मप्र. मानव अधिकार आयोग ने की शासन से अनुशंसा
भोपाल।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति की महिला के साथ हुए बलात्कार के एक मामले में उप पुलिस अधीक्षक से लेकर आरक्षक स्तर तक के पुलिस वालों के विरूद्ध कठोर अनुशंसाए शासन को की है। अनुशंसा के अनुसार, आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस ए.के.सक्सेना ने पीडि़त महिला को दो लाख रुपए अंतरिम राहत के तौर पर देने को शासन से कहा है। आयोग द्वारा की गई अनुशंसा में यह भी कहा गया है कि शासन यदि चाहे तो दी गई राशि की वसूली वह दोषी पुलिसकर्मियों से कर सकता है।
यह है मामला
पूरा मामला शाजापुर जिले का है। शिकायतकर्ता महिला द्वारा आयोग के संज्ञान में यह बात लाई गई कि उसके साथ वीरेंद्र ठाकुर द्वारा बलात्कार किया गया था। घटना की रिपोर्ट कानड़ थाना में की गई परंतु उसके द्वारा बताए अनुसार रिपोर्ट नहीं लिखी गई। यहीं नहीं महिला द्वारा जांच के समय जब सारी बाते बताई जा रही थी तो कैमरा बंद कर दिया गया और बेमतलब की बातों को कैमरे में कैद कर लिया गया। इस संदर्भ में आयोग द्वारा शाजापुर पुलिस अधीक्षक से प्रतिवेदन बुलाया गया था। प्रतिवेदन से आयोग से सहमत नहीं हुआ और अपने स्तर से मामले की जांच कराई। आयोग को समस्त तथ्यों से यह स्पष्ट हुआ कि इस मामले में जानबूझकर गलत प्रक्रिया अपनाई गई।
इन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा
आयोग द्वारा शाजापुर जिले में उस समय पदस्थ उप पुलिस अधीक्षक अजाक एके मसीह,एसडीओपी अजाक एसआर नायक,एसडीओपी महावीर सिंह मुजाल्दे,कानड़ के थाना प्रभारी मनीष मिश्र, सहायक उप निरीक्षक शांतिलाल मीणा सहित प्रधान आरक्षक रणवीर सिंह के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू कर कठोर दंड देने की अनुशंसा शासन से की गई है।
भोपाल।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति की महिला के साथ हुए बलात्कार के एक मामले में उप पुलिस अधीक्षक से लेकर आरक्षक स्तर तक के पुलिस वालों के विरूद्ध कठोर अनुशंसाए शासन को की है। अनुशंसा के अनुसार, आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस ए.के.सक्सेना ने पीडि़त महिला को दो लाख रुपए अंतरिम राहत के तौर पर देने को शासन से कहा है। आयोग द्वारा की गई अनुशंसा में यह भी कहा गया है कि शासन यदि चाहे तो दी गई राशि की वसूली वह दोषी पुलिसकर्मियों से कर सकता है।
यह है मामला
पूरा मामला शाजापुर जिले का है। शिकायतकर्ता महिला द्वारा आयोग के संज्ञान में यह बात लाई गई कि उसके साथ वीरेंद्र ठाकुर द्वारा बलात्कार किया गया था। घटना की रिपोर्ट कानड़ थाना में की गई परंतु उसके द्वारा बताए अनुसार रिपोर्ट नहीं लिखी गई। यहीं नहीं महिला द्वारा जांच के समय जब सारी बाते बताई जा रही थी तो कैमरा बंद कर दिया गया और बेमतलब की बातों को कैमरे में कैद कर लिया गया। इस संदर्भ में आयोग द्वारा शाजापुर पुलिस अधीक्षक से प्रतिवेदन बुलाया गया था। प्रतिवेदन से आयोग से सहमत नहीं हुआ और अपने स्तर से मामले की जांच कराई। आयोग को समस्त तथ्यों से यह स्पष्ट हुआ कि इस मामले में जानबूझकर गलत प्रक्रिया अपनाई गई।
इन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा
आयोग द्वारा शाजापुर जिले में उस समय पदस्थ उप पुलिस अधीक्षक अजाक एके मसीह,एसडीओपी अजाक एसआर नायक,एसडीओपी महावीर सिंह मुजाल्दे,कानड़ के थाना प्रभारी मनीष मिश्र, सहायक उप निरीक्षक शांतिलाल मीणा सहित प्रधान आरक्षक रणवीर सिंह के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू कर कठोर दंड देने की अनुशंसा शासन से की गई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें