गुरुवार, 16 मई 2013

शेरों की दहाड़ से पहले मोदी और शिव सरकार कोर्ट में ,भोपाल

मप्र में गुजरात के शेरों की चहलकादमी और दहाड़ हो सकता है न सुनाई दे। दरअसल, गुजरात सरकार ने मप्र सरकार द्वारा गलत जानकारी दिए जाने के मामले में कोर्ट में याचिका दायर की है। 
मामला शेरों के मप्र में स्थानांतरण का है। भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के प्रवल दावेदार मोदी और किसान पुत्र चौहान का सीधे तौर पर भले ही कोई तीया पाचा न हो, लेकिन शेरों के मामले में सरकारें आमने सामने आ गई हैं। मोदी सरकार ने 15 अप्रैल के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें उसे शेरों को मप्र के पालपुर-कूनो वाइल्डलाइफ सैंक्च्युरी भेजने का निर्देश दिया गया था। गुजरात सरकार ने इस पुनर्विचार याचिका में कहा है, मप्र सरकार ने कोर्ट में गलत जानकारी प्रस्तुत की है। याचिका में नैशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के हवाले से इस दलील के पक्ष में तथ्य पेश किए गए हैं। 

-जब ये दिया था जवाब 
15 अप्रैल को गुजरात सरकार ने अदालत में जवाब दिया था कि मप्र सरकार का रिकार्ड शेरों के शिकार रोकने में अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में शेरों को कूनो भेजा जाएगा तो उनकी सुरक्षा पर सवालिया निशान लगेंगे। इसके जवाब में मप्र सरकार ने टाइगर अथॉरिटी ऑफ इंडिया की जुलाई 2011 की रिपोर्ट का हवाला दिया। इसके माध्यम से मप्र सरकार ने कहा शिकार रोकने के मामले में मप्र सरकार का प्रदर्शन कमाल है। यह टिप्पणी बताती है कि कूनो में अवैध शिकार रोकने में सरकार ने कारगर कदम उठाए गए हैं। अब गुजरात सरकार ने पुर्विचार याचिका दायर की है। इसमें कहा है मप्र सरकार ने जो रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की है, वह भ्रमक है। इसमें कहीं भी पालपुर-कूनो का जिक्र नहीं आता है। 

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