भोपाल ।। भारतीय जनता पार्टी के पांच साल के शासनकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके मंत्रियों, भाजपा नेताओं ने भ्रष्टाचारियों और सत्ता के दलालों से सांठगांठ कर 1 लाख 46 हजार 77 करोड़ का घोटाला कर मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार का एक नया इतिहास बनाया। प्रदेश के इतिहास में इस सबसे बड़े घोटाले की शिवराज सरकार ने प्रदेश को ब्यानवे हजार करोड़ रूपये का कर्जदार बना दिया। स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का दावा करने वाले खुद स्वर्णिम बन गए और प्रदेश को कंगाल बना दिया।
32 पेज की पुस्तिका में आरोप ही आरोप :
रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में यह आरोप लगाते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप पत्र 2009-2013 जारी किया। इस मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश, केन्द्रीय मंत्री एवं पर्यवेक्षक हरीश रावत, अखिल भारतीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी राकेश कालिया, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया मौजूद थे। इस अवसर पर प्रदेश प्रभारी मोहनप्रकाश ने पत्रकारों के उन सवालों के जवाब देने से इंकार कर दिया, जो कि टिकट वितरण से संबंधित थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज सिर्फ आरोप पत्र पर ही चर्चा होगी किसी अन्य बिन्दु पर कोई बात नहीं होगी। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 1990 में भाजपा ने जो घोटाले किये थे उसकी जांच की गई थी, मगर भाजपा सरकार ने उस पर कोई कार्यवाही नहीं की। सिंह ने 32 पेज का आरोप पत्र पेश किया है। इस आरोप पत्र में भाजपा के विकास का झूठा दावा, भाजपा की कथनी और करनी में अंतर, सैया भय कोतवाल अब डर काहे का, मंत्रियों के घोटाले, भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार की खुली लूट, घोषणा वीर मुख्यमंत्री घोटाले ही घोटाले आदि बिन्दुओं पर ये पुस्तक केंद्रित है। इस पुस्तिका में बिन्दुवार आरोपों का खुलासा किया गया है। सिंह ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जो आरोप लगाये गये थे उनको भी आरोप पत्र में शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप :
आरोप पत्र समिति के अध्यक्ष अजय सिंह ने भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप-पत्र जारी करते हुए यह खुलासा किया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके परिजनों सहित मंत्रियों ने भरपूर घोटाले किये हैं, उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में भाजपा और शिवराज सिंह चौहान का एक ही उद्देश्य मिलकर लूटो मध्यप्रदेश। प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ पहली बार इतना बड़ा धोखा हुआ है जो भाजपा सरकार ने उसके साथ किया।
भाजपा सरकार में घोटाले ही घोटाले :
आरोप-पत्र में सत्रह प्रमुख घोटालों का जिक्र किया गया है। इनमें नागेन्द्र सिंह के भतीजों द्वारा मनरेगा में तीस करोड़ रूपये का घोटाला, बिना टेंडर की बिजली खरीदी में बत्तीस हजार एक सौ नौ करोड़ रूपये का घोटाला, समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में सवा तीन करोड़ रुपये का घोटाला, पिछले तीन साल में पड़े छापों में एक हजार इकत्तीस करोड़ रुपये की काली कमाई, लोक निर्माण विभाग में बीस करोड़ का घोटाला, कुपोषण दूर करने के नाम पर छः सौ करोड़ रुपये का घोटाला, अवैध उत्खनन कर पचास हजार करोड़ की काली कमाई, सरकारी खजाने में 50 हजार करोड़ की हेराफेरी, दीनदयाल उपचार योजना में पैंसठ करोड़ रुपये का घोटाला, स्वास्थ्य विभाग में पांच सौ करोड़ का दवा घोटाला, किसानों की कर्ज माफी में एक सौ आठ करोड़ रूपये का घोटाला, जल संसाधन विभाग में नियम विरुद्ध टेंडर मंजूर करने में पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला, मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान में छियात्तर करोड़ रुपये का घोटाला, गेमन इंडिया को सरकारी जमीन देने में पांच हजार दो सौ पचास करोड़ रुपये का घोटाला, तेंदूपत्ता बोनस वितरण में दो सौ साठ करोड़ रुपये का घोटाला, देवपुत्र और ब्लेक बोर्ड पुताई में पच्चीस करोड़ रुपये घोटाले के साथ ही चुनाव के मात्र एक हफ्ते पूर्व पंचायत विभाग में एक हजार करोड़ घोटाला करने का आरोप भाजपा पर लगाया गया है।
