-कोर्ट का फैसला आ गया है अब संसद मंदिर निर्माण पर निर्णय ले
भोपाल।
मैं संतों की बात सुनकर आहत हूं। इस बार के कुंभ में जो धर्म सभा हुई, उसमें वे बोले क्या रामलला कपड़े में ही लिपटे रहेंगे? कोर्ट का फैसला आ गया, अब कौन सी बात रह गई। कोर्ट ने भी माना, तीनों जजों ने फैसला दिया जहां रामलला का जन्म हुआ, वहीं मंदिर था। इसके प्रमाण मिले हैं, यहां हजारों सालों से मंदिर थे। ये बात रविवार को विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने कही।
यहां डिपो चौराहा स्थिति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा, अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। अब यह विषय कोर्ट का नहीं रहा, वक्फ बोर्ड हार गया है। 70 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई है। अब हम संर्घष नहीं चाहते। संर्घष करते-करते ५५० साल हो गए। हिन्दू संप्रदाय भी संर्घष नहीं चाहता न ही हम मंदिर सांस्कृतिक सीमा में मस्जिद या अन्य निर्माण चाहते हैं। संत चाहते हैं, संसद में रामलला के मंदिर निर्माण का फैसला लिया जाए। आखिर कब तक कपड़ों में लिप्टे बैठे रहेंगे रामलला?
हिन्दू धर्म को नष्ट करने की साजिश की जा रही है। श्री सिंहल बोले- मुस्लिम कानून के तहत विवादित रहते हिस्से पर मस्जिद बनाने के लिए कोई भी नियम लागू नहीं होता है। मुझे लगता है अगर संसद में निर्णय होगा तो शायद ही कोई इसका विरोध करेगा। उन्होंने संतों के हवाला देते हुए कहा-मंदिर निर्माण को लेकर अगले महीने 11-12 जून को हरिद्वार में संतों का सम्मेलन होने जा रहा है। जिसमें मंदिर निर्माण को लेकर रणनीति बनेगी। साथ ही संतों के संकल्प को समाज तक कैसे पहुंचाया जाए, इस पर भी विचार होगा। उन्होंने कहा- संसद में अभी निर्णय नहीं लिया जाता है तो वर्ष 2014 की संसद में मंदिर निर्माण पर निर्णय लिया जाना चाहिए। सरकार किसी भी दल की हो मंदिर निर्माण संसद को कराना ही पड़ेगा।
-सरकारें हिन्दू विरोधी
श्री सिंहल ने सरकारों पर हिन्दू विरोधी नीतियां बनाने का आरोप लगाते हुए कहा-देश में घुसपैठ और धर्मांतरण चिंता का विषय है। सरकार की पॉलिसी रही है कि हिन्दुओं का दमन करने से मुस्लिम वोट हमोर पीछे खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम हर धर्म में प्रभावी ढंग से लागू कराया जाए। वे बोले, देश के मुसलमान हमेशा शांति के समर्थक रहे हैं और हर संप्रदाय को मिलजुलकर रहना है। लेकिन मुस्लिम समाज का नेतृत्व जिहादियों ने हाईजैक कर लिया है। वे नहीं चहते हम शांति से रहें। पाकिस्तान में सरबजीत की मौत पर उन्होंने कहा- देश में कायरों की सरकार है। चीन 20 किमी सीमा में घुस आया है, प्रधानमंत्री को कोई चिंता नहीं है। यह बेहद गंभीर और चिंतनिय विषय है। उन्होंने केंद्र सरकार को कायरों की सरकार करार दिया। वे बोले मनमोहन सिंह अपने नाम के आगे सिंह तो लगाते हैं, लेकिन 'सिंह' जैसे काम नहीं लोमड़ी जैसा काम करते हैं।
-गौ-गंगा पर दिखे चिंतित
देश में गायों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। हर साल 20 लाख गायों को कटने के लिए कसाई खाने अथवा बंग्लादेश भेजा जाता है। श्री सिंहल ने कहा, यही क्रम रहा तो 20 साल बाद देश से गाएं मिट जाएंगी। देश में १ करोड़ गायों को प्रतिवर्ष मौत के घाट उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। गंगा और यमुना बेहदू प्रदूषित हैं। इसके पीछे सोची समझी साजिश काम कर रही हैं। आज दक्षिण भारत में हजारों मंदिर को अधिग्रहित कर लिया है। यह सब हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा- ऋषि अरविंद ने कहा था वंदे मातरम के बल पर हमें रानीतिक आजादी मिली है। अभी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक और क्रांति की जरूरत है। यह संघर्ष 1984 से चला आ रहा है।
भोपाल।
मैं संतों की बात सुनकर आहत हूं। इस बार के कुंभ में जो धर्म सभा हुई, उसमें वे बोले क्या रामलला कपड़े में ही लिपटे रहेंगे? कोर्ट का फैसला आ गया, अब कौन सी बात रह गई। कोर्ट ने भी माना, तीनों जजों ने फैसला दिया जहां रामलला का जन्म हुआ, वहीं मंदिर था। इसके प्रमाण मिले हैं, यहां हजारों सालों से मंदिर थे। ये बात रविवार को विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने कही।
यहां डिपो चौराहा स्थिति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा, अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। अब यह विषय कोर्ट का नहीं रहा, वक्फ बोर्ड हार गया है। 70 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई है। अब हम संर्घष नहीं चाहते। संर्घष करते-करते ५५० साल हो गए। हिन्दू संप्रदाय भी संर्घष नहीं चाहता न ही हम मंदिर सांस्कृतिक सीमा में मस्जिद या अन्य निर्माण चाहते हैं। संत चाहते हैं, संसद में रामलला के मंदिर निर्माण का फैसला लिया जाए। आखिर कब तक कपड़ों में लिप्टे बैठे रहेंगे रामलला?
