सोमवार, 13 मई 2013

महिला आयोग: ५ साल बाद भी पटल पर नहीं पहुंचा प्रतिवेदन

-विधानसभा में वर्ष 2007-08 के बाद से नहीं किया वार्षिक लेखा-जोखा 
भोपाल। 
महिलाओं के हित बात करने वाला राज्य महिला आयोग तय समय से पांच साल पीछे चल रहा है। दरअसल, आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर अब तक नहीं रखा गया है। 
यह लगातार इसका पांचवां वर्ष है। किसी भी विभाग की क्या कार्य योजना है और वह क्या करने जा रहा है। इसका लेखा-जोखा तैयार किया जाता है, जिसे वार्षिक प्रतिवेदन कहा जाता है। अब इसको लेकर आयोग की कार्यप्रणाली पर उंगली उठने लगी हैं। नियमानुसार हर विभाग को वार्षिक प्रतिवेदन शासन को हर साल भेजना चाहिए। महिला आयोग ने अपना अंतिम प्रतिवेदन विधानसभा में सन् 2007-08 का प्रस्तुत किया था। 

-नहीं कोई ब्यौरा 
बीते पांच साल में महिला आयोग ने क्या किया। किस प्रकार अपना प्राप्त मद खर्च किया तथा उसकी क्या कार्य योजना है? यह सब प्रतिवेदन रिपोर्ट में सामने नहीं आने से आयोग द्वारा महिला हित में क्या कदम उठाए हैं। इस बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। न ही आयोग द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की जानकारी मिल पाई है। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन आयोग को करोड़ों रुपए का बजट देता है। प्रतिवेदन सदन के पटल पर न आने से आयोग ने पैसा कहां खर्च किया इसका ब्यौरा सामने नहीं आ पाया है। 

-नहीं किया अधिनियम का पालन 
राज्य महिला आयोग अधिनियम 1995 (क्रमांक 20 सन 1996) की धारा 9 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए विनिमय क्रमांक 14 के मुताबिक राज्य (महिला) आयोग वर्ष के एक अप्रैल से प्रारंभ होने वाली तथा उत्तरवर्शी वर्ष की 31 मार्च तक की कालावधि की वार्षिक रिपोर्ट, अधिनियम की धारा 10(1) (ख) तथा धारा 13 में उपबंधित किए गए अनुसार राज्य सरकार को भेेजेगा। बावजूद इसके आयोग ने अधिनियम का पालन नहीं किया। वार्षिक प्रतिवेदन से पता चलता है कि संस्था अथवा विभाग ने साल भर में क्या-क्या काम किए हैं और उसे दिए बजट का किस तरीके से इस्तेमाल हुआ है। पांच सालों में महिला आयोग द्वारा क्या किए गया यह सब पर्दे के पीछे है। 

-साजिश तो नहीं? 
2008-09 से लेकर 2012-13 की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने वाले महिला आयोग का पहले से रिकार्ड बेहतर नहीं है। वहीं नोडल डिपार्टमेंट, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन्हें विधानसभा में प्रस्तुत भी काफी लेट किया जा रहा है।  विधानसभा में महिला आयोग ने सन् 2006-07 और सन् 2007-08 में आखरी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। इन दोनों प्रतिवेदनों को क्रमश: 25 मार्च और 14 जुलाई 2010 को सदन में प्रस्तुत किया गया था।

...और यह दे रहे तर्क 
वार्षिक प्रतिवेदन पटल पर नहीं रखने के आयोग अपना अलग ही तर्क दे रहा है। आयोग ने कहता है, विधानसभा को बताया गया है कि प्रिंटिंग, ऑडिट और रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं होने की वजह से प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं हो सका है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा की पटल समिति का वह प्रतिवेदन सदन के फरवरी-मार्च 2013 सत्र के दौरान सदन पटल पर रखा गया। इसमें आयोग द्वारा वर्ष 2008-09 से 2012-13 तक के प्रतिवेदन नहीं दिए जाने को लेकर पटल समिति की कार्यवाही दर्ज है। २२ मार्च को विधानसभा की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित की गई, इसमें पटल समिति ने प्रतिवेदन न दिए जाने सत्र में पटल पर रखा गया था।

-वर्जन 
प्रतिवेदन तैयार करने में देरी हुई है। इसे अब तैयार कर लिया गया है। इसे जल्द ही नोडल एजेंसी महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दिया जाएगा। उम्मीद है पावसकालीन सदन में सदन में प्रस्तुत कर दिया जाएगा। 
वंदना मांडावी, सदस्य, राज्य महिला आयोग 

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