मंगलवार, 21 मई 2013

एक्सपर्ट व्यू

मप्र भू-राजस्व संहिता तथा भूमि विकास नियम एवं नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत प्रदेश में कहीं पर भी आवासीय या व्यवसायीक उपयोग के प्रयोजन हेतु कृषि भूमि का अथवा अन्य भूमि का डायर्वसन कराया जाना आवश्यक है। डायर्वसन के लिए भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों का पालन किया जाना आवश्यक है। किसी भी भूमि के डायर्वसन के पहले उक्त भूमि का खसरा एवं अक्स की प्रति के साथ नगर तथा ग्राम निवेश विभाग एवं अनुविभागीय अधिकारी को उक्त भूमि पर विकासित किए जाने वाले प्रोजेक्ट का ले-आउट एवं भूमि के स्वामित्व संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन किया जाता है। इसके बाद अनुविभागीय अधिकारी, नगर तथा ग्राम निवेेश विभाग से डायर्वसन के लिए संबंधित भूमि पर अनुमोदित अभिन्यास (ले-आउट) की प्रति एवं कॉलोनी विकास अनुमति प्रमाण-पत्र तथा भू-उपयोग प्रमाण-पत्र प्राप्त कर अनुमोति अभिन्यास की शर्तों को ध्यान में रख कर डायर्वसन की शर्तें अधिरोपित कर डायर्वसन आदेश पास करता है। इस आदेश और ले-आउट के साथ कॉलोनाइजर स्थानीय नगर निगम/पंचायत को कालोनी विकास अनुमति हेतु आवेदन करता है। परिक्षण के बाद स्थानीय निकाय कालोनी विकास अनुमति जारी करेगा। इसके बाद अनुमोदित अभिन्यास के अनुसार कालोनाइजर भू-खंडों को विकसित कर बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। विक्रय किए जा रहे भू-खंड का विक्रय पत्र का पंजीयन उप पंजीयक कार्यालय में करा सकेगा। 
-जो कालोनाइजर एवं बिल्डर इस प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित नहीं करता है। वह निश्चित तौर पर अवैध कालोनी का निर्माण कर रहा है तथा ऐसी कालोनियों के प्लाटों की रजिस्ट्री (पंजीयन) १ अप्रैल २०१३ के बाद से न किए जाने के आदेश शासन द्वारा जारी किया गया है। 
देवेन्द्र प्रकाश मिश्रा, 
अधिवक्ता एवं सूचना अधिकार कार्यकर्ता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें