शुक्रवार, 10 मई 2013

दवा दुकान बंद: नहीं मिला 'मर्ज'

-एआईसीडीए के आव्हान पर देश भर में बंद रहीं थोक व फुटकर दवा दुकानें 
भोपाल। 
देश भर में शुक्रवार को मरीजों और उनके परिजनों को दवाईयों के लिए परेशान होना पड़ा। ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (एआईसीडीए) के आव्हान पर थोक व फुटकर दवा दुकानें प्रदेश भर में बंद रहीं। इससे भोपाल में 2.50 और प्रदेश में 10 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ। 
राजधानी में इस एक दिवसीय बंद का समर्थन भोपाल केमिस्ट एसोसियशन ने किया था। सुबह १० बजे पटेल मार्केट में केंद्र सरकार की नई दवा नीति के विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया। प्रदेश में सफल बंद में अहम भूमिका निभाने वाले मप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतमचंद धींग ने बताया कि दवा व्यापारियों की मांग है कि केंद्र सरकार दवा कानून में संशोधन करे, दवा विक्रय के क्षेत्र में एफडीआई को दूर रखा जाए। फार्मामिस्टों की समस्याओं का निराकरण एक मंच से किया जाए। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार इस बंद से कोई निर्णय नहीं लेती तो तीन दिवसीय बंद किया जाएगा। दो से तीन दिन में दिल्ली में होने वाली बैठक में अनिश्चितकालीन देश व्यापी बंद का निर्णय लिया जाएगा। 

दवा दुकानों ने भी दिया 'दर्द'
-दवाईयों के लिए भटकते रहे परिजन 
-भोपाल-इंदौर में २.५० करोड़ और ग्वालियर में 75 लाख संभावित व्यापार प्रभावित 
-बंद रहीं थोक व फुटकर दवा दुकानें 
-चार सुत्रीय मांगों को लेकर संभागायुक्त को सौंपा ज्ञापन
भोपाल।
केंद्र सरकार की नई नीतियों के के विरोध में शुक्रवार को दवा व्यापारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की। इसका राजधानी सहित प्रदेश में व्यापक असर दिखा। थोक और फुटकर दवा दुकानों में दिन भर ताले जड़े रहे। भोपाल-इंदौर में 2.50 और अन्य जिलों को मिलाकर प्रदेश में करीब 10 से 11 करोड़ के बीच का नुकासान होने की संभावना मप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने जताई है। 
एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतमचंद धींग ने बताया, प्रदेश के सभी 50 जिलों में एक साथ सुबह 10 बजे दवा व्यापारी सड़कों पर उतरे और केंद्र सरकार की दवा नीति के विरोध में प्रदर्शन किया। भोपाल में मेडिकल संचलकों ने भोपाल केमिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले संभागायुक्त एसबी सिंह को ज्ञापन सौंपा। 
प्रदेश भर में व्यापारियों ने सफल बंद किया। हालांकि इससे मरीज और मरीजों के परिजनों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। सबसे ज्यादा दर्द अस्पतालों में भरती मरीजों को उठाना पड़ा। शाम छह बजे के बाद कुछ अस्पतालों में भीतर बनीं मेडिकल दुकानें खुलीं तो मरीजों के परिजनों को राहत मिली। 

-यह रहे राजधानी के हाल 
दो भागों में बटा भोपाल का दवा बाजार शुक्रवार को पूरी तरह बंद रहा। पटेल मार्केट और नया दवा बाजार के लोग एक साथ सड़क पर आए। भोपाल केमिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले व्यापारी एकत्र हुए। इसमें फुटकर व्यापारी भी शामिल हुए। इसके बाद सुबह १० बजे पटेल मार्केट, नादरा बस स्टैंड से होते हुए एक हड़ताल समर्थित रैली निकाली। रैली के जरिए केेंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया गया। दूसरी ओर हड़ताल में सरकारी एवं अन्य अस्पतालों में बंद के दौरान दवाओं के इंतजाम के दावें झुठे साबित हुए। इस पर डाक्टरों द्वारा लिखी दवाओं ने भी परिजनों का मर्ज बढ़ा दिया। आलम यह रहा कि मरीजों के परिजन दवाओं के लिए शहर भर दौड़ते दिखाई दिए। 

-यहां बोगस रहे इंतजाम 
राजधानी के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल हमीदिया में मेडिकल स्टोर रूम से तो नॉर्मल दवाएं मिल गईं, लेकिन अन्य दवाएं नहीं मिल पाईं। यही स्थिति रेडक्रास, जेपी, जवाहर लाल नेहरू, साकिर अली और अन्य डिस्पेंसरियों में देखी गई। अस्पतालों में थोड़ी परेशानी वाले मरीजों को तो दवाईयों के अभाव में उल्टें पांव लौटना पड़ा। उल्लेखनीय है कि राजधानी में राजधानी में मेडिकल की थोक और फुटकर मिलाकर १३४० दुकानें हैं, जिनसे करीब २.५० करोड़ के आसपास का दवा व्यापार होता है। 

-कहां कितना संभावित नुकसान 
२.५०-३.०० करोड़ इंदौर
२.५० करोड़ भोपाल
७५ लाख ग्वालियर 
१० लाख जबलपुर 
१०-११ करोड़ प्रदेश भर में 

-क्यों किया बंद 
चार सूत्री मांगों को लेकर। ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (एआईसीडीए) के आव्हान पर थोक व फुटकर दवा दुकानदारों ने देश भर में बंद रखा। राजधानी में इस एक दिवसीय बंद का समर्थन भोपाल केमिस्ट एसोसियशन ने और प्रदेश में मप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने किया। 

-अब क्या? 
दवा व्यापारियों की अगले सप्ताह दिल्ली में राष्ट्र स्तरीय बैठक है। इसमें पहले तीन दिवसीय बंद को लेकर प्रस्ताव रखा जाएगा। इसके बाद अनिश्चितकालीन बंद पर दवा व्यापारी जाएंगे। हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार को इनके विभिन्न मुद्दों ेपर निर्णय लेने का वक्त दिया जाएगा। बैठक में देश के सभी २८ राज्यों से दवा व्यापारियों के संगठनों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। इस दौरान कुछ अन्य प्रस्ताव व मांगों पर भी चर्चा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 

-यह है मांग 
१. दवा विक्रय के क्षेत्र में एफडीआई को दूर रखा जाए। 
२. फार्मामिस्टों की समस्याओं का निराकरण एक मंच से किया जाए। 
३. नई दवा नीति में संशोधन किया जाए। 
४. दवा कानून बनाने में दवा व्यापारियों का मत लिया जाए। 

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