सीएम के परिजनों ने भी लूटा प्रदेश को :
आरोप-पत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिजनों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी भी दी गई है। इसमें मुख्यमंत्री की पत्नी द्वारा विदिशा में अवैध रूप से गोदाम बनाने, डम्पर के नाम पर भ्रष्ट कमाई करने, मुख्यमंत्री के साले और भतीजे द्वारा नियम विरुद्ध ठेकेदारी का पंजीयन कराने, साले द्वारा कौड़ियों के मोल लाखों का बंगला खरीदने गृह निर्माण सोसायटी के अवैधानिक रुप से लोगों के प्लाट हड़पने और बुधनी में मुख्यमंत्री के भाई, भतीजों द्वारा आदिवासियों एवं अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन जबरन खरीदने की जानकारी दी गई है।
मंत्रियो पर लोकायुक्त में मुकादमें दर्ज :
आरोप-पत्र में प्रदेश सरकार के चौदह वर्तमान एवं पूर्व मंत्रियों पर लोकायुक्त के दर्ज प्रकरणों की जानकारी देने के साथ ही लोकायुक्त द्वारा सार्वजनिक रूप से यह बयान देने का उल्लेख है कि सरकार लोकायुक्त में दर्ज मंत्रियों की जांच करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रही है। आरोप-पत्र में मुख्यमंत्री की घोषणाओं का हश्र क्या हुआ इसकी जानकारी दी गई है जिसमें अधिकांश ऐसी घोषणाएं है जो किसानों को लुभाने के लिए की गई लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। शिवराज सरकार की कथनी-करनी का उदाहरण पेश किए गए है। आरोप-पत्र में बताया गया है कि किस तरह व्यवसायिक शिक्षा में व्यापमं जैंसे घोटाले कर और शासकीय नौकरियों में भ्रष्टाचार कर प्रदेश के बीस लाख युवा बेरोजगारों को छला गया। किसानों के साथ अल्पसंख्यकों के साथ, मजदूरों को पिछले पांच साल में सिर्फ धोखा दिया गया।
केंद्र की राशि का दुरूपयोग :
केन्द्र से मिली राशि का भ्रष्टाचार में उपयोग- कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को चार लाख उनचालिस हजार चार सौ सात करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त हुई, लेकिन सरकार ने इस पूरी राशि का दुरुपयोग किया और इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। इतने बड़े पैमाने पर मिली इस राशि का अगर यह सरकार विकास पर खर्च करती तो सचमुच ही यह प्रदेश स्वर्णिम बन जाता और प्रदेश बयानवे हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबने से बच जाता।
सरकार भ्रष्ट जनता त्रस्त :
भाजपा नेता कहते है सरकार भ्रष्ट और जनता त्रस्त है- कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी आरोप-पत्र में कहा कि जो बातें इस दस्तावेज में कहीं गई है उसकी पुष्टि स्वयं वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री उमा भारती ने की है। इसके साथ भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी में हाशिए पर डाल दिए गए लालकृष्ण आडवाणी ने स्वयं अपनी चिट्ठी में माना कि भाजपा अपने रास्ते और सिद्धांतों से भटक गई है। इसके अलावा प्रदेश के मंत्रियों, भाजपा नेताओं ने समय-समय पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
भाजपा सरकार में हुए घपलें, घोटालें :
स.क्र. राशि
1 नागेन्द्र सिंह के भतीजों ने बरमेंद्र एग्रोटेक कंपनी के माध्यम
से मनरेगा में अपनी निजी नर्सरी से पौधे बेंच दिए 30 करोड़ रूपये
2 बिना टेंडर के महंगी बिजली खरीदी घोटाला 32109 करोड़ रूपये
3 बुंदेलखंड में सागर, टीकमगढ़ और बीना में समर्थन मूल्य
पर की गई गेहूं खरीदी में गायब गेहूं 3.25 करोड़ रूपये
4 2010 से अब तक पड़े छापों में मिली काली कमाई 1031.25 करोड़ रूपये
5 पी.डब्ल्यू.डी. में घोटाला 20 करोड़ रूपये
6 कुपोषण दूर करने के नाम पर घोटाला 600 करोड़ रूपये
7 पूरे प्रदेश में अवैध उत्खनन 50 हजार करोड़ रूपये
8 पिछले दस वर्षों में म.प्र. में सरकारी खजाने की हेरा-फेरी 50 हजार करोड़ रूपये
9 दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना में 65 करोड़ रूपये
10 स्वास्थ्य विभाग में दवा घोटाला 500 करोड़ रूपये
11 किसानों का कर्जा माफ करने के नाम पर घोटाला 108 करोड़ रूपये
12 जल संसाधन विभाग में घोटाला 5000 करोड़ रूपये
13 स्वेच्छानुदान में घोटाला 76 करोड़ रूपये
