-गेहूं खरीदी के आखरी दिन हुई २०० मीट्रिक टन की खरीदी
-लक्ष्य था २ लाख मीट्रिक टन का
-अंतिम दिन होनी थी साढ़े 18 हजार मीट्रिक टन खरीदी
भोपाल।
प्रशासन द्वारा दो बार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी लक्ष्य में संशोधित करने के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। जिले में संशोधन के बाद लक्ष्य २ लाख मीट्रिक टन रखा गया था। अंतिम दिन साढ़े १८ हजार मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता थी।
शनिवार को गेहूं खरीदी की अंतिम तिथि थी। देर शाम तक मिले आंकड़ों के अनुसार 1 लाख ८1 हजार 498 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो सकी है। जिला इस बार लक्ष्य के अनुसार खरीदी में पिछड़ गया है, जबकि प्रशासन ने उपतकर लक्ष्य को दो बार संशोधित किया था। जिले में ४७ उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी हुई। इसमें भोपाल जिले में करीब 26 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। उपार्जन केंद्रों की इस बार संख्या बढ़ाई गई थी। बावजूद इसके अन्नदाताओं ने सरकारी खरीदी केन्द्रों पर रुचि नहीं दिखाई।
-बीते साल था अच्छा रिकार्ड
बीते साल उपार्जन केंद्रों पर सुविधाएं न होने के बाद भी जहां 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था। इस बार पहले से बेहतर सुविधाएं होने के बाद 1 लाख 81 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदी ही हो पाई है। यह रिकार्ड के अनुसार अच्छा नहीं रहा। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो गेहूं के भाव में उछाल आने का असर सीधा उपार्जन पर पड़ा है। पिछले दो वर्षों में जहां गेहंू खरीदी के लिए समय-सीमा बढ़ानी पड़ती थी, वहीं इस बार यह स्थिति देखने को नहीं मिली। समर्थन मूल्य पर बेचने के बजाय, मंडियों में 1700 से 1800 रुपए में गेहूं बेचा। बाजार में किसानों को गेहूं की अच्छी रकम मिल रही है।
-लक्ष्य था २ लाख मीट्रिक टन का
-अंतिम दिन होनी थी साढ़े 18 हजार मीट्रिक टन खरीदी
भोपाल।
प्रशासन द्वारा दो बार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी लक्ष्य में संशोधित करने के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। जिले में संशोधन के बाद लक्ष्य २ लाख मीट्रिक टन रखा गया था। अंतिम दिन साढ़े १८ हजार मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता थी।
शनिवार को गेहूं खरीदी की अंतिम तिथि थी। देर शाम तक मिले आंकड़ों के अनुसार 1 लाख ८1 हजार 498 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो सकी है। जिला इस बार लक्ष्य के अनुसार खरीदी में पिछड़ गया है, जबकि प्रशासन ने उपतकर लक्ष्य को दो बार संशोधित किया था। जिले में ४७ उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी हुई। इसमें भोपाल जिले में करीब 26 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। उपार्जन केंद्रों की इस बार संख्या बढ़ाई गई थी। बावजूद इसके अन्नदाताओं ने सरकारी खरीदी केन्द्रों पर रुचि नहीं दिखाई।
-बीते साल था अच्छा रिकार्ड
बीते साल उपार्जन केंद्रों पर सुविधाएं न होने के बाद भी जहां 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था। इस बार पहले से बेहतर सुविधाएं होने के बाद 1 लाख 81 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदी ही हो पाई है। यह रिकार्ड के अनुसार अच्छा नहीं रहा। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो गेहूं के भाव में उछाल आने का असर सीधा उपार्जन पर पड़ा है। पिछले दो वर्षों में जहां गेहंू खरीदी के लिए समय-सीमा बढ़ानी पड़ती थी, वहीं इस बार यह स्थिति देखने को नहीं मिली। समर्थन मूल्य पर बेचने के बजाय, मंडियों में 1700 से 1800 रुपए में गेहूं बेचा। बाजार में किसानों को गेहूं की अच्छी रकम मिल रही है।
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