषण से यह भी सामने आया कि जिन उम्मीदवारों ने सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की, उनमें से 107 (47 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की, 87 (38 प्रतिशत) ऐसे विधायकों ने भी जीत दर्ज की है जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक संपत्ति घोषित की थी। इसके अलावा जिन पहले तीन उम्मीदवारों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की थी, वैसे 217 (94 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसका सीधा मतलब यह है कि संपत्ति और जीत के बीच सीधा सम्बन्ध हैे
मध्यप्रदेश के चुनाव में मध्यप्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्मस (एडीआर) ने 2013 के प्रदेश के विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों में से तीन प्रमुख दलों कांग्रेस, भाजपा और बसपा के 686 उम्मीदवारों में से 683 उम्मीदवारों का विश्लेषण कर आपके बीच में समय-समय पर रखा थो इन विश्लेषणों में संपत्ति का विश्लेषण, शिक्षा का विश्लेषण, आपराधिक प्रकरणों की जानकारी के साथ-साथ शपथ पत्रों आदि की गड़बड़ियां प्रमुख रहीें
चुनाव के बाद हम आपके बीच में चुने हुए 230 विधायकों की संपत्ति का विश्लेषण रख रहे हैें इस बार हमने चुने हुए प्रतिनिधियों में से भाजपा के 165, कांग्रेस के 58, बसपा के 4 तथा 3 अन्य प्रतिनिधियों की सम्पत्ति का का विश्लेषण किया हैे यह विश्लेषण भी विधायकों के द्वारा दिए गए शपथ पत्रों के आधार किया गया हैे
आर्थिक पृष्ठभूमि
पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति की तुलना
-पुनर्निर्वाचित विधायकों की संख्या: मध्यप्रदेश इलेक्शन वाच ने सभी 65 पुनर्निर्वाचित विधायकों के दाखिल किए गए शपथपत्रों का विश्लेषण किया है।
-2013 के चुनाव में पुनर्निर्वाचित हुए विधायकों की संपत्ति में औसत बढ़ोतरी: मध्यप्रदेश में पुनर्निर्वाचित हुए 65 विधायकों की वर्ष 2013 में कुल औसत संपत्ति 7.51 करोड़ रुपए है। इन विधायकों की वर्ष 2008 में कुल औसत संपत्ति 1.92 करोड़ रुपए थी। इन सभी पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति में औसतन 290 प्रतिशत या 5.59 करोड़ रुपयों की बढ़ोतरी हुई है।
-पार्टीवार संपत्ति की औसत बढ़ोतरी:
भाजपा के पुनर्निर्वाचित 55 विधायकों की संपत्ति में औसत 279 प्रतिशत या 3.26 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं कांग्रेस के 10 पुनर्निर्वाचित विधायकों की संपत्ति में 302 प्रतिशत या 18.39 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
-पांच वर्षों (2008-2013) के दौरान संपत्ति में सर्वाधिक बढ़ोतरी: विजयराघवगढ़ से चुने गए कांग्रेस के विधायक संजय पाठक की संपत्ति में पिछले 5 वर्षीं के दौरान सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने अपनी संपत्ति में 87.15 करोड़ (255 प्रतिशत) बढ़ोतरी की घोषणा की है। वर्श 2008 में उनकी संपत्ति 34.17 करोड़ थी जो 2013 में बढ़कर 121.32 करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह पिछोर विधानसभा क्षेत्र से पुनर्निर्वाचित विधायक कांग्रेस के के.पी. सिंह काकजू की संपत्ति में 49.23 करोड़ रुपए (429 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है। उनकी संपत्ति वर्ष 2008 में 11.48 करोड़ थी जो 2013 में बढ़कर 60.72 करोड़ रुपए हो गयी। इसी तरह भोजपुर से चुने गए भाजपा के सुरेंद्र पटवा की संपत्ति में 31.32 करोड़ रुपए (468 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है। यह 2008 में इनकी सम्पत्ति 6.69 करोड़ रूपये थी जो कि बढ़कर 2013 में 38.02 करोड़ रुपए हो गई है।
कम हुई इनकी संपत्ति
भाजपा के तीन विधायकों ने 2008 की घोषित संपत्ति की तुलना में 2013 में अपनी संपत्ति में कमी दर्ज कराई है। डॉ. आंबेडकर नगर, महू से निर्वाचित कैलाश विजयवर्गीय की संपत्ति में 28 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 2.55 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 1.83 करोड़ रुपए हो गयी। इसी तरह हाटपिपल्या से चुने गए दीपक जोशी की संपत्ति में 10 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 40.94 लाख रुपए से घटकर 2013 में 36.82 लाख रुपए ही रह गयी है। वहीं खरगोन से चुने गए भाजपा विधायक बालकृष्ण पाटीदार ने अपनी संपत्ति में 9 प्रतिशत की कमी दर्ज कराई है। इनकी सम्पत्ति 2008 में घोषित 3.84 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 3.51 करोड़ रुपए हो गयी।
