बुधवार, 1 मई 2013

टीएसएम मशीन : राजधानी को करना होगा इंतजार

-ट्रेनिंग से लौटे चारो पटवारी 
-आयुक्त भू-अभिलेख ने कहा, ट्रांसपोर्ट से भेजेंगे मशीनें 
-बाय एयर मशीनें 
भोपाल। 
आधुनिक तरीके से जमीन का सीमांकन करने वाली मशीनों के लिए राजधानी को अभी और इंतजार करना होगा। मशीन के तकनीकी गुर सीखने जिले से 4 पटवारियों को ग्वालियर भेजा गया था, जो लौट आए हैं। राजधानी को ४ 'टोटल स्टेशन मशीनÓ (टीएसएम) मिलना है। 
इसका इंतजार लंबा भी हो सकता है, वहीं अधिकारियों की माने तो मई में कलेक्टोरेट कार्यालय में इनका उपयोग होना शुरू हो जाएगा। यह मशीनें बाय एयर मोड पर आधारित हैं, जिसके जरिए अकेला सीमांकन ही नहीं होगा, बल्कि उक्त सीमांकित भूमि का नक्शा भी निकल आएगा। पटवारियों की यह दूसरे चरण का प्रशिक्षण था, जो भोपाल के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है। मशीन मिलते ही जिले के भूमि का भौतिक सत्यापन के साथ मशीनों का सीमांकन के लिए उपयोग भी करेंगे। 
हालांकि पहले कहा जा रहा था कि ट्रेनिंग पर गए पटवारी इन मशीनों को लेकर आएंगे। अब इसकी सुरक्षा, पार्ट्स आदि को लेकर आयुक्त भू-अभिलेख ने ट्रांसपोर्ट के जरिए भेजने का निर्णय लिया है। 

-22 को गए थे टे्रनिंग पर 
ेटीएसएम मशीनों की दूसरे चरण की ट्रेनिंग के लिए एक बार फिर भोपाल जिले के पटवारियों को ग्वालियर बुलाया था। बुलावा पत्र 24 अप्रैल को भोपाल कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। हालांकि ट्रेनिंग की जानकारी भू-अभिलेख अधीक्षक को पहले ही मिल गई थी। इसके चलते उन्होंने पहले ही चार पटवारियों को 22 से 29 मार्च तक होने वाली टीएसएम की ट्रेनिंग के लिए रवाना कर दिया। पत्र में स्पष्ट किया गया था, जो कर्मचारी ट्रेनिंग पर जाएंगे, उन्हें प्रशिक्षण के साथ टीएसएम मशीनें सौंप रवानगी दी जाएगी। इसके बाद ट्रेनिंग के साथ टीएसएम मशीने मिलने का रास्ता खुल गया था, लेकिन अब निर्णय लिया गया है कि अब मशीनों की सुरक्षा को देखते हुए इन्हें ऐसे ही नहीं भेजा जाएगा। 

-पहले छिन चुकी हैं मशीनें 
आयुक्त भूमि अभिलेख एवं बंदोबस्त ग्वालियर ने मार्च माह में कुछ जिलों को टीएसएम मशीनें आवंटित करने के निर्देश दिए थे। इसमें भोपाल जिले को 4 टीएसएम मशीनें देना शामिल था। इस आदेश में मशीनें उपलब्ध कराने से पहले शर्त रखी गई थी कि जिले के सभी राजस्व वृत्तों के करीब एक दर्जन पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को इस मशीन के प्रशिक्षण के लिए ग्वालियर भेजना होगा। वहां पर टीएसएम से सीमांकन की तकनीक को सिखाया जाएगा और सीमांकन की बारीकियां भी बताई जाएंगी। इस आदेश के आधार पर पटवारियों व राजस्व निरीक्षकों के नाम भी चयन किया गया और उन्हें अवगत भी कराया गया। बाद में कि न्ही कारणों से भोपाल से पटवारी प्रशिक्षण लेने नहीं गए। इससे नाराज सीएलआर ने भोपाल जिले को भेजी जाने वाली चार टीएसएम का आवंटन निरस्त कर दिया था। सीएलआर का कहना है कि जब प्रशिक्षण में ही अधिकारी-कर्मचारी रुचि नहीं ले रहे हैं तो मशीनें देने से भी क्या होगा? 

-ऐसे होगा सीमांकन 
अधिकारियों की माने तो भोपाल को मिलने जा रही यह टीएसएम मशीनें सीमांकन करने के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इससे जल्द और सटीक सीमांकन होता है। इस मशीनों से माइक्रोवेव और इंफ्रारेड किरणें निकलती हैं जो जमीन की नापजोख करने में सहायक होती है। इसमें लैग के समान एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्टेंस मीटर होता है। जिस स्थान तक की नप्ती करनी होती है इसे वहां रख दिया जाता है। इसके बाद उपकरण से इंफ्रारेड किरणें छोड़ी जाती हैं। यह किरणें दूर रखें उपकरण पर पड़ते ही उस पर दूरी प्रदर्शित होने लगती है। इसे नोट कर लिया जाता है। इसमें किसी प्रकार की कोई गलती की गुंजाइश नहीं रहती है। इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि यह गड़बडिय़ां बिलकुल भी नहीं करती हैंं, इसके चलते लोगों को मन में सीमांकन को लेकर आ रही शंकाएं भी दूर हो जाएंगी।

-फायदे जो होंगे 
१. सीमांकन कार्य में गति आएगी।
२. बरसात में सीमांकन रूक जाता था, अब मशीनों से बरसात में भी प्रक्रिया चालू रहेगी। 

-सुरक्षित लाना जरूरी 
मशीनों में कुछ उपकरण बेहद सूक्ष्म हैं, जिसके चलते मशीन का सुरक्षित लाया जाना बेहद जरूरी है। संभव है मई में मशीनें आ जाएंगी। 
आरएस बघेल, अधीक्षक, भू-अभिलेख शाखा भोपाल 

-जल्द मिलेंगी 
भोपाल जिले को जल्द ही मशीनें मिलेंगी। आयुक्त भूमि अभिलेख एवं बंदोबस्त ग्वालियर से आश्वासन मिल गया है। 
चंद्रशेखर श्रीवास्तव, तहसीलदार, हुजूर 

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