इस साल जिले में दस हजार से अधिक नेत्रहीनों को आई-डोनेशन के माध्यम से रोशनी मिले। यह सुनिश्चित किया जाए। नेत्रदान के लिए लोग ज्यादा प्रेरित हों, इस को लेकर प्लॉन तैयार करें। यह बात कलेक्टर निशांत वरवड़े ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों और अधिकारियों से कही। वे यहां जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक ले रहे थे।
स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी से कहा, स्वास्थ्य को लेकर क्या काम हो रहा है और क्या हुआ है? इस पर चर्चा न करके अब क्या करना है इस पर बात करें। उन्होंने कहा, जिले में जो लक्ष्य था उसे प्राप्त करें। बैठक में जिला पंचायत मुख्य कायर्पालन अधिकारी राकेश श्रीवास्तव, सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला, सिविल सर्जन डॉ. वीणा सिन्हा सहित स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
कनवरजेंस कागजों पर नहीं मैदान में दिखना चाहिए
कलेक्टर वरवड़े ने स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों से कहा कि विभिन्न विभागों लारा जब एक उद्धेश्य की प्राप्ति के लिए कार्य योजना बनाई जाए तो उनमें आपस में समन्वय होना बहुत जरूरी है। मसलन बाल कल्याण के क्षेत्र में महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग कार्य करते हैं । बाल कल्याण से जुड़े इन कार्यक्रमों में कनवरजेंस (समन्वय) कागजों के साथ साथ मैदान पर भी दिखना चाहिए। उन्होंने समर्पण और वात्सल्य अभियान की भी समीक्षा की।
-सभी अस्पतालों में अमृता देंगी एडवाइस
जिले के सभी अस्पतालों में जहां पर प्रसव की सुविधा है वहां प्रसूता को जन्म के तुरंत बाद अमृताएं नवजात को ब्रोस्ट फीडिग की एडवाइस देने के साथ साथ प्रसूता को बच्चे की देखभाल के संबंध में जरूरी सलाह देंगी । पांच हजार रूपये प्रतिमाह की संविदा पर नियुक्त की जा रही अमृता काउंसलर की नियुक्ति जनवरी माह की शुरूआत से सभी अस्पतालों में कर दी जायेगी। बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की भी समीक्षा की गई।
स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी से कहा, स्वास्थ्य को लेकर क्या काम हो रहा है और क्या हुआ है? इस पर चर्चा न करके अब क्या करना है इस पर बात करें। उन्होंने कहा, जिले में जो लक्ष्य था उसे प्राप्त करें। बैठक में जिला पंचायत मुख्य कायर्पालन अधिकारी राकेश श्रीवास्तव, सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला, सिविल सर्जन डॉ. वीणा सिन्हा सहित स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
कनवरजेंस कागजों पर नहीं मैदान में दिखना चाहिए
कलेक्टर वरवड़े ने स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों से कहा कि विभिन्न विभागों लारा जब एक उद्धेश्य की प्राप्ति के लिए कार्य योजना बनाई जाए तो उनमें आपस में समन्वय होना बहुत जरूरी है। मसलन बाल कल्याण के क्षेत्र में महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग कार्य करते हैं । बाल कल्याण से जुड़े इन कार्यक्रमों में कनवरजेंस (समन्वय) कागजों के साथ साथ मैदान पर भी दिखना चाहिए। उन्होंने समर्पण और वात्सल्य अभियान की भी समीक्षा की।
-सभी अस्पतालों में अमृता देंगी एडवाइस
जिले के सभी अस्पतालों में जहां पर प्रसव की सुविधा है वहां प्रसूता को जन्म के तुरंत बाद अमृताएं नवजात को ब्रोस्ट फीडिग की एडवाइस देने के साथ साथ प्रसूता को बच्चे की देखभाल के संबंध में जरूरी सलाह देंगी । पांच हजार रूपये प्रतिमाह की संविदा पर नियुक्त की जा रही अमृता काउंसलर की नियुक्ति जनवरी माह की शुरूआत से सभी अस्पतालों में कर दी जायेगी। बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की भी समीक्षा की गई।
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