-मप्र राजस्व निरीक्षक संघ ने की मांग, राज्य शासन भेजी मांग की कॉपी
भोपाल।
मप्र शासन से राजस्व निरीक्षकों ने मांग की है कि उन्हें नवीन मप्र भू-राजस्व संहिता की धारा-11 के तहत घोषित राजस्व अधिकारी की शक्तियां प्रदान की जाएं। मप्र राजस्व निरीक्षक संघ ने इस संबंध में राज्य शासन को एक पत्र भी लिखा है। इसको लेकर तहसील में कार्यरत अन्य अधिकारियों ने भी सहमति दी है।
संघ के प्रांताध्यक्ष ओपी अवस्थी ने बताया, यदि शासन इस मांग को मानता है तो अविवादित नामांतरण, बंटवारे, सीमांकन, राजस्व वसूली, काश्तकार के तहसील कार्यालय में आवागमन का खर्च, समय व शासकीय स्टेशनरी की बचत हो सकेगी तथा अन्य कार्य भी तीव्र गति से होंगे।
श्री अवस्थी ने कहा, वर्तमान में राजस्व अधिकारियों के न्यायालयीन एवं कानून व्यवस्था संबंधी कार्य में व्यस्तता के कारण अतिक्रमण हटाने संबंधी प्रभावी कार्यवाही नहीं हो पाती है। यदि राजस्व निरीक्षक को राजस्व अधिकारी घोषित किया जाता है तो प्रारंभिक स्तर पर ही अतिक्रमण रोकने की कार्रवाई हो सकती है। श्री अवस्थी ने इसके अतिरिक्त अन्य लाभ भी गिनाएं हैं।
-अवैध उत्खनन एवं अवैध रूप से वृक्षों की कटाई रोकने पर लगाम लगेगी।
-व्यवहार में वसूली कार्य राजस्व निरीक्षक ही करता है किंतु वसूली के नोटिस या अवैध उत्खनन का प्रतिवेदन राजस्व अधिकारी को प्रस्तुत करता है। इस प्रक्रिया के पूरी होने में समय की बचत होगी।
- कृषकों को जारी होने वाली ऋण पुस्तिका में राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं, इसके लिए आला अधिकारियों को व्यवस्तताओं में से समय निकालकर हस्ताक्षर करने होते हैं। इस समय की बचत होगी।
- राजस्व निरीक्षकों को अतिक्रमण हटाने तथा वसूली कार्य के लिए अधिकार दिए जाने चाहिए।
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