-गोविंदपुरा उप पंजीयन कार्यालय अब भी चल रहा परीबाजार के दो कमरों में
भोपाल।
जमीन की गाइडलाइन बनाने वाला जिला पंजीयक कार्यालय अपने ही उप पंजीयक कार्यालय, गोविंदपुरा के लिए गाइडलाइन तय नहीं कर पाया है। भारी ऊहापोह के बीच 1 अप्रैल 2012 को तीसरा उप पंजीयन कार्यालय (गोविंदपुरा) खोल तो दिया, लेकिन इन ड़ेढ साल में दफ्तर के लिए अदद भवन अथवा स्थान नहीं मिल पाया है। आलम यह है कि ये परीबाजार स्थित जिला पंजीयन कार्यालय के दो कमरो में संचालित हो रहा है।
दूसरी ओर जिम्मेदार केवल इतना ही कह रहे हैं, जल्द ही समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा। फौरी आश्वासन पर उप-पंजीयकों को छोटे से कमरों में रजिस्ट्री का काम चलाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि गोविंदपुरा के लिए उप-पंजीयक कार्यालय के लिए सरकार से नरेला शंकरी में जमीन आवंटित हो गई है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी गोविंदपुरा में उप-पंजीयन कार्यालय के लिए एक अदद मकान की तलाशा नहीं कर पाए। दूसरी ओर वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर कहते हैं, जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लेंगे। भवन तलाशा जा रहा है।
-हर बार अटक मामला
विभागीय अधिकारियों की मानें तो उप-पंजीयन कार्यालय खोलने के लिए पिछले एक साल में आधा दर्जन से अधिक स्थानों का निरीक्षण किया गया। पर एक भी भवन अफसरों को समझ में नहीं आया। इनमें अधिकांश भवन प्रथम तल पर थे, जबकि विभाग को ग्राउण्ड लोर पर मकान चाहिए था। इसके बाद अधिकारियों ने शासकीय मकानों की तलाश की, लेकिन एक-एक कर वह भी हाथ से चले गए। जिन विभागों की बिल्डिंग थी, उन्होंने देने से मना कर दिया या फिर वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर के पत्र का जवाब नहीं दिया। थक हारकर विभाग ने जमीन के लिए प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा। खास बात तो यह है कि जमीन के आरक्षण के साथ उसका आवंटन हो गया, लेकिन किराये का मकान नहीं मिल सका है। सूत्रों की माने तो पिपलानी व इंद्रपुरी के पास मकान तो मिले थे और मकान फायनल भी हो गया था। जैसे ही किराये की बात आई और विभागीय अधिकारियों ने शासकीय दर पर किराया देने की बात कही तो मामला बिगड़ गया। मकान मालिकों ने उलटा सीधा बहाना बनाकर मकान देने से मना कर दिया।
-...और डिस्पेंसरी भी नहीं मिल पाई
गोविंदपुरा स्थित भेल की पुरानी डिस्पेंसरी में लोक सेवा केंद्र संचालित हो रहा था। यह केंद्र दो बड़े हाल में चल रहा था। इसके अतिरिक्त डिस्पेंसरी में अन्य कमरे भी थे, जो कि गोविंदपुरा उपपंजीयन कार्यालय के लिए पर्याप्त थे। इस पर सहमति बनने के बाद उपपंजीयन कार्यालय के इसमें शिफ्ट करने की तैयारी शुरू होने ही वाली थी कि कस्तूरबा अस्पताल की बिल्डिंग का एक हिस्सा गिर गया। इसके बाद भेल से अपने क्षेत्र में स्थित जर्जर भवनों की जानकारी जुटाना शुरू कर दी। नतीजतन पुरानी डिस्पेंसरी भी जर्जर भवन की सूची में आ गई। लोक सेवा केंद्र तो कोलार शि ट हुआ ही, साथ ही साथ उपपंजीयन कार्यालय के लिए फिर से संकट खड़ा कर गया।
-जारी है तलाश
जिला पंजीयक एनएस तोमर कहते हैं, परीबाजार स्थित कार्यालय की पहली मंजिल पर गोविंदपुरा उप-पंजीयक कार्यालय चल रहा है। इस कार्यालय से वार्ड 15 से 24 तक (पटवारी हल्के के मुताबिक) तथा साधारण वार्ड 35 से 39, 43, 55 से 65, 67 तक की जमीनों की रजिस्ट्रियां हो रही हैं। इस उप-पंजीयन कार्यालय को गोविंदपुरा में खोलने के लिए पिछले एक साल में आधा दर्जन से अधिक स्थानों का निरीक्षण किया गया, लेकिन एक भी उपयुक्त भवन नहीं मिल सका है। इधर सूत्र बताते हैं, विभाग भवन ढूंढने के बजाय अयोध्या बायपास के पास स्थित नरेला संकरी में आवंटित हुई जमीन पर पजेशन प्राप्त कर उस पर ही निर्माण कार्य करने का मन बना रहा है।
भोपाल।
जमीन की गाइडलाइन बनाने वाला जिला पंजीयक कार्यालय अपने ही उप पंजीयक कार्यालय, गोविंदपुरा के लिए गाइडलाइन तय नहीं कर पाया है। भारी ऊहापोह के बीच 1 अप्रैल 2012 को तीसरा उप पंजीयन कार्यालय (गोविंदपुरा) खोल तो दिया, लेकिन इन ड़ेढ साल में दफ्तर के लिए अदद भवन अथवा स्थान नहीं मिल पाया है। आलम यह है कि ये परीबाजार स्थित जिला पंजीयन कार्यालय के दो कमरो में संचालित हो रहा है।
दूसरी ओर जिम्मेदार केवल इतना ही कह रहे हैं, जल्द ही समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा। फौरी आश्वासन पर उप-पंजीयकों को छोटे से कमरों में रजिस्ट्री का काम चलाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि गोविंदपुरा के लिए उप-पंजीयक कार्यालय के लिए सरकार से नरेला शंकरी में जमीन आवंटित हो गई है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी गोविंदपुरा में उप-पंजीयन कार्यालय के लिए एक अदद मकान की तलाशा नहीं कर पाए। दूसरी ओर वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर कहते हैं, जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लेंगे। भवन तलाशा जा रहा है।
-हर बार अटक मामला
विभागीय अधिकारियों की मानें तो उप-पंजीयन कार्यालय खोलने के लिए पिछले एक साल में आधा दर्जन से अधिक स्थानों का निरीक्षण किया गया। पर एक भी भवन अफसरों को समझ में नहीं आया। इनमें अधिकांश भवन प्रथम तल पर थे, जबकि विभाग को ग्राउण्ड लोर पर मकान चाहिए था। इसके बाद अधिकारियों ने शासकीय मकानों की तलाश की, लेकिन एक-एक कर वह भी हाथ से चले गए। जिन विभागों की बिल्डिंग थी, उन्होंने देने से मना कर दिया या फिर वरिष्ठ जिला पंजीयक एनएस तोमर के पत्र का जवाब नहीं दिया। थक हारकर विभाग ने जमीन के लिए प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा। खास बात तो यह है कि जमीन के आरक्षण के साथ उसका आवंटन हो गया, लेकिन किराये का मकान नहीं मिल सका है। सूत्रों की माने तो पिपलानी व इंद्रपुरी के पास मकान तो मिले थे और मकान फायनल भी हो गया था। जैसे ही किराये की बात आई और विभागीय अधिकारियों ने शासकीय दर पर किराया देने की बात कही तो मामला बिगड़ गया। मकान मालिकों ने उलटा सीधा बहाना बनाकर मकान देने से मना कर दिया।
-...और डिस्पेंसरी भी नहीं मिल पाई
गोविंदपुरा स्थित भेल की पुरानी डिस्पेंसरी में लोक सेवा केंद्र संचालित हो रहा था। यह केंद्र दो बड़े हाल में चल रहा था। इसके अतिरिक्त डिस्पेंसरी में अन्य कमरे भी थे, जो कि गोविंदपुरा उपपंजीयन कार्यालय के लिए पर्याप्त थे। इस पर सहमति बनने के बाद उपपंजीयन कार्यालय के इसमें शिफ्ट करने की तैयारी शुरू होने ही वाली थी कि कस्तूरबा अस्पताल की बिल्डिंग का एक हिस्सा गिर गया। इसके बाद भेल से अपने क्षेत्र में स्थित जर्जर भवनों की जानकारी जुटाना शुरू कर दी। नतीजतन पुरानी डिस्पेंसरी भी जर्जर भवन की सूची में आ गई। लोक सेवा केंद्र तो कोलार शि ट हुआ ही, साथ ही साथ उपपंजीयन कार्यालय के लिए फिर से संकट खड़ा कर गया।
-जारी है तलाश
जिला पंजीयक एनएस तोमर कहते हैं, परीबाजार स्थित कार्यालय की पहली मंजिल पर गोविंदपुरा उप-पंजीयक कार्यालय चल रहा है। इस कार्यालय से वार्ड 15 से 24 तक (पटवारी हल्के के मुताबिक) तथा साधारण वार्ड 35 से 39, 43, 55 से 65, 67 तक की जमीनों की रजिस्ट्रियां हो रही हैं। इस उप-पंजीयन कार्यालय को गोविंदपुरा में खोलने के लिए पिछले एक साल में आधा दर्जन से अधिक स्थानों का निरीक्षण किया गया, लेकिन एक भी उपयुक्त भवन नहीं मिल सका है। इधर सूत्र बताते हैं, विभाग भवन ढूंढने के बजाय अयोध्या बायपास के पास स्थित नरेला संकरी में आवंटित हुई जमीन पर पजेशन प्राप्त कर उस पर ही निर्माण कार्य करने का मन बना रहा है।
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