-सरकार से साढ़े तीन घंटे चली चर्चा रही विफल
भोपाल।
सोमवार से शुरू हुई पटवारियों की हड़ताल प्रदेश भर में जारी रहेगी। पहले दिन शासन और मप्र पटवारी संघ के बीच चली करीब साढ़े तीन घंटे की चर्चा विफल रही। इसके बाद संघ ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया। हालांकि इस हड़ताल में केवल ३३ जिलों के पटवारी ही शामिल हैं।
प्रदेश में प्रदेश में ११६२२ पटवारियों के पद हैं, जिनमें से ९ हजार के लगभग पटवारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संघ के आव्हन पर यह सभी हड़ताल पर चले गए। इससे पहले संघ ने १४ मई से होने प्रदेशव्यापी हड़ताल का एलान किया था, लेकिन बाद में शासन से चर्चा का वक्त मिलने से निर्णय टाल दिया था। पटवारियों ने अपनी ५१ सूत्रीय मांगों को लेकर पूर्व में एक ज्ञापन भी उप प्रांताध्यक्ष हेमराज गवली के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम शासन को सौंपा था।
सोमवार को हड़ताल की पुष्टी होते हीए सभी जिलों में पटवारियों ने सरकारी रिकार्ड तहसीलदारों के हाथों सुपुर्द कर दिया। शिवराज प्रशासन की ओर से प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए बुलाया गया था। सीएम की ओर से पीएस मनोज श्रीवास्तव एवं हरिशंकर राव व राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव वार्ता के दौरान उपस्थित थे, जबकि मध्यप्रदेश पटवारी संघ की के प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश कार्यसमिति के 20 पदाधिकारी मौजूद थे। चर्चा करीब दोपहर 1 बजे से शुरू हुई जो 3.30 बजे तक चली, लेकिन लंबी चर्चा के बाद भी प्रतिनिधियों के हिसाब से बैठक बेनतीजा रही। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि पांच मांगों को स्वीकार किया जा रहा है हड़ताल समाप्त कर दें। पटवारी संघ के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश टेंभरे ने बताया, शासन के प्रतिनिधियों ने बैठक में पूर्व में दिए ज्ञापन को वापस लेने को कहा। जिसे हमने लेने से इंकार कर दिया। वहीं संघ ने आश्वासन लिखित में मांगा। शासन ने लिखित में आश्वासन देने से इंकार कर दिया। इसके बाद पटवारी संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। दूसरी और प्रशासन ने वार्ता सकारात्म रहने की बात कही है।
चर्चा में श्री टेंभरे के नेतृत्व में संघ के महामंत्री लालबहादुर सिंह पटेल, कार्यकारी अध्यक्ष हेमराज गोहगी, प्रांताध्यक्ष कोदर सिंह मोर्य मौजूद थे।
-यह हैं मांग
१. पटवारियों के गृह जिले से बाहर स्थानांतरण न किए जाएं।
२. गे्रज्युएट पटवारियों के लिए नायब तहसीलदार पद हेतु प्रतियोगी परीक्षा आयोजन का निर्णय शासन ले।
३. ३५०० के वेतन को बढ़ाकर ७ हजार किया जाए।
४. समय मान वेतन मान लागू किया जाए।
५. मुख्यमंत्री पटवारियों की पंचायत बुलाएं।
६. पटवारियों को पटवारी नहीं, बल्कि सहायक राजस्व अधिकारी पदनाम दिया जाए।
७. स्टेशनरी भत्ता, निश्चित यात्रा भत्ता दिया जाए व खन्ना समिति की अनुशंसा के अनुसार कार्यालय किराया दिया जाए।
-केवल 33 जिलों के पटवारी शामिल
-धड़ों में पटवारी संघ
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो धंड़ों में मप्र पटवारी संघ बंटा हुआ है। इसमें से एक धड़े के करीब 33 जिलों के पटवारी हड़ताल में शामिल हैं। हड़ताल में भोपाल जिले के पटवारी शामिल नहीं हैं।
श्री टेंभरे ने बताया, हड़ताल में जिन ३३ जिलों के पटवारी शामिल हैं। उन्होंने अपने बस्ते तहसीलदारों को सौंप दिए हैं। जिन जिलों के पटवारी इस हड़ताल में शामिल नहीं है, उनसे कहा गया है कि यदि संघ की मांग जायज हो तो समर्थन कर सकते हैं।
-ये जिले हड़ताल में नहीं
दो धड़ों में बटे संघ के सदस्यों में से राजधानी भोपाल सहित 20 जिलों के पटवारी इसमें शामिल नहीं हैं। हड़ताल में भोपाल राजगढ़, भिंड, खरगोन, इंदौर, खंडवा, मुरैना सहित अन्य जिले शामिल नहीं हैं। सदस्यों ने कहा, हम चंद्रप्रकाश टेंभरे को सदस्य नहीं मानते क्योंकि वे चुनाव प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरे इसलिहाज से उन्हें प्रातांध्यक्ष नहीं माना जा सकता है। वे रामनाथ सिंह सोलंकी के कार्यकाल खत्म होने के बाद वे खुद ही प्रांताध्यक्ष बन बैठे।
भोपाल।
सोमवार से शुरू हुई पटवारियों की हड़ताल प्रदेश भर में जारी रहेगी। पहले दिन शासन और मप्र पटवारी संघ के बीच चली करीब साढ़े तीन घंटे की चर्चा विफल रही। इसके बाद संघ ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया। हालांकि इस हड़ताल में केवल ३३ जिलों के पटवारी ही शामिल हैं।
प्रदेश में प्रदेश में ११६२२ पटवारियों के पद हैं, जिनमें से ९ हजार के लगभग पटवारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संघ के आव्हन पर यह सभी हड़ताल पर चले गए। इससे पहले संघ ने १४ मई से होने प्रदेशव्यापी हड़ताल का एलान किया था, लेकिन बाद में शासन से चर्चा का वक्त मिलने से निर्णय टाल दिया था। पटवारियों ने अपनी ५१ सूत्रीय मांगों को लेकर पूर्व में एक ज्ञापन भी उप प्रांताध्यक्ष हेमराज गवली के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम शासन को सौंपा था।
सोमवार को हड़ताल की पुष्टी होते हीए सभी जिलों में पटवारियों ने सरकारी रिकार्ड तहसीलदारों के हाथों सुपुर्द कर दिया। शिवराज प्रशासन की ओर से प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए बुलाया गया था। सीएम की ओर से पीएस मनोज श्रीवास्तव एवं हरिशंकर राव व राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव वार्ता के दौरान उपस्थित थे, जबकि मध्यप्रदेश पटवारी संघ की के प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश कार्यसमिति के 20 पदाधिकारी मौजूद थे। चर्चा करीब दोपहर 1 बजे से शुरू हुई जो 3.30 बजे तक चली, लेकिन लंबी चर्चा के बाद भी प्रतिनिधियों के हिसाब से बैठक बेनतीजा रही। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि पांच मांगों को स्वीकार किया जा रहा है हड़ताल समाप्त कर दें। पटवारी संघ के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश टेंभरे ने बताया, शासन के प्रतिनिधियों ने बैठक में पूर्व में दिए ज्ञापन को वापस लेने को कहा। जिसे हमने लेने से इंकार कर दिया। वहीं संघ ने आश्वासन लिखित में मांगा। शासन ने लिखित में आश्वासन देने से इंकार कर दिया। इसके बाद पटवारी संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। दूसरी और प्रशासन ने वार्ता सकारात्म रहने की बात कही है।
चर्चा में श्री टेंभरे के नेतृत्व में संघ के महामंत्री लालबहादुर सिंह पटेल, कार्यकारी अध्यक्ष हेमराज गोहगी, प्रांताध्यक्ष कोदर सिंह मोर्य मौजूद थे।
-यह हैं मांग
१. पटवारियों के गृह जिले से बाहर स्थानांतरण न किए जाएं।
२. गे्रज्युएट पटवारियों के लिए नायब तहसीलदार पद हेतु प्रतियोगी परीक्षा आयोजन का निर्णय शासन ले।
३. ३५०० के वेतन को बढ़ाकर ७ हजार किया जाए।
४. समय मान वेतन मान लागू किया जाए।
५. मुख्यमंत्री पटवारियों की पंचायत बुलाएं।
६. पटवारियों को पटवारी नहीं, बल्कि सहायक राजस्व अधिकारी पदनाम दिया जाए।
७. स्टेशनरी भत्ता, निश्चित यात्रा भत्ता दिया जाए व खन्ना समिति की अनुशंसा के अनुसार कार्यालय किराया दिया जाए।
-केवल 33 जिलों के पटवारी शामिल
-धड़ों में पटवारी संघ
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो धंड़ों में मप्र पटवारी संघ बंटा हुआ है। इसमें से एक धड़े के करीब 33 जिलों के पटवारी हड़ताल में शामिल हैं। हड़ताल में भोपाल जिले के पटवारी शामिल नहीं हैं।
श्री टेंभरे ने बताया, हड़ताल में जिन ३३ जिलों के पटवारी शामिल हैं। उन्होंने अपने बस्ते तहसीलदारों को सौंप दिए हैं। जिन जिलों के पटवारी इस हड़ताल में शामिल नहीं है, उनसे कहा गया है कि यदि संघ की मांग जायज हो तो समर्थन कर सकते हैं।
-ये जिले हड़ताल में नहीं
दो धड़ों में बटे संघ के सदस्यों में से राजधानी भोपाल सहित 20 जिलों के पटवारी इसमें शामिल नहीं हैं। हड़ताल में भोपाल राजगढ़, भिंड, खरगोन, इंदौर, खंडवा, मुरैना सहित अन्य जिले शामिल नहीं हैं। सदस्यों ने कहा, हम चंद्रप्रकाश टेंभरे को सदस्य नहीं मानते क्योंकि वे चुनाव प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरे इसलिहाज से उन्हें प्रातांध्यक्ष नहीं माना जा सकता है। वे रामनाथ सिंह सोलंकी के कार्यकाल खत्म होने के बाद वे खुद ही प्रांताध्यक्ष बन बैठे।
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