हिन्दू धर्म को नष्ट करने की साजिश की जा रही है। श्री सिंहल बोले- मुस्लिम कानून के तहत विवादित रहते हिस्से पर मस्जिद बनाने के लिए कोई भी नियम लागू नहीं होता है। मुझे लगता है अगर संसद में निर्णय होगा तो शायद ही कोई इसका विरोध करेगा। उन्होंने संतों के हवाला देते हुए कहा-मंदिर निर्माण को लेकर अगले महीने 11-12 जून को हरिद्वार में संतों का सम्मेलन होने जा रहा है। जिसमें मंदिर निर्माण को लेकर रणनीति बनेगी। साथ ही संतों के संकल्प को समाज तक कैसे पहुंचाया जाए, इस पर भी विचार होगा। उन्होंने कहा- संसद में अभी निर्णय नहीं लिया जाता है तो वर्ष 2014 की संसद में मंदिर निर्माण पर निर्णय लिया जाना चाहिए। सरकार किसी भी दल की हो मंदिर निर्माण संसद को कराना ही पड़ेगा।
-सरकारें हिन्दू विरोधी
श्री सिंहल ने सरकारों पर हिन्दू विरोधी नीतियां बनाने का आरोप लगाते हुए कहा-देश में घुसपैठ और धर्मांतरण चिंता का विषय है। सरकार की पॉलिसी रही है कि हिन्दुओं का दमन करने से मुस्लिम वोट हमोर पीछे खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम हर धर्म में प्रभावी ढंग से लागू कराया जाए। वे बोले, देश के मुसलमान हमेशा शांति के समर्थक रहे हैं और हर संप्रदाय को मिलजुलकर रहना है। लेकिन मुस्लिम समाज का नेतृत्व जिहादियों ने हाईजैक कर लिया है। वे नहीं चहते हम शांति से रहें। पाकिस्तान में सरबजीत की मौत पर उन्होंने कहा- देश में कायरों की सरकार है। चीन 20 किमी सीमा में घुस आया है, प्रधानमंत्री को कोई चिंता नहीं है। यह बेहद गंभीर और चिंतनिय विषय है। उन्होंने केंद्र सरकार को कायरों की सरकार करार दिया। वे बोले मनमोहन सिंह अपने नाम के आगे सिंह तो लगाते हैं, लेकिन 'सिंह' जैसे काम नहीं लोमड़ी जैसा काम करते हैं।
-गौ-गंगा पर दिखे चिंतित
देश में गायों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। हर साल 20 लाख गायों को कटने के लिए कसाई खाने अथवा बंग्लादेश भेजा जाता है। श्री सिंहल ने कहा, यही क्रम रहा तो 20 साल बाद देश से गाएं मिट जाएंगी। देश में १ करोड़ गायों को प्रतिवर्ष मौत के घाट उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। गंगा और यमुना बेहदू प्रदूषित हैं। इसके पीछे सोची समझी साजिश काम कर रही हैं। आज दक्षिण भारत में हजारों मंदिर को अधिग्रहित कर लिया है। यह सब हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा- ऋषि अरविंद ने कहा था वंदे मातरम के बल पर हमें रानीतिक आजादी मिली है। अभी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक और क्रांति की जरूरत है। यह संघर्ष 1984 से चला आ रहा है।
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