गुरुवार, 23 मई 2013

निर्मल मन से की गई भक्ति ही ले जाती है प्रभू के पास: जगदीश स्वामी


-जैतपुरा में चल रही भागवत कथा
भोपाल।
निर्मल मन से की गई भक्ति ही भक्त को प्रभू के समीप ले जाती है। प्रभू चरणों से मिलन की इच्छा रखने वाले को बच्चों की भांति मन निर्मल और निष्कपट रखना चाहिए। बिना इस प्रेम के नजदीकी नहीं हो सकती। ग्राम जैतपुरा में चल रही भागवत कथा ज्ञानगंगा महोत्सव के छठवें और अंतिम दिन कथावाचक पं. जगदीशनारायण स्वामी ने यह बात कही।
वे बोले, केवल भारत ही वह धरा है, जहां एेसी पवित्रता कायम है। यहां भगवान ने भी भक्त बन इसका आनंद लिया है। इस आनंद को पाने राम ने शिव और शिव ने हनुमान के अवतार में जन्म लिया। यहां स्वयं प्रभू भक्तों की रक्षा करने और उन्हें मोक्ष देने के लिए अवतरित होते हैं। कार्यक्रम कथावाचक पं. बालाप्रसाद शर्मा, मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ किसान नेता सूरजसिंह मारण, विदिशा से आए वरिष्ठ समाजसेवी रंजीतसिंह मीना, पूर्व सरपंच हरगोविंद मारण, हेमराज इमलिया सहित तिलावर परिवार के रामसिंह, हरप्रसाद, मर्दनसिंह, थानसिंह, लालाराम, गजराजसिंह, भोजराज, देवीसिंह, कमलसिंह, हरभजन मीना अग्निहोत्री उपस्थिति थे। जिन्होंने भागवत महापुराण की आरती की।

रुक्मणि मंगल पर झूमे श्रोता
कथा के दौरान ागवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि के मंगल परिणय की संगीतमयी प्रस्तुति पर श्रोता स्वयं को झूमने से रोक नहीं। विवाहोत्सव के प्रसंग पर प्रस्तुत अनेक ाजनों पर वे बार-बार नाचते गाते रहे। इस अवसर पर महिलाओं ने वैवाहिक ाजनों पर मनोरम नृत्य प्रस्तुत कर ाूब तालियां बटोरीं। आचार्यश्री ने हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि ागवत ाजन पर नाचने, गाने झूमने जैसी मुद्राएं हमें प्र ाु भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती हैं।

आज होगा समापन
आचार्य पं. जगदीशनारायण स्वामी के व्यासपीठ से संचालित सात दिवसीय श्रीमद ाागवत कथा ज्ञानगंगा महोत्सव का शुक्रवार को पूर्णाहुति यज्ञ के साथ समापन होगा। इस अवसर पर दो यजमानों द्वारा गंगापूजन का आयोजन किया जाएगा। गंगापूजन और यज्ञ समापन के उपरांत महाप्रसादी वितरण के साथ आयोजन का समापन होगा।

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