14 गेमन घोटाला 5250 करोड़ रूपये
15 तेंदूपत्ता घोटाला 260 करोड़ रूपये
16 देवपुत्र और ब्लेक बोर्ड पुताई घोटाला 25 करोड़ रूपये
17 पंचायत विभाग में कम्प्यूटर और ई-सेंटर बनाने के नाम पर घोटला 1000 करोड़ रूपये
कुल- 146077.5 करोड़ रुपये
32 पेज की पुस्तिका में आरोप ही आरोप :
रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में यह आरोप लगाते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप पत्र 2009-2013 जारी किया। इस मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश, केन्द्रीय मंत्री एवं पर्यवेक्षक हरीश रावत, अखिल भारतीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी राकेश कालिया, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया मौजूद थे। इस अवसर पर प्रदेश प्रभारी मोहनप्रकाश ने पत्रकारों के उन सवालों के जवाब देने से इंकार कर दिया, जो कि टिकट वितरण से संबंधित थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज सिर्फ आरोप पत्र पर ही चर्चा होगी किसी अन्य बिन्दु पर कोई बात नहीं होगी। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 1990 में भाजपा ने जो घोटाले किये थे उसकी जांच की गई थी, मगर भाजपा सरकार ने उस पर कोई कार्यवाही नहीं की। सिंह ने 32 पेज का आरोप पत्र पेश किया है। इस आरोप पत्र में भाजपा के विकास का झूठा दावा, भाजपा की कथनी और करनी में अंतर, सैया भय कोतवाल अब डर काहे का, मंत्रियों के घोटाले, भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार की खुली लूट, घोषणा वीर मुख्यमंत्री घोटाले ही घोटाले आदि बिन्दुओं पर ये पुस्तक केंद्रित है। इस पुस्तिका में बिन्दुवार आरोपों का खुलासा किया गया है। सिंह ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जो आरोप लगाये गये थे उनको भी आरोप पत्र में शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप :
आरोप पत्र समिति के अध्यक्ष अजय सिंह ने भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप-पत्र जारी करते हुए यह खुलासा किया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके परिजनों सहित मंत्रियों ने भरपूर घोटाले किये हैं, उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में भाजपा और शिवराज सिंह चौहान का एक ही उद्देश्य मिलकर लूटो मध्यप्रदेश। प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ पहली बार इतना बड़ा धोखा हुआ है जो भाजपा सरकार ने उसके साथ किया।
भाजपा सरकार में घोटाले ही घोटाले :
आरोप-पत्र में सत्रह प्रमुख घोटालों का जिक्र किया गया है। इनमें नागेन्द्र सिंह के भतीजों द्वारा मनरेगा में तीस करोड़ रूपये का घोटाला, बिना टेंडर की बिजली खरीदी में बत्तीस हजार एक सौ नौ करोड़ रूपये का घोटाला, समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में सवा तीन करोड़ रुपये का घोटाला, पिछले तीन साल में पड़े छापों में एक हजार इकत्तीस करोड़ रुपये की काली कमाई, लोक निर्माण विभाग में बीस करोड़ का घोटाला, कुपोषण दूर करने के नाम पर छः सौ करोड़ रुपये का घोटाला, अवैध उत्खनन कर पचास हजार करोड़ की काली कमाई, सरकारी खजाने में 50 हजार करोड़ की हेराफेरी, दीनदयाल उपचार योजना में पैंसठ करोड़ रुपये का घोटाला, स्वास्थ्य विभाग में पांच सौ करोड़ का दवा घोटाला, किसानों की कर्ज माफी में एक सौ आठ करोड़ रूपये का घोटाला, जल संसाधन विभाग में नियम विरुद्ध टेंडर मंजूर करने में पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला, मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान में छियात्तर करोड़ रुपये का घोटाला, गेमन इंडिया को सरकारी जमीन देने में पांच हजार दो सौ पचास करोड़ रुपये का घोटाला, तेंदूपत्ता बोनस वितरण में दो सौ साठ करोड़ रुपये का घोटाला, देवपुत्र और ब्लेक बोर्ड पुताई में पच्चीस करोड़ रुपये घोटाले के साथ ही चुनाव के मात्र एक हफ्ते पूर्व पंचायत विभाग में एक हजार करोड़ घोटाला करने का आरोप भाजपा पर लगाया गया है।
सीएम के परिजनों ने भी लूटा प्रदेश को :
