बुधवार, 22 मई 2013

अवैध उत्खनन पर 94 लाख का जुर्माना


 - स्वीकृत क्षेत्र से अधिक पर उत्खनन करना पड़ा महंगा
 - लीजधारक पर बने थे तीन प्रकरण
भोपाल। जिले में अवैध खनिज उत्खनन के मामले में कलेक्टर न्यायालय ने लीजधारक पर 95 लाख रुपए का जुर्माना किया है। यह आदेश स्वीकृत क्षेत्र से अधिक में उत्खनन करने के मामले में जारी किया गया है।
अवैध खनन का काम परवलिया सड़क क्षेत्र में किया गया था। बताया जा रहा है कि पिछले पांच सालों में किसी व्यक्ति पर लगाया गया यह सर्वाधिक जुर्माना है। कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट से दिए इस फैसल में लीजधारक आहसील अली 94 लाख 27 हजार 460 रुपए का अर्थदण्ड लगाते हुए खनिज अधिकारी को एक माह में इस राशि की वसूली करने के निर्देश दिए हैं। आदेश में बताया गया है कि जिला खनिज अधिकारी ने वर्ष 2009 -10 में खनिज अधिकारी ने लीजधारक आहसीन अली  िालाफ अलग-अलग तीन प्रकरण बनाए थे, लेकिन तीनों प्रकरण एक ही व्यक्ति के विरूद्ध होने के कारण उनका निराकरण एक साथ किया गया है।

-रायल्टी और अवैध उत्खनन पर दोगुना जुर्माना 
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि आहसीन अली ने स्वीकृत क्षेत्र में जमा रायल्टी से अधिक पर खनिज उत्खनन तथा अस्वीकृत क्षेत्र में अवैध उत्खनन किया है। इसके चलते लीजधारक द्वारा जमा रॉयल्टी के विरूद्ध किए गए अधिक उत् ानन की रायल्टी राशि 41 लाख 59 हजार रुपए बनती है। यहीं नहीं अस्वीकृत क्षेत्र में किए गए अवैध उत्खनन पर मप्र भू-राजस्व संहिता की धाराओं के तहत किए गए उत्खनन पर बाजार मूल्य का दोगुना अर्थदण्ड राशि 52 लाख 67 हजार रुपए जुर्माना आरोपित किया गया है। इस तरह कोर्ट ने कुल 94 लाख 27 हजार 460 रुपए का जुर्माना तय किया। यहीं आदेश में खनिज अधिकारी को वसूली के निर्देश भी दिए हैं।

-यह बने थे प्रकरण -
 -  परवलिया सड़क के  ासरा क्रमांक 510/1 के खदान क्षेत्र में जब नाप की गई थी तो इस खदान से 75600 घनमीटर पत्थर एवं गिट्टी तथा 10800 घनमीटर मुरम व कोपरा का उत्खनन पाया गया था, जबकि लीजधारक के दस्तावेजों में लीज स्वीकृति दिनांक से केवल 13846 घनमीटर उत्खनन ही दर्शाया गया था। इस तरह लीजधारक ने 72 हजार 554 घन मीटर अधिक उत्खनन किया।
 - खसरा नंबर - 500 में स्वीकृत खदान से कितने खनिज का उत्खनन किया गया है। इसकी जानकारी ही लीजधारक द्वारा नहीं दी गई। यही नहीं यहां पर भी आवश्यकता से अधिक घनमीटर में खुदाई पाई गई। इसके अतिरिक्त जांच में लीजधारक ने स्वीकृत क्षेत्र के चारों ओर सीमा स्तं ा भी नहीं लगाए थे और खदान का कर निर्धारण भी नहीं कराया था। यहीं नहीं तीसरे प्रकरण में खसरा नंबर 104 की जमीन से भी अधिक उत्खनन की पुष्टि हुई है।
    वर्ष 2010 में तहसीलदार चंद्रशेखर श्रीवास्तव ने भी कलेक्टर श्री श्रीवास्तव के कहने पर इन तीनों मामलों की जांच की ओर प्रकरण में अवैध उत्खनन होने की पुष्टि की। तहसीलदार के नेतृत्व में बने जांच दल के खनिज खदान का दो बार सीमांकन किया था, इसके बाद ही यह पुष्टि की थी।

-अस्वीकृत क्षेत्र में ाुदाई का खुला था राज 
जांच में सामने आया था कि लीजधारक आहसीन अली ने लीज की जमीन पर ही नहीं बल्कि अस्वीकृत क्षेत्र में भी अवैध उत्खनन किया था। यह क्षेत्र खसरा नंबर - 509, 518, 520 के हैँ। यहां से लीजधारक ने मुरम व पत्थर का उत्खनन किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें