बड़े तालाब में खुदाई के दौरान डूब में आई जमीन व वीआईपी रोड के निर्माण के दौरान नवाब की जमीन पर किए गए कब्जे पर नवाब के वारिसों द्वारा मुआवजा मांगा गया था। इसको लेकर कलेक्टर कोर्ट में चल रहे प्रकरणों को कोर्ट ने खारिज कर दिया था तथा कहा था कि नवाब के वारिसों का मुआवजे का कोई हक नहीं बनता है। यह फैसला गुरूवार को जिला प्रशासन की ओर से हाईकोर्ट में समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट जबलपुर के निर्देश पर कलेक्टर कोर्ट में चली इस मामले के फै सले के आदेश एसडीएम चंद्रमोहन मिश्रा ने हाईकोर्ट में गुरूवार को प्रस्तुत कर दिए हैं।
गौरतलब है कि स्वर्गीय नवाब पटौदी के वारिस शर्मिला टैगोर, सैफ अली ाान आदि ने वर्ष 2009 में हाईकोर्ट में मुआवजे के दावे लगाए थे। हाईकोर्ट ने जमीन के मुआवजे संबंधी प्रकरण होने के कारण यह दोनों प्रकरण वर्ष 2012 में कलेक्टर कोर्ट के पास भेज दिए थे। पहले प्रकरण में वर्ष 2009 में हुई बड़े तालाब की खुदाई के बाद 8 एकड़ जमीन डूब में आने का दावा करते हुए मांगा गया था तथा दूसरे प्रकरण में वीआईपी रोड निर्माण के दौरान भी नवाब की 53 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा होने का दावा करते हुए अरबों रूपए का मुआवजा मांगा गया था। कलेक्टर ने सुनवाई के बाद मई प्रथम सप्ताह में मुआवजे के दोनों दावे खारिज करते हुए आदेश पारित किए थे। आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि नवाब के वारिसों का मुआवजे का कोई हक नहीं बनता है। इन आदेशों के आधार पर हाईकोर्ट आगे की कार्रवाई शुरू करेगा।
मिली जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट जबलपुर के निर्देश पर कलेक्टर कोर्ट में चली इस मामले के फै सले के आदेश एसडीएम चंद्रमोहन मिश्रा ने हाईकोर्ट में गुरूवार को प्रस्तुत कर दिए हैं।
गौरतलब है कि स्वर्गीय नवाब पटौदी के वारिस शर्मिला टैगोर, सैफ अली ाान आदि ने वर्ष 2009 में हाईकोर्ट में मुआवजे के दावे लगाए थे। हाईकोर्ट ने जमीन के मुआवजे संबंधी प्रकरण होने के कारण यह दोनों प्रकरण वर्ष 2012 में कलेक्टर कोर्ट के पास भेज दिए थे। पहले प्रकरण में वर्ष 2009 में हुई बड़े तालाब की खुदाई के बाद 8 एकड़ जमीन डूब में आने का दावा करते हुए मांगा गया था तथा दूसरे प्रकरण में वीआईपी रोड निर्माण के दौरान भी नवाब की 53 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा होने का दावा करते हुए अरबों रूपए का मुआवजा मांगा गया था। कलेक्टर ने सुनवाई के बाद मई प्रथम सप्ताह में मुआवजे के दोनों दावे खारिज करते हुए आदेश पारित किए थे। आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि नवाब के वारिसों का मुआवजे का कोई हक नहीं बनता है। इन आदेशों के आधार पर हाईकोर्ट आगे की कार्रवाई शुरू करेगा।
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