-नरेला शंकरी विस्थापित पुनर्वास अभियान से जुड़े किसानों ने की कलेक्टर से शिकायत
-किसान बोले जांच के साथ संबंधित अधिकारियों पर दर्ज हो एफआईआर
भोपाल।
नरेला शंकरी विस्थापित पुनर्वास अभियान से जुड़े किसानों ने मंगलवार को एक जुट हो कलेक्टर को एक शिकायती आवेदन दिया। उन्होंने बताया, मप्र गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) ने नरेलाशंकरी में १३२.२२ एकड़ जमीन गलत तरीके से ली। इसके लिए अधिकारियों ने भूमि अधिगृहण के लिए 30/8/1991 में अवार्ड पारित किया। इन पर कूट रचना की।
अभियान के सचिव मनोज कुमार ने कहा, यही नहीं इसकी प्रति भी 5.9.1991 को भू-अर्जन अधिकारी की ओर से भेजे गए पत्र के साथ संलग्न कर हाउसिंग बोर्ड को भेज दी गई थी। 23/7/1992 को गृह निर्माण मंडल ने इस अवार्ड की नकल क्यों निकलवाई? यदि नकल निकलवाई तो उसमें कूट रचना क्यों की? इस पर किसानों ने अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने के साथ प्रकरण की जांच करने को कहा। मनोज ने बताया, अवार्ड की सत्यप्रतिलिपि कूट रचना तारीखों को लेकर की गई है। सत्यप्रतिलिपि में अवार्ड दिनंाक 25 मई 1991 लिखा हुआ है। यह सत्य नहीं है। इसके अतिरिक्त कूटरचित दस्तावेज में भी आयुक्त का अनुमोदन दिनंाक नहीं लिखा हुआ है। यहां 30/8/1991 लिखा होना चाहिए थे। इसके सारे सबूत खत्म कर दिए गए हैं। इस पर भ्रष्टाचार निषेध अधिनियम-1988 तथा आईपीसी की विभिन्ना धाराओं के तहत दण्डात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
-इसे लेकर हो जांच
- मप्र गृह निर्माण मंडल और कलेक्टर कार्यालय के किन-किन अधिकारियों ने अवार्ड के शासकीय दस्तावेज में कूट रचना की?
- मंडल ने अवार्ड की जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसकी नकल कलेक्टर कार्यालय से क्यों निकलवाई?
- शासकीय दस्तावेज की कूट रचना कर दिनांक 25 मई 1991 किसने लिखा?
- शसकीय दस्तावेज की कूट रचना कर दस्तावेज में दिनंाक 25 मई 1991 लिखने से और अनूमोदन का दिनांक- 30 अगस्त 1991 मिटाने से मंडल को क्या लाभ हो रहा था?
- मंडल द्वारा कूटचरित दस्तावेजों का किन-किन कार्यालयों में तथा न्यायालयों में अब तक उपयोग किया गया है?
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