-63 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण के लिए रिवाईज किया स्टीमेंट
-71 स्थानों का चयन
भोपाल।
२०११-१२ में शासन से मद मिलने के बाद भी जिले में 200 आंगनबाडिय़ों में से ६३ के नवीन भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। शासन ने प्रत्येक भवन के लिए ३ लाख रुपए नगर निगम को दिए थे। अब संशोधित विवरणी तैयार ९ लाख रुपए प्रति भवन का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
ेप्रस्ताव महिला एवं बाल विकास विभाग ने लागत बढऩे से शासन को दिया है। दूसरी और नगर निगम के अधिकारियों ने भी तीन लाख रुपए में आंगनबाड़ी भवन का निर्माण होने से सीधे इंकार करेगा। जिले के निगम और ग्रामीण क्षेत्र में आंगनबाडिय़ों के निर्माण के लिए फंड दिया गया था। ग्रामीण में क्षेत्र में चिन्हित स्थानों पर तो भवनों का निर्माण हो गया, लेकिन शहरी क्षेत्र के 200 भवनों का निर्माण नहीं हो पाया। पूर्व में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ने पहले इन 200 भवनों के लिए 200 से अधिक स्थानों का चयन भी करके दिया था। बीते दो सालों में निगम सीमा में कुल 137 भवनों का निर्माण हो गया। इनमें से 54 भवनों में आंगनबाड़ी संचालित हो रही हैं, लेकिन 63 केंद्रों के लिए भवन निर्माण नहीं हो पाया है।
ेेनिर्माण के लिए जमीं नहीं
जिले 63 आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण न हो पाने में बढ़ी वजह इन्हें जमीं न मिल पाना है। जमीन को विवाद दो साल से चल रहा है, जो अब तक हल ही नहीं हो पाया है। इसके लिए नगर निगम, जिला प्रशासन व महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रयास किए। अंतत: परेशान होकर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने इन आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 71 नवीन स्थानों का चयन करके नगर निगम को सूची भेजी है। सूची भेजने का कारण, जिला कार्यक्रम अधिकारी बताते हैं, हम बाद में विवाद की स्थिति में नहीं उलझना चाहते हैं। 8 अतिरिक्त स्थानों का चयन इसीलिए ज्यादा किया है।
-इसलिए बढ़ी लागत
जिला कार्यक्रम अधिकारी नकी जहां कुरैशी ने कहा, दो साल पहले 300 वर्गफीट के क्षेत्र में निर्माण लागत 3 लाख रुपए आ रही थी। इस लागत में 137 आंगनबाड़ी भवन बने भी। निर्माण सामग्री की कीमत बढऩे से निर्माण लगात पर असर आ गया है। यही कारण है कि नगर निगम के अधिकारियों ने आंगनबाड़ी भवन का निर्माण 3 लाख रुपए में करने से मना कर दिया है। इसीलिए संशोधित विवरणी 9 लाख रुपए प्रति भवन के हिसाब से भेजा है।
-71 स्थानों का चयन
भोपाल।
२०११-१२ में शासन से मद मिलने के बाद भी जिले में 200 आंगनबाडिय़ों में से ६३ के नवीन भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। शासन ने प्रत्येक भवन के लिए ३ लाख रुपए नगर निगम को दिए थे। अब संशोधित विवरणी तैयार ९ लाख रुपए प्रति भवन का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
ेप्रस्ताव महिला एवं बाल विकास विभाग ने लागत बढऩे से शासन को दिया है। दूसरी और नगर निगम के अधिकारियों ने भी तीन लाख रुपए में आंगनबाड़ी भवन का निर्माण होने से सीधे इंकार करेगा। जिले के निगम और ग्रामीण क्षेत्र में आंगनबाडिय़ों के निर्माण के लिए फंड दिया गया था। ग्रामीण में क्षेत्र में चिन्हित स्थानों पर तो भवनों का निर्माण हो गया, लेकिन शहरी क्षेत्र के 200 भवनों का निर्माण नहीं हो पाया। पूर्व में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ने पहले इन 200 भवनों के लिए 200 से अधिक स्थानों का चयन भी करके दिया था। बीते दो सालों में निगम सीमा में कुल 137 भवनों का निर्माण हो गया। इनमें से 54 भवनों में आंगनबाड़ी संचालित हो रही हैं, लेकिन 63 केंद्रों के लिए भवन निर्माण नहीं हो पाया है।
ेेनिर्माण के लिए जमीं नहीं
जिले 63 आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण न हो पाने में बढ़ी वजह इन्हें जमीं न मिल पाना है। जमीन को विवाद दो साल से चल रहा है, जो अब तक हल ही नहीं हो पाया है। इसके लिए नगर निगम, जिला प्रशासन व महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रयास किए। अंतत: परेशान होकर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने इन आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 71 नवीन स्थानों का चयन करके नगर निगम को सूची भेजी है। सूची भेजने का कारण, जिला कार्यक्रम अधिकारी बताते हैं, हम बाद में विवाद की स्थिति में नहीं उलझना चाहते हैं। 8 अतिरिक्त स्थानों का चयन इसीलिए ज्यादा किया है।
-इसलिए बढ़ी लागत
जिला कार्यक्रम अधिकारी नकी जहां कुरैशी ने कहा, दो साल पहले 300 वर्गफीट के क्षेत्र में निर्माण लागत 3 लाख रुपए आ रही थी। इस लागत में 137 आंगनबाड़ी भवन बने भी। निर्माण सामग्री की कीमत बढऩे से निर्माण लगात पर असर आ गया है। यही कारण है कि नगर निगम के अधिकारियों ने आंगनबाड़ी भवन का निर्माण 3 लाख रुपए में करने से मना कर दिया है। इसीलिए संशोधित विवरणी 9 लाख रुपए प्रति भवन के हिसाब से भेजा है।
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