रविवार, 5 मई 2013

'प्र्रधानमंत्री की छवि पर संदेह' -प्रदेश भाजपा कार्यालय में बोले रविशंकर प्रसाद

-सीबीआई दबाव में कर रही काम
-यूपीए में सहयोगी और कांग्रेस में जांच के अलग-अलग पैमाने
भोपाल। 
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर संदेह है। जब वे देश के प्रधानमंत्री बने थे तो कहा गया था, वे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं, लेकिन उनके रहते अर्थ का अनर्थ हुआ है। दुनिया में भारत मोस्ट करप्ट कंट्री के रूप में सामने आया है। इस सरकार में नैतिकता नहीं बची है। वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता रविशंकर प्रसाद ने यह बात प्रदेश भाजपा कार्यालय में कही। 
पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री प्रसाद बोले, हमारा संवैधानिक अधिकार है संसद में बहस और एकाउंटीबिल्टी पर केंद्र सरकार बहस तो चाहती है, किंतु एकाउंटीबिल्टी नहीं। वह बहस का जवाब नहीं देना चाहती। इससे पहले उन्होंने कहां- यूपीए सरकार में कांग्रेस और अन्य दलों के मंत्रियों पर कार्रवाई के अलग-अलग पैमाने हैं। क्योंकि अन्य दलों के मंत्री ए. राजा और अश्विनी कुमार से कांग्रेस इस्तीफा ले चुकी है। जबकि रेल मंत्री पवन बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के लिए कांग्रेस ने अलग पैमाना तय किया है। उन्होंने कहा कि रेलवे के जिस अधिकारी ने रेलवे बोर्ड का सदस्य बनने के लिए 10 करोड़ रुपए की डील की थी। पैसा लेने वाला भी रेलमंत्री पवन बंसल का सगा है। हम इस पर इस्तीफा मांग रहे हैं। उस पद से हर साल 3500 करोड़ रुपए के टेंडर जारी होते हैं। रिश्वत की राशि बैंगलौर की फैक्ट्री ने पहुंचाई थी, जो रेलवे को ट्रांसफार्मर सप्लाई करती है। वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भाजपा को इस्तीफा मांगने का रोग लग गया है। मैं कहता हूं कांग्रेस देश को जनता को लूटना बंद कर दे, हम इस्तीफा मांगना बंद कर देंगे। कोयला घोटला, टूजी ऐसे बड़े घोटालें हैं। ए. राजा जेल गए, दयानिधि मारण गए। उन्होंने कहा कि 2004 से 09 तक 142 कोल ब्लॉक आवंटित किए। इस बीच कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास था। जबकि 1993 से 2003 तक 70 ब्लॉक आवंटित किए। 
कोयला घोटालों की जांच सीधे प्रधानमंत्री को प्रभावित करती है। कानून के तहत अनुसंधान की रिपोर्ट को सरकार के साथ शेयर नहीं किया जा सकता है, जबकि कानून मंत्री ने सीबीआई पर दबाव डालकर रिपोर्ट में तब्दीली कराई थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बिना अनुमति के पीएम कार्यालय का कोई प्रतिनिधि कानून मंत्री की बैठक में शामिल नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने बताया, हमें फाइल नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने पूछा कि क्या जरूरत थी सीबीआई के साथ बैठक बुलाने की? इस पर कानून मंत्री का जवाब आता है कि व्याकरण की शुद्धि के लिए बैठक बुलाई थी। मैं भी अटल सरकार में देश का कानून मंत्री रहा हूं। उस वक्त तो कभी ऐसा नहीं हुआ। एक सवाल पर वे बोले-सीबीआई खुद इतनी सक्षम एजेंसी है, जिसे किसी की आवश्यकता नहीं। बल्कि मैं तो कहूंगा सीबीआई को अब पवन बंसल से पूछताछ करते हुए जांच करनी चाहिए। अगर जांच होती है तो पवन बंसल और अश्विन कुमार लपेटे में आएंगे। 

-चीन लोकल मुद्दा 
श्री प्रसाद ने वार्ता के दौरान कहा, चीनी सेना हमारी सीमा में लगभग २० किमी तक घुस आई है। मनमोहन सिंह इसे लोकल मुद्दा बताते हैं। उन्होंने कहा, क्यों इसे इतना उठाया जा रहा है। यह बेहद चिंताजनक है। चीन से व्यापारिक संबंध किस समय शुरू हुए? इस सवाल पर श्री प्रसाद बोले, ये १९९० से पहले से शुरू होता आ रहा है, लेकिन उस समय हम सरकार में नहीं थे। सरबजीत मामले में भी यही हुआ। सरकार चाहती तो सख्ती बरतती, तो ऐसा न होता। समय अब भी है सरकार को पाक जेल में बंद ४५० से ५०० भारतीयों की सुरक्षा की तरफ ध्यान देना चाहिए। े

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