-सोमयज्ञ के लिए हुई विशेष प्रचार सभा
-हुआ 21 पात्रों में सामूहिक अग्निहोत्र
भोपाल।
वेदिक यज्ञ और शास्त्रों की ऋचाओं के साथ यज्ञादि के आयोजन में हिंसा या पशुबलि का कोई स्थान नहीं। वैदिक यज्ञों में इस तरह की क्रियाएं यज्ञकर्ताओं द्वारा स्वयं अथवा अन्य हितों के चलते ही अपनाई गई हैं। यह बात माधव आश्रम बैरागढ़ से आये विश्वभर में अग्निहोत्र संदेष्टा और वरिष्ठ प्रचारक जयंत पोतदार ने कही। वह रविवार को करोंद स्थित शांतिनगर कालोनी में सोमयज्ञ की तैयारियों को लेकर आयोजित विशेष प्रचार सभा में उपस्थित थे।
उन्होंने वेदोक्त पद्धति द्वारा 13 नवंबर से शुरू हो रहे वाजपेय सोमयज्ञ की तैयारियों का जायजा लिया तथा सभा में आए सैकड़ों श्रद्धालुओं को नित्य अग्निहोत्र आचरण अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा-मानव रक्षा के लिए नित्य अग्निहोत्र आचरण को सबसे महत्वपूर्ण साधन निरूपित करते हुए लोगों से कहा, प्रतिदिन दोनों समय अग्निहोत्र करके न केवल अपना लोक-परलोक सुधारा जा सकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को सुसंस्कारों से संस्कारित ाी किया जा सकता है। इस अवसर पर प्रचार स ाा के आयोजक और वरिष्ठ आचरणकर्ता हर ाजन मीना अग्निहोत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को जीवन में अग्निहोत्र का महत्व और इस आचरण से जीवन में मिलने वाली अप्रत्याशित ला ादायक उपलब्धियों के संबंध में जानकारी दी। स ाा को संबोधित करते हुए करोंद के वरिष्ठ प्रचारक बदनसिंह ठाकुर ने अग्निहोत्र के पांच नियमों से अवगत कराया। सुशीला साहू ने स्वामि तू कितना अपर पार गीत के माध्यम से सदगुरू का वंदन कर अग्निहोत्र का संदेश दिया। कार्यक्रम को वरिष्ठ आचरणकर्ता रमेशकुमार श्रीवास्तव, अमृतलाल गुप्ता, प्रदीप भाजोड़े तथा वरिष्ठ समाजसेवी विवेक सारंग ने भी संबोधित किया।
हुआ अग्निहोत्र
कार्यक्रम के आखिर में सूर्यास्त के निर्धारित समय शाम 5 बजकर 34 मिनट पर सामूहिक अग्निहोत्र किया गया। इसमें आचरण कर्ताओं सहित 21 पात्रों में अग्निहोत्र हुआ। इसमें वृंदावन मीना अग्निहोत्र हरिनारायण रैकवार, गीता राजपूत, सोनम मीना, लक्ष्मी साहू, कैलाशीबाई मीना, कृष्णा मारण सहित करोंद और बैरसिया के ग्रामीण क्षेत्रों के दो सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे।
-हुआ 21 पात्रों में सामूहिक अग्निहोत्र
भोपाल।
वेदिक यज्ञ और शास्त्रों की ऋचाओं के साथ यज्ञादि के आयोजन में हिंसा या पशुबलि का कोई स्थान नहीं। वैदिक यज्ञों में इस तरह की क्रियाएं यज्ञकर्ताओं द्वारा स्वयं अथवा अन्य हितों के चलते ही अपनाई गई हैं। यह बात माधव आश्रम बैरागढ़ से आये विश्वभर में अग्निहोत्र संदेष्टा और वरिष्ठ प्रचारक जयंत पोतदार ने कही। वह रविवार को करोंद स्थित शांतिनगर कालोनी में सोमयज्ञ की तैयारियों को लेकर आयोजित विशेष प्रचार सभा में उपस्थित थे।
उन्होंने वेदोक्त पद्धति द्वारा 13 नवंबर से शुरू हो रहे वाजपेय सोमयज्ञ की तैयारियों का जायजा लिया तथा सभा में आए सैकड़ों श्रद्धालुओं को नित्य अग्निहोत्र आचरण अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा-मानव रक्षा के लिए नित्य अग्निहोत्र आचरण को सबसे महत्वपूर्ण साधन निरूपित करते हुए लोगों से कहा, प्रतिदिन दोनों समय अग्निहोत्र करके न केवल अपना लोक-परलोक सुधारा जा सकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को सुसंस्कारों से संस्कारित ाी किया जा सकता है। इस अवसर पर प्रचार स ाा के आयोजक और वरिष्ठ आचरणकर्ता हर ाजन मीना अग्निहोत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को जीवन में अग्निहोत्र का महत्व और इस आचरण से जीवन में मिलने वाली अप्रत्याशित ला ादायक उपलब्धियों के संबंध में जानकारी दी। स ाा को संबोधित करते हुए करोंद के वरिष्ठ प्रचारक बदनसिंह ठाकुर ने अग्निहोत्र के पांच नियमों से अवगत कराया। सुशीला साहू ने स्वामि तू कितना अपर पार गीत के माध्यम से सदगुरू का वंदन कर अग्निहोत्र का संदेश दिया। कार्यक्रम को वरिष्ठ आचरणकर्ता रमेशकुमार श्रीवास्तव, अमृतलाल गुप्ता, प्रदीप भाजोड़े तथा वरिष्ठ समाजसेवी विवेक सारंग ने भी संबोधित किया।
हुआ अग्निहोत्र
कार्यक्रम के आखिर में सूर्यास्त के निर्धारित समय शाम 5 बजकर 34 मिनट पर सामूहिक अग्निहोत्र किया गया। इसमें आचरण कर्ताओं सहित 21 पात्रों में अग्निहोत्र हुआ। इसमें वृंदावन मीना अग्निहोत्र हरिनारायण रैकवार, गीता राजपूत, सोनम मीना, लक्ष्मी साहू, कैलाशीबाई मीना, कृष्णा मारण सहित करोंद और बैरसिया के ग्रामीण क्षेत्रों के दो सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे।
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