-लंबित फाइलें निपटाने पार्षद निगम के लगा रहे है चक्कर
भोपाल।
विधानसभा चुनाव से फारिख होने के बाद पार्षदों को अपने वार्ड की याद सताने लगी है। अधिकांश पार्षद वार्ड विकास कार्य से संबंधित फाइलों के निराकरण के लिए सदर मंजिल के चक्कर भी काट रहे हैं। इसके पीछे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और नगर निगम के चुनावों का डर है।
कुछ वार्ड मैंबरों ने वार्डों में काम-काज शुरू भी कर दिया है। वहीं कुछ बजट की बांट जोह रहे हैं। दरअसल, वार्ड मैंबर दोबारा काम-काज कर लोकसभा चुनाव बाद होने वाले पार्षद चुनाव में अपनी साख बचाना चाहते हैं। लिहाजा जनता में अपनी छवि बनाने इनके पास दो माह का वक्त है। मार्च में किसी भी वक्त आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसको लेकर पार्षद निगम और लोकसभा चुनाव से पहले जनता सारे गिले-शिकवे मिटाकर उनको फिर से गले लगाना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में 4 अक्टूबर को लागू आचार संहिता के बाद वार्डों में कई नए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। इसके चलते उन निर्माण कार्यों को भी रोक दिया गया था, जिनके टेंडर निकालकर वर्क आॅर्डर जारी हो चुका था। अब आचार संहिता हटते ही शहर के सभी 70 वार्डों के पार्षदों का सदर मंजिल में आना-जाना शुरू हो गया है।
-लंबित हैं 6 करोड़ की फाइलें
जानकारी के अनुसार अपने-अपने वार्ड में विभिन्न विकास कार्यों के लिए पार्षदों ने आचार संहिता के पहले ही पार्षद कोटा, जोन कोटा सहित मुख्यालय कोटा लगाकर टेंडर के लिए फाइलें बनाकर इंजीनियर विभाग को भेज दी थी। मगर इसी बीच आचार संहिता के लागू होते ही अधिकांश पाषर्दों की करीब 6 करोड़ रुपए की फाइलें अधर में लटकी हुई है।
-2014 में दो बार आचार संहिता
पार्षद अब इस कश्मकश में हैं कि 2014 में प्रदेश में दोबार आचार संहिता लगेगी। मार्च में जहां लोकसभा चुनाव के लिए वहीं इसके ठीक बाद वार्ड चुनाव के लिए। ऐसे में काम की गति तेज करने में सभी पार्षद लगे हुए हैं। जनवरी से पार्षदों को अपने-अपने वार्डों में विकास कार्यों के लिए जुटना पड़ेगा। अब पार्षदों के पास जनवरी से मार्च तक का ही समय ही विकास कार्यों के लिए शेष है। पार्षद इन तीनों माह का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश में हैं। वहीं नवंबर अंत तक नगर निगम का चुनाव होना है, जिसमें पार्षद जमीन पर आ जाएंगे।
-टुकड़े-टुकड़े में मिलेगा समय
अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के कारण पार्षदों को साल के शुरू तीन माह ही काम करने के लिए मिलेगा। आम चुनाव के खत्म होने के बाद अक्टूबर में नगर निगम के चुनाव के चलते पार्षदों को जून से सितंबर तक का समय मिलेगा। इस प्रकार यह समय पार्षदों को टुकड़े-टुकड़े में मिलेगा। हालांकि इसे पूरा जोड़ा जाए तो यह करीग 8 माह का होता है, जिसमें पार्षद काम कर सकते हैं।
-काम दिखाने की जागी चाहत
अब अपने कायर्काल के आखिरी साल में पार्षद स्वंय के लिए जमीन तैयार करने में जुट गए है। हालांकि निगम चुनाव के पहले वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया भी होगी, और इस आधार पर कई वार्डों में उलट-पुलट की स्थिति हो जाएगी। बावजूद इसके पार्षदों का पूरा ध्यान जनता की नजर में अपनी छवि बनाने पर दिया जा रहा है।
-वर्जन
निगम मुख्यालय में शहर के विभिन्न वार्डों के विकास कार्यों से संबंधित करीब 20 लाख की फाइलें लंबित पड़ी हैं। जल्द ही इनके संबंध में टेंडर बुलवाएं जाएंगे। जैसे मुझे अधिकारियों से ज्ञात हुआ है।
आशाराम शर्मा, पार्षद, वार्ड-45
चार-पांच स्थानों पर भूमि पूजन हो चुका है, मगर आचार संहिता के कारण करीब 65 लाख की फाइलें टेंडर के लिए पड़ी हुई हैं।
नारायण सिंह पाल, एमआईसी सदस्य
शहर के सभी वार्डों की अलग-अलग मदों में करीब 40 लाख की फाइलें लंबित पड़ी हैं। यह करीब 6 करोड़ के आसपास की होंगी। आचार संहिता लागू होने से करीब 20 फाइलें टेंडर लगने से पहले की रुक गई थी।
एके नंदा, नगरयंत्री सिविल, नगर निगम
