-हजारों बांध प्रभावित शहर में करेंगे पांच दिवसीय उपवास
भोपाल।
बांध प्रभावित एक बार फिर सरकार को घेरने को तैयार हैं। १० जून से इनका ५ दिवसीय 'सत्याग्रहÓ शुरू होगा। इस दौरान हजारों किसान पांचों दिन शासन को बुद्धि देने और विस्तापितों को जमीन व पुनर्वास करने उपवास रखेंगे।
यह सब नर्मदा घाटी के ओम्कारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांध के प्रभावित हैं। ये सभी हजारों की संख्या में 14 जून तक राजधानी में डेरा डालेंगे। इस संबंध में शनिवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनरतले एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। इसमें बताया कि नर्मदा घाटी इन तमाम बांधों से प्रभावितों के लिए बनी पुनर्वास नीति के अनुसार जमीन के बदले न्यूनतम 5 एकड़ जमीन और पुनर्वास किया जाना था, लेकिन राज्य सरकार ने नीति का पूरी तरह उल्लंघन किया। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह पाया कि सरकार ने एक भी विस्थापित को जमीन नहीं दी और पुनर्वास नीति का पालन नहीं कियज्ञ। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार और एनएचडीसी को अनिवार्य रूप से न्यूनतम 5 एकड़ का जमीन आवंटन या फिर प्रभावित को जमीन खरीदने में सहायता करने का निर्देश दिया है। सरकार ने बावजूद इसके इंदिरा सागर और ओम्कारेश्वर बांधों में पानी भरना चालू कर दिया। बीते दिनों किए गए सत्याग्रह के बाद सरकार को होश आया और ओम्कारेश्वर में पानी नीचे उतारा। बीते 8 माह में ओम्कारेश्वर बांध के सैकड़ों प्रभावितों ने 10 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा भी वापस कर दिया।
-मुनाफा 3000 करोड़ का, पुनर्वास नहीं
ेेपत्रकारों को विस्थापितों ने बताया, ओम्कारेश्वर और इंदिरा सागर बांध से बिजली बनाकर सरकारी कंपनी एनएचडीसी ने बीते 5 सालों में लगभग 3000 करोड़ रुपए कमाए हैं, लेकिन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए एक रुपया खर्च नहीं किया। इससे साफ है कि सरकार विस्थापितों का पुनर्वास नहीं करना चाहती।
-नहीं तो खाली करों बांध
भोपाल में एकत्र प्रभावितों ने मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार अच्छी निजी जमीनें खरीद कर दें, भूमिहीनों को आजीविका के लिए 2.5 लाख रुपए का विशेष अनुदान और इसके अतिरिक्त तमाम अन्य पुनर्वास की सुविधाएं तत्काल दी जाएं। प्रभावितों ने कहा, सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो सभी बांधों को खाली करे। इसके लिए किसान दृढ़ संकल्पित हैं।
भोपाल।
बांध प्रभावित एक बार फिर सरकार को घेरने को तैयार हैं। १० जून से इनका ५ दिवसीय 'सत्याग्रहÓ शुरू होगा। इस दौरान हजारों किसान पांचों दिन शासन को बुद्धि देने और विस्तापितों को जमीन व पुनर्वास करने उपवास रखेंगे।
यह सब नर्मदा घाटी के ओम्कारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांध के प्रभावित हैं। ये सभी हजारों की संख्या में 14 जून तक राजधानी में डेरा डालेंगे। इस संबंध में शनिवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनरतले एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। इसमें बताया कि नर्मदा घाटी इन तमाम बांधों से प्रभावितों के लिए बनी पुनर्वास नीति के अनुसार जमीन के बदले न्यूनतम 5 एकड़ जमीन और पुनर्वास किया जाना था, लेकिन राज्य सरकार ने नीति का पूरी तरह उल्लंघन किया। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह पाया कि सरकार ने एक भी विस्थापित को जमीन नहीं दी और पुनर्वास नीति का पालन नहीं कियज्ञ। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार और एनएचडीसी को अनिवार्य रूप से न्यूनतम 5 एकड़ का जमीन आवंटन या फिर प्रभावित को जमीन खरीदने में सहायता करने का निर्देश दिया है। सरकार ने बावजूद इसके इंदिरा सागर और ओम्कारेश्वर बांधों में पानी भरना चालू कर दिया। बीते दिनों किए गए सत्याग्रह के बाद सरकार को होश आया और ओम्कारेश्वर में पानी नीचे उतारा। बीते 8 माह में ओम्कारेश्वर बांध के सैकड़ों प्रभावितों ने 10 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा भी वापस कर दिया।
-मुनाफा 3000 करोड़ का, पुनर्वास नहीं
ेेपत्रकारों को विस्थापितों ने बताया, ओम्कारेश्वर और इंदिरा सागर बांध से बिजली बनाकर सरकारी कंपनी एनएचडीसी ने बीते 5 सालों में लगभग 3000 करोड़ रुपए कमाए हैं, लेकिन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए एक रुपया खर्च नहीं किया। इससे साफ है कि सरकार विस्थापितों का पुनर्वास नहीं करना चाहती।
-नहीं तो खाली करों बांध
भोपाल में एकत्र प्रभावितों ने मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार अच्छी निजी जमीनें खरीद कर दें, भूमिहीनों को आजीविका के लिए 2.5 लाख रुपए का विशेष अनुदान और इसके अतिरिक्त तमाम अन्य पुनर्वास की सुविधाएं तत्काल दी जाएं। प्रभावितों ने कहा, सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो सभी बांधों को खाली करे। इसके लिए किसान दृढ़ संकल्पित हैं।
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