-पहले ने कहा हड़ताल जारी, दूसरा कर रहा खत्म करने की अपील
भोपाल।
प्रदेश में ३५ जिलों के पटवारियों ने सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हों, लेकिन मप्र पटवारी संघ के हुए दो फड़ की गुटबाजी मंगलवार से सड़क पर दिखने लगी। दरअसल, संघ जिस गुट ने हड़ताल बुलाई है उसके अध्यक्ष चंद्रप्रकाश टेंभरे और दूसरे गुट के रामनाथ सिंह सोलंकी आमने-सामने आ गए हैं।
पहले गुट ने अनिश्चितकालीन हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रखते हुए इसे मांग पूरी किए जाने तक जारी रखने को एलान किया है। वहीं दूसरे पक्ष ने इसे पटवारियों से खत्म करने की अपील कर डाली। संघ के प्रांताध्यक्ष चंद्रप्रकाश टेंभरे ने बताया कि जिन जिलों के पटवारी हड़ताल में शामिल नहीं हैं, उन्हें समझाईश दी जाएगी। दूसरी और जो पटवारी अब तक हड़ताल में शामिल नहीं थे, उन्होंने भी मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव को सहित राजस्व विभाग के आला अधिकारियों को हड़ताल पर जाने का ज्ञापन सौंपा है। बताया जाता है कि राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर के करीब 30 जिलों के पटवारी इस हड़ताल को समर्थन नहीं दे रहे हैं।
-फिर से मैदान में आए सोलंकी
संघ के पूर्व प्रांताध्यक्ष रामनाथ सिंह सोलंकी फिर से मैदान में उतर आए हैँ। उन्होंने मंगलवार को मु यमंत्री के पीएस सहित राजस्व विभाग के पीएस के मुलाकात कर बताया कि गत दिनों 16 कर्मचारी संगठनों द्वारा 51 सूत्रीय मांगों को लेकर की गई हड़ताल की गई थी, उसमें पटवारी संघ की मांगे भी शामिल थी और इन मांगों पर मु यमंत्री जी ने आश्वासन दिया था। इसके चलते प्रदेश के 30 जिलों के पटवारी इस हड़ताल में शामिल नहीं है। उन्होंने पटवारियों से भी आव्हान किया है कि जो भी पटवारी हड़ताल पर गए हैं, वह वापस अपने काम पर लौट जाएं। मु यमंत्री जी अपने वादे के अनुसार पटवारियों की मांग जल्द ही पूरी कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि तत्कालीन प्रांताध्यक्ष श्री टेंंभरे बिना संघ के चुनाव के प्रांताध्यक्ष बन गए हैं। जल्द ही पटवारी संघ के विधिवत चुनाव कराए जाएंगे और प्रांताध्यक्ष चुना जाएगा। फिर चाहे जो भी अध्यक्ष बने, उनका समर्थन सभी जिलों के पटवारी करेंगे।
-किसका दावा सही, संकट में सरकार
मप्र पटवारी संघ के दो फाड हो जाने तथा दोनों गुटों के अलग अलग चलने के कारण सरकार भी उलझन में पड़ गई है कि किसकी बात माने और किसकी नहीं। दोनों गुटों के दावे को लेकर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। श्री टेंभरे जहां 50 में से 35 जिलों के पटवारियों के समर्थन की बात कर रहे हैं, वहीं रामनाथ सिंह सोलंकी ने 30 जिलों के पटवारियों के हड़ताल पर न होने की बात कही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कौन से गुट की बात सही है?
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