गरीबी रेखा से नीचे वाले किसानों को मिलेगा लाभ
भोपाल।
कृषि को लाभ का धंधा बनाने में जुटी प्रदेश सरकार केंद्र की मनरेगा योजना के सहयोग से प्रदेश में एक अभिनव प्रयोग करने जा रही है। जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले किसानों को खुद के खेत में काम करने का पैसा मजदूरी के रूप में मिलेगा। यह प्रयोग सरकार प्रदेश के बड़वानी और मंडला जिलों में कर चुकी है। फिलहाल शहडोल में यह प्रयोग चल रहा है। इस योजना में सरकार का ध्यान खासतौर से ट्रायबल एरियों पर है। दरअसल सरकार का मानना है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले अधिकतर किसानों के पास जमीन तो है परंतु सिंचित जमीन न होने के कारण वह फसल नहीं ले पाते है।
ऐसे किसानों को सरकार अपने ही खेतों में मेढ़ बंधान, कुओं और छोटे तालाबों की खुदाई तथा समतलीकरण का कार्य करने पर मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी का भुगतान करेगी।
जानकारी के अनुसार,प्रदेश के बड़वानी और मंडला जिलों में यह प्रयोग किया जा चुका है। यहां किसानों ने अपने खेतों में कुओं तथा मेढ़ का निर्माण कर उपज में भारी वृद्धि दर्ज कराई है। प्रदेश के शहडोल जिले में तो इस योजना के अंतर्गत किसान गन्ने तक की फसल ले रहे है। इस जिले की कृषि उपज में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के एक दल को सरकार ने बड़वानी भेजा है। जहां वह इस योजना का अध्ययन करेगा। जानकारों एवं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कि इस योजना से जहां इन किसानों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा वहीं खेती का भौतिक रकबा भी बढ़ेगा एवं उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
इनका कहना
सरकार ने तय किया है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले किसानों को सरकार मनरेगा के तहत अपने ही खेत पर काम करने का पैसा देगी। इससे ऐसे कृषकों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।
अरूणा शर्मा
प्रमुख सचिव,पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
भोपाल।
कृषि को लाभ का धंधा बनाने में जुटी प्रदेश सरकार केंद्र की मनरेगा योजना के सहयोग से प्रदेश में एक अभिनव प्रयोग करने जा रही है। जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले किसानों को खुद के खेत में काम करने का पैसा मजदूरी के रूप में मिलेगा। यह प्रयोग सरकार प्रदेश के बड़वानी और मंडला जिलों में कर चुकी है। फिलहाल शहडोल में यह प्रयोग चल रहा है। इस योजना में सरकार का ध्यान खासतौर से ट्रायबल एरियों पर है। दरअसल सरकार का मानना है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले अधिकतर किसानों के पास जमीन तो है परंतु सिंचित जमीन न होने के कारण वह फसल नहीं ले पाते है।
ऐसे किसानों को सरकार अपने ही खेतों में मेढ़ बंधान, कुओं और छोटे तालाबों की खुदाई तथा समतलीकरण का कार्य करने पर मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी का भुगतान करेगी।
जानकारी के अनुसार,प्रदेश के बड़वानी और मंडला जिलों में यह प्रयोग किया जा चुका है। यहां किसानों ने अपने खेतों में कुओं तथा मेढ़ का निर्माण कर उपज में भारी वृद्धि दर्ज कराई है। प्रदेश के शहडोल जिले में तो इस योजना के अंतर्गत किसान गन्ने तक की फसल ले रहे है। इस जिले की कृषि उपज में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के एक दल को सरकार ने बड़वानी भेजा है। जहां वह इस योजना का अध्ययन करेगा। जानकारों एवं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कि इस योजना से जहां इन किसानों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा वहीं खेती का भौतिक रकबा भी बढ़ेगा एवं उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
इनका कहना
सरकार ने तय किया है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले किसानों को सरकार मनरेगा के तहत अपने ही खेत पर काम करने का पैसा देगी। इससे ऐसे कृषकों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।
अरूणा शर्मा
प्रमुख सचिव,पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
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