भोपाल।
विधानसभा चुनाव से फारिख होने के बाद पार्षदों को अपने वार्ड की याद सताने लगी है। अधिकांश पार्षद वार्ड विकास कार्य से संबंधित फाइलों के निराकरण के लिए सदर मंजिल के चक्कर भी काट रहे हैं। इसके पीछे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और नगर निगम के चुनावों का डर है।
कुछ वार्ड मैंबरों ने वार्डों में काम-काज शुरू भी कर दिया है। वहीं कुछ बजट की बांट जोह रहे हैं। दरअसल, वार्ड मैंबर दोबारा काम-काज कर लोकसभा चुनाव बाद होने वाले पार्षद चुनाव में अपनी साख बचाना चाहते हैं। लिहाजा जनता में अपनी छवि बनाने इनके पास दो माह का वक्त है। मार्च में किसी भी वक्त आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसको लेकर पार्षद निगम और लोकसभा चुनाव से पहले जनता सारे गिले-शिकवे मिटाकर उनको फिर से गले लगाना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में 4 अक्टूबर को लागू आचार संहिता के बाद वार्डों में कई नए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। इसके चलते उन निर्माण कार्यों को भी रोक दिया गया था, जिनके टेंडर निकालकर वर्क आॅर्डर जारी हो चुका था। अब आचार संहिता हटते ही शहर के सभी 70 वार्डों के पार्षदों का सदर मंजिल में आना-जाना शुरू हो गया है।
-लंबित हैं 6 करोड़ की फाइलें
जानकारी के अनुसार अपने-अपने वार्ड में विभिन्न विकास कार्यों के लिए पार्षदों ने आचार संहिता के पहले ही पार्षद कोटा, जोन कोटा सहित मुख्यालय कोटा लगाकर टेंडर के लिए फाइलें बनाकर इंजीनियर विभाग को भेज दी थी। मगर इसी बीच आचार संहिता के लागू होते ही अधिकांश पाषर्दों की करीब 6 करोड़ रुपए की फाइलें अधर में लटकी हुई है।
-2014 में दो बार आचार संहिता
पार्षद अब इस कश्मकश में हैं कि 2014 में प्रदेश में दोबार आचार संहिता लगेगी। मार्च में जहां लोकसभा चुनाव के लिए वहीं इसके ठीक बाद वार्ड चुनाव के लिए। ऐसे में काम की गति तेज करने में सभी पार्षद लगे हुए हैं। जनवरी से पार्षदों को अपने-अपने वार्डों में विकास कार्यों के लिए जुटना पड़ेगा। अब पार्षदों के पास जनवरी से मार्च तक का ही समय ही विकास कार्यों के लिए शेष है। पार्षद इन तीनों माह का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश में हैं। वहीं नवंबर अंत तक नगर निगम का चुनाव होना है, जिसमें पार्षद जमीन पर आ जाएंगे।
-टुकड़े-टुकड़े में मिलेगा समय
अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के कारण पार्षदों को साल के शुरू तीन माह ही काम करने के लिए मिलेगा। आम चुनाव के खत्म होने के बाद अक्टूबर में नगर निगम के चुनाव के चलते पार्षदों को जून से सितंबर तक का समय मिलेगा। इस प्रकार यह समय पार्षदों को टुकड़े-टुकड़े में मिलेगा। हालांकि इसे पूरा जोड़ा जाए तो यह करीग 8 माह का होता है, जिसमें पार्षद काम कर सकते हैं।
-काम दिखाने की जागी चाहत
अब अपने कायर्काल के आखिरी साल में पार्षद स्वंय के लिए जमीन तैयार करने में जुट गए है। हालांकि निगम चुनाव के पहले वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया भी होगी, और इस आधार पर कई वार्डों में उलट-पुलट की स्थिति हो जाएगी। बावजूद इसके पार्षदों का पूरा ध्यान जनता की नजर में अपनी छवि बनाने पर दिया जा रहा है।
-वर्जन
निगम मुख्यालय में शहर के विभिन्न वार्डों के विकास कार्यों से संबंधित करीब 20 लाख की फाइलें लंबित पड़ी हैं। जल्द ही इनके संबंध में टेंडर बुलवाएं जाएंगे। जैसे मुझे अधिकारियों से ज्ञात हुआ है।
आशाराम शर्मा, पार्षद, वार्ड-45
चार-पांच स्थानों पर भूमि पूजन हो चुका है, मगर आचार संहिता के कारण करीब 65 लाख की फाइलें टेंडर के लिए पड़ी हुई हैं।
नारायण सिंह पाल, एमआईसी सदस्य
शहर के सभी वार्डों की अलग-अलग मदों में करीब 40 लाख की फाइलें लंबित पड़ी हैं। यह करीब 6 करोड़ के आसपास की होंगी। आचार संहिता लागू होने से करीब 20 फाइलें टेंडर लगने से पहले की रुक गई थी।
एके नंदा, नगरयंत्री सिविल, नगर निगम
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