आरोप-पत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिजनों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी भी दी गई है। इसमें मुख्यमंत्री की पत्नी द्वारा विदिशा में अवैध रूप से गोदाम बनाने, डम्पर के नाम पर भ्रष्ट कमाई करने, मुख्यमंत्री के साले और भतीजे द्वारा नियम विरुद्ध ठेकेदारी का पंजीयन कराने, साले द्वारा कौड़ियों के मोल लाखों का बंगला खरीदने गृह निर्माण सोसायटी के अवैधानिक रुप से लोगों के प्लाट हड़पने और बुधनी में मुख्यमंत्री के भाई, भतीजों द्वारा आदिवासियों एवं अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन जबरन खरीदने की जानकारी दी गई है।
मंत्रियो पर लोकायुक्त में मुकादमें दर्ज :
आरोप-पत्र में प्रदेश सरकार के चौदह वर्तमान एवं पूर्व मंत्रियों पर लोकायुक्त के दर्ज प्रकरणों की जानकारी देने के साथ ही लोकायुक्त द्वारा सार्वजनिक रूप से यह बयान देने का उल्लेख है कि सरकार लोकायुक्त में दर्ज मंत्रियों की जांच करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रही है। आरोप-पत्र में मुख्यमंत्री की घोषणाओं का हश्र क्या हुआ इसकी जानकारी दी गई है जिसमें अधिकांश ऐसी घोषणाएं है जो किसानों को लुभाने के लिए की गई लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। शिवराज सरकार की कथनी-करनी का उदाहरण पेश किए गए है। आरोप-पत्र में बताया गया है कि किस तरह व्यवसायिक शिक्षा में व्यापमं जैंसे घोटाले कर और शासकीय नौकरियों में भ्रष्टाचार कर प्रदेश के बीस लाख युवा बेरोजगारों को छला गया। किसानों के साथ अल्पसंख्यकों के साथ, मजदूरों को पिछले पांच साल में सिर्फ धोखा दिया गया।
केंद्र की राशि का दुरूपयोग :
केन्द्र से मिली राशि का भ्रष्टाचार में उपयोग- कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को चार लाख उनचालिस हजार चार सौ सात करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त हुई, लेकिन सरकार ने इस पूरी राशि का दुरुपयोग किया और इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। इतने बड़े पैमाने पर मिली इस राशि का अगर यह सरकार विकास पर खर्च करती तो सचमुच ही यह प्रदेश स्वर्णिम बन जाता और प्रदेश बयानवे हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबने से बच जाता।
सरकार भ्रष्ट जनता त्रस्त :
भाजपा नेता कहते है सरकार भ्रष्ट और जनता त्रस्त है- कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी आरोप-पत्र में कहा कि जो बातें इस दस्तावेज में कहीं गई है उसकी पुष्टि स्वयं वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री उमा भारती ने की है। इसके साथ भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी में हाशिए पर डाल दिए गए लालकृष्ण आडवाणी ने स्वयं अपनी चिट्ठी में माना कि भाजपा अपने रास्ते और सिद्धांतों से भटक गई है। इसके अलावा प्रदेश के मंत्रियों, भाजपा नेताओं ने समय-समय पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
भाजपा सरकार में हुए घपलें, घोटालें :
स.क्र. राशि
1 नागेन्द्र सिंह के भतीजों ने बरमेंद्र एग्रोटेक कंपनी के माध्यम
से मनरेगा में अपनी निजी नर्सरी से पौधे बेंच दिए 30 करोड़ रूपये
2 बिना टेंडर के महंगी बिजली खरीदी घोटाला 32109 करोड़ रूपये
3 बुंदेलखंड में सागर, टीकमगढ़ और बीना में समर्थन मूल्य
पर की गई गेहूं खरीदी में गायब गेहूं 3.25 करोड़ रूपये
4 2010 से अब तक पड़े छापों में मिली काली कमाई 1031.25 करोड़ रूपये
5 पी.डब्ल्यू.डी. में घोटाला 20 करोड़ रूपये
6 कुपोषण दूर करने के नाम पर घोटाला 600 करोड़ रूपये
7 पूरे प्रदेश में अवैध उत्खनन 50 हजार करोड़ रूपये
8 पिछले दस वर्षों में म.प्र. में सरकारी खजाने की हेरा-फेरी 50 हजार करोड़ रूपये
9 दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना में 65 करोड़ रूपये
10 स्वास्थ्य विभाग में दवा घोटाला 500 करोड़ रूपये
11 किसानों का कर्जा माफ करने के नाम पर घोटाला 108 करोड़ रूपये
12 जल संसाधन विभाग में घोटाला 5000 करोड़ रूपये
13 स्वेच्छानुदान में घोटाला 76 करोड़ रूपये
14 गेमन घोटाला 5250 करोड़ रूपये
15 तेंदूपत्ता घोटाला 260 करोड़ रूपये
16 देवपुत्र और ब्लेक बोर्ड पुताई घोटाला 25 करोड़ रूपये
17 पंचायत विभाग में कम्प्यूटर और ई-सेंटर बनाने के नाम पर घोटला 1000 करोड़ रूपये
कुल- 146077.5 करोड़ रुपये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें