सोमवार, 18 नवंबर 2013

सोमयज्ञ में मिले देश के लिए शुभ संकेत

-आज यज्ञ का अंतिम दिन, नर्मदा में होगा स्नान 
भोपाल। 
आने वाले दिनों में भारत नई ऊंचाईयां प्राप्त करेगा। विश्व मंच पर अद्वितीय ख्याति रखने वाले हिन्दुस्तान का सीना ओर चौड़ा होगा। प्राकृति महरबान रहेगी। यह बात किसी ने कही नहीं, बल्कि इसके संकेत माधव आश्रम में चल रहे वाजपेय सोमयज्ञ में स-प्रमाण देखने को मिले। दरअसल, चारों वेदों में अंक 7 (सात) को जल, थल, नभ सभी स्थान के लिए शुभ माना है। इसके दर्शन सोमयज्ञ में शनिवार को हुए। 
यज्ञ के अध्वर्यु सुनील लिमये ने इस बारे में बताया, देश को इसके सकारात्मक और शुभ फलदायी परिणाम देखने को मिलेंगे। सनातन वैदिक संस्कृति में 7 के अंक को सबसे शुभ माना गया है। जैसे सात प्रकार के आकाश, सात पाताल, सप्त ऋषि और सात दिन का सप्ताह होता है। उसी प्रकार अन्य प्रयोजनों में भी सप्त कलश, सप्त कन्या और अंक गणित अकाट्य 7 का अंक सर्वाधिक शुभ संकेतक माना गया है। प्रमुख यजमान के रूप में गोवा से आए पं. बल्लाल आप्टे ने यज्ञ प्रवर्ग्य के दौरान उज्जवल हुर्इं   ज्वाला के बारे में कहा, ऐसा नजारा जीवन में पहले कभी नहीं देखा। यह प्रदेश और देश के लिए शुभसंकेत है। जिसने इसके दर्शन किए वह धन्य हैं। 

-नहीं आएगी प्राकृतिक आपदा 
सोमयज्ञ को आश्रम की संचालिका नलिनी माधवजी ने नित मिल रहे नए प्रमाणों को देश और प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से बचाव का सुरक्षा कवच बताया। उन्होंने कहा, देश में प्राकृति आपदाएं नहीं आएंगी। इससे प्रकृतिक का असंतुलन बना रहेगा। वहीं सुनामी, भूकंप और बाढ़ आपदा पर काबू रहेगा। वे बोलीं-सोमयज्ञ का सकारात्मक प्रभाव सैकड़ों वर्षों तक रहता है। तीन साल पहले हुए षोडशी सोमयज्ञ भी इसका एक उदाहरण हैं। उन्होंने बताया, 2010 में षोडशी सोमयज्ञ से पहले आश्रम के सेवकों लारा भोपाल के बड़े तालाब में श्रमदान कर उसका गहरीकरण किया था। प्रदेश में बीते दो सालों से भर पूर बारिश हो रही है। आज भरपूर पानी है। 

प्रकृति है वाजपेयी 
श्री आप्टे ने कहा, मूलत: संस्कृत शब्द वाज का प्रयोग जीवन के रस, तेज, गति या बल के रूप में किया गया है। जिस तरह वर्षा ऋतु में प्रकृति को वाज प्राप्त होता है और उससे प्राणी जगत को शक्ति मिलती है, उसी तरह अन्न के रूप में मनुष्य को वाज मिलता है। उन्होंने कहा, प्रकृति के भीतर सभी ऋतुएं वाजवती और सभी तत्व वाजपेयी और शक्तिवान हैं। वहीं यज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. विवेक पोतदार ने नित्य अग्निहोत्र का महत्व बताया। उन्होंने कहा, हम प्रतिदिन अपने घर में अग्निहोत्र आसानी से कर सकते हैं। इससे अपने घर का ही नहीं, बल्कि आस पड़ोस का वातावरण शुद्ध होगा। अग्निहोत्र को दैनिक आचरण में शामिल किया जाए तो जीवन बदल जाएगा। 

कल होगा स्नान 
आयोजन समिति के सदस्य जीपी मालवीय ने बताया, रविवार को यज्ञ का अंतिम दिन है। इसके बाद सोमवार को सभी आचार्य, आयोजक और श्रद्धालु नित्य सुबह यज्ञस्थल पर अग्निहोत्र के बाद शाहगंज के लिए बसों रवना होंगे। यहां नर्मदा जल में अवगृथ स्नान की प्रकिया पूरी होंगी। वहीं शाम को यज्ञार्पण की अंतिम प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। 

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