-वन विभाग की भूमि पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स
-15 करोड़ की जमीन पर हो गया कब्जा
भोपाल।
राजस्व अधिकारियों की मिली भगत के चलते शहर की प्राईम लोकेशन त्रिलंगा रोड स्थित 15 करोड़ से ज्यादा की ग्रीन बेल्ट जमीन कामर्शियल हो गई है। पहले कच्च झुग्गी, फिर अध कच्च मकान और अब शॉपिंग कॉम्पलेक्स खड़ा हो गया। जमीन पर कब्जे को लेकर लोकायुक्त ने जवाब तलब किया, लेकिन पिछले दरवाजे से गड़बड़ी करने वाले अधिकारी लोकायुक्त को जवाब देने से बच रहे हैं।
इधर धड़ल्ले से जमीन पर कब्जा-अतिक्रमण हो रहा है। हालांकि शासन ने यहां कुछ लोगों को पट्टे दिए थे, लेकिन अब यहां बिल्डिंगे तन गई हैं। इतना ही नहीं प्लाट और झुग्गियों की खरीद-फरोख्त 50 से 1 लाख में हो रही है।
खास बात यह है कि जो व्यक्ति यह कब्जा दिलाएगा, उसकी यह ग्यारंटी है कि भविष्य में आपको इसके बादले मुआवजा व निश्चित जगह भी मिलेगी। उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण के सिलसिले में वर्ष 2011 और 2012 में कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में दो बार शिकायती आवेदन भी आ चुका है। इसे दोनों ही बार एसडीएम राजधानी परियोजना (बारह दफ्तर) टीटी नगर वृत्त को भेजा गया। बावजूद इसके प्रशासनिक अफसरों ने न अतिक्रमण हटाया न जमीन नापी। यह करीब आधे एकड़ (0.50 एकड़) से अधिक भूमि है। वर्तमान में इसका बाजार भाव करीब 15 करोड़ रुपए है।
-यह है मामला
शहपुरा क्षेत्र की यह भूमि मप्र शासन राजस्व विभाग (नजूल भूमि) अब भी शासन के रिकार्ड में दर्ज है। जानकारी के अनुसार सन 1990 में कलियासोत डेम से लोगों को विस्थापित कर यहां पट्टे दिए गए थे। पर यह ग्रीन बेल्ट जमीन से इतर थी। धीरे-धीरे यह आबादी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र तक फैल गई और अब इन्होंने राजधानी परियोजना के अधीन क्षेत्र पर भी कब्जा कर कामर्शियल उपयोग में लेना शुरू कर दिया है। वार्ड-52 में यह भूमियां हैं। जिनके खसरा नम्बर 258/8, कुल 13.992 हैक्टेयर भूमि पठार मप्र शासन दर्ज है। खसरा नम्बर 258/2 में 2.934 है, जो कि मप्र शासन नजूल भूमि दर्ज है। इसी प्रकार खसरा नम्बर-258/3 में 18.792 हैक्टर पीएचई विभाग के नाम दर्ज है।
-फिर भी कार्रवाई नहीं
एक स्थानीय नागरिक ने इस भूमि पर हो रहे कब्जे की पहली बार फरवरी 2011 में कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में शिकायती आवेदन दिया। इसके बाद मार्च में फिर एक आवेदन दिया। दोनो ही बार कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम उमाशंकर भार्गव को मामले की जांच कर उक्त स्थान से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। बावजूद इसके अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है। वहीं मेन रोड पर तो पक्की दुकानें तान दी गई हैं। इसी प्रकार पीछे के क्षेत्र में भी पक्का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसको लेकर अखबारों में खबरें प्रकाशित हुर्इं, जिस पर लोकायुक्त ने संज्ञान लिया। लोकायुक्त ने एसडीएम, तहसीलदार से पट्टे दिए जाने की कंडीशन, कितनी भूमि पर पट्टे दिए गए, वर्तमान में कब्जा कितनी भूमि पर है आदि पूछा, लेकिन सभी जवाब देने से बच रहे हैं।
-यह हैं जिम्मेदार
उमाशंकर भार्गव, तत्कालीन एसडीएम
संजय श्रीवास्तव, तत्कालीन
अनिल मालवीय, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक, शाहपुरा क्षेत्र
-वर्जन
नजूल टीटी नगर वृत्त में यह प्रकरण कब से चल रहा है और इसमें क्या हुआ? कहां गड़बड़ी हुई है और लोकायुक्त को क्या जवाब प्रस्तुत किए गए, इसे दिखवाता हूं।
सीएम मिश्रा, एसडीएम, नजूल टीटी नगर वृत्त
-15 करोड़ की जमीन पर हो गया कब्जा
भोपाल।
राजस्व अधिकारियों की मिली भगत के चलते शहर की प्राईम लोकेशन त्रिलंगा रोड स्थित 15 करोड़ से ज्यादा की ग्रीन बेल्ट जमीन कामर्शियल हो गई है। पहले कच्च झुग्गी, फिर अध कच्च मकान और अब शॉपिंग कॉम्पलेक्स खड़ा हो गया। जमीन पर कब्जे को लेकर लोकायुक्त ने जवाब तलब किया, लेकिन पिछले दरवाजे से गड़बड़ी करने वाले अधिकारी लोकायुक्त को जवाब देने से बच रहे हैं।
इधर धड़ल्ले से जमीन पर कब्जा-अतिक्रमण हो रहा है। हालांकि शासन ने यहां कुछ लोगों को पट्टे दिए थे, लेकिन अब यहां बिल्डिंगे तन गई हैं। इतना ही नहीं प्लाट और झुग्गियों की खरीद-फरोख्त 50 से 1 लाख में हो रही है।
खास बात यह है कि जो व्यक्ति यह कब्जा दिलाएगा, उसकी यह ग्यारंटी है कि भविष्य में आपको इसके बादले मुआवजा व निश्चित जगह भी मिलेगी। उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण के सिलसिले में वर्ष 2011 और 2012 में कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में दो बार शिकायती आवेदन भी आ चुका है। इसे दोनों ही बार एसडीएम राजधानी परियोजना (बारह दफ्तर) टीटी नगर वृत्त को भेजा गया। बावजूद इसके प्रशासनिक अफसरों ने न अतिक्रमण हटाया न जमीन नापी। यह करीब आधे एकड़ (0.50 एकड़) से अधिक भूमि है। वर्तमान में इसका बाजार भाव करीब 15 करोड़ रुपए है।
-यह है मामला
शहपुरा क्षेत्र की यह भूमि मप्र शासन राजस्व विभाग (नजूल भूमि) अब भी शासन के रिकार्ड में दर्ज है। जानकारी के अनुसार सन 1990 में कलियासोत डेम से लोगों को विस्थापित कर यहां पट्टे दिए गए थे। पर यह ग्रीन बेल्ट जमीन से इतर थी। धीरे-धीरे यह आबादी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र तक फैल गई और अब इन्होंने राजधानी परियोजना के अधीन क्षेत्र पर भी कब्जा कर कामर्शियल उपयोग में लेना शुरू कर दिया है। वार्ड-52 में यह भूमियां हैं। जिनके खसरा नम्बर 258/8, कुल 13.992 हैक्टेयर भूमि पठार मप्र शासन दर्ज है। खसरा नम्बर 258/2 में 2.934 है, जो कि मप्र शासन नजूल भूमि दर्ज है। इसी प्रकार खसरा नम्बर-258/3 में 18.792 हैक्टर पीएचई विभाग के नाम दर्ज है।
-फिर भी कार्रवाई नहीं
एक स्थानीय नागरिक ने इस भूमि पर हो रहे कब्जे की पहली बार फरवरी 2011 में कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में शिकायती आवेदन दिया। इसके बाद मार्च में फिर एक आवेदन दिया। दोनो ही बार कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम उमाशंकर भार्गव को मामले की जांच कर उक्त स्थान से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। बावजूद इसके अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है। वहीं मेन रोड पर तो पक्की दुकानें तान दी गई हैं। इसी प्रकार पीछे के क्षेत्र में भी पक्का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसको लेकर अखबारों में खबरें प्रकाशित हुर्इं, जिस पर लोकायुक्त ने संज्ञान लिया। लोकायुक्त ने एसडीएम, तहसीलदार से पट्टे दिए जाने की कंडीशन, कितनी भूमि पर पट्टे दिए गए, वर्तमान में कब्जा कितनी भूमि पर है आदि पूछा, लेकिन सभी जवाब देने से बच रहे हैं।
-यह हैं जिम्मेदार
उमाशंकर भार्गव, तत्कालीन एसडीएम
संजय श्रीवास्तव, तत्कालीन
अनिल मालवीय, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक, शाहपुरा क्षेत्र
-वर्जन
नजूल टीटी नगर वृत्त में यह प्रकरण कब से चल रहा है और इसमें क्या हुआ? कहां गड़बड़ी हुई है और लोकायुक्त को क्या जवाब प्रस्तुत किए गए, इसे दिखवाता हूं।
सीएम मिश्रा, एसडीएम, नजूल टीटी नगर वृत्त
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