वर्तमान स्थिति
करोड़पति विधायक
वर्ष 2008 में 219 विधायकों में से 87 (40 प्रतिशत) विधायक ही करोड़पति थे। वहीं 2013 में अभी 230 विधायकों में से 161 (70 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। यानी करोड़पति विधायकों की संख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
पार्टीवार करोड़पति विधायक
भाजपा के 165 विधायकों में से 118 (72 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। वहीं कांग्रेस के 58 विधायकों में 40 (69 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं।
औसत संपत्ति
मप्र की 2013 की विधानसभा में प्रति विधायक औसत संपत्ति 5.24 करोड़ रुपए है जबकि यह 2008 में 1.49 करोड़ रुपए थी।
करोड़पति विधायकों की तुलना (2008-2013)
पार्टीवार संपत्ति:
भाजपा में प्रति विधायक औसत संपत्ति 4.61 करोड़ रुपए है। वहीं कांग्रेस में प्रति विधायक औसत संपत्ति 7.11 करोड़ रुपए है। बसपा विधायकों की औसत संपत्ति 3.22 करोड़ रुपए है।
सर्वाधिक संपत्ति वाले विधायक
सर्वाधिक घोषित संपत्ति वाले मुख्य 3 विधायकों में विजयराघवगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक (121.32 करोड़ रु.), रतलाम सिटी से भाजपा विधायक चेतन कश्यप (120.29 करोड़ रु.) तथा तेंदूखेड़ा से भाजपा विधायक संजय शर्मा (65.42 करोड़ रु.) शामिल हैं।
विजेता विधायकों की संपत्ति व उनके जीतने के अवसर के बीच की तुलना: यह जानना भी कम रोचक नहीं है कि जिन लोगों की सम्पत्ति ज्यादा थी, उन्होंने अपने साथ जुड़े इस फेक्टर को जीत में बदला या नहीें । विश्लेषण से यह भी सामने आया कि जिन उम्मीदवारों ने सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की, उनमें से 107 (47 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की, 87 (38 प्रतिशत) ऐसे विधायकों ने भी जीत दर्ज की है जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक संपत्ति घोषित की थी। इसके अलावा जिन पहले तीन उम्मीदवारों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सम्पत्ति की घोषणा की थी, वैसे 217 (94 प्रतिशत) विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसका सीधा मतलब यह है कि संपत्ति और जीत के बीच सीधा सम्बन्ध हैे
सबसे कम संपत्ति वाले विधायक
इंदौर-3 विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक ऊषा ठाकुर दीदी ने सबसे कम संपत्ति (1.38 लाख रुपए) की घोषणा की है। वहीं झाबुआ से भाजपा विधायक शांतिलाल भिलवाल ने 4.88 लाख रुपए व जतारा से कांग्रेस विधायक दिनेश अहिरवार ने 6.02 लाख रुपए की संपत्ति की घोषणा की है।
सर्वाधिक देनदारी वाले विधायक
कुल 25 विधायकों ने एक करोड़ रुपए या उससे ज्यादा की देनदारी की घोषणा की है। सर्वाधिक देनदारी घोषित करने वाले विधायकों में विजयराघवगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक (48.70 करोड़ रुपए), भोजपुर से भाजपा विधायक सुरेंद्र पटवा (34.49 करोड़ रुपए) तथा उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक डा. मोहन यादव (5.11 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
पैन की घोषणा नहीं
कुल 18 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अपने परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) का ब्यौरा नहीं दिया है।
आयकर नहीं जमा करने वाले विधायक
कुल 53 (23 प्रतिशत) विधायकों ने घोशणा की है कि उन्होंने अपने आयकर रिटर्न नहीं जमा किए हैं।
सर्वाधिक आय घोषित करने वाले विधायक
विजयराघोगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक ने सर्वाधिक 8.94 करोड़ रुपयों की आय की घोषणा की है। वहीं तेंदूखेड़ा से भाजपा विधायक संजय शर्मा ने 3.44 करोड़ रुपए तथा दमोह से भाजपा विधायक जयंत मलैया ने 88.93 लाख रुपए आय की घोषणा की है।
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