-एनइडब्ल्यू और एडीआर ने प्रस्तुत की रिपोर्ट
-दानदाताओं की पहचान सार्वजनिक नहीं करती पार्टियां: प्रो. छोकर
भोपाल।
देश स्तर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस और मप्र में भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। २००४-०५ से २०१०-११ तक क्रमश: २,००,८७१.७४ लाख व ८२,०००.५० लाख मिले। इसी अवधी में राष्ट्र स्तर पर बसपा को ४३,८३९.८४ लाख और सपा को २७, ८५५.६५ लाख रुपए दान मिला। यह आंकड़े शुक्रवार को राजधानी में नेशनल इलेक्शन वॉच व एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के पदाधिकारियों ने सार्वजनिक की।
इस दौरान पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में चारों पार्टियां सक्रिय हैं। इन्हें उद्योग जगत से सबसे ज्यादा चंदा मिल रहा है। नेशनल इलेक्शन वॉच के पदाधिकारी सचिन जैन ने कहा, यह विडंबना ही है कि आयकर विभाग छोटे-बड़े सभी आयकर दाताओं का लेखा-जोखा रखता है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाला पैसा दान दृष्टि से देखा जाता है, चूंकि दान में लिया जाने वाला पैसा आयकर से मुक्त होता है। इसी का रानीतिक पार्टियां फायदा उठाती हैं। यहां आयकर विभाग और भारत निर्वाचन आयोग को सुधार की आवश्यकता है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के संस्थापक सदस्य प्रो. जगदीप छोकर ने कहा, पार्टियां दानदाताओं की पहचान सार्वजनिक नहीं करती। भाजपा को मप्र में २००३-०४ में मात्र ४ दानकर्ताओं से ५०,५१,००० प्राप्त हुए। इसी आवधि में कांग्रेस को कोई दान नहीं मिला। २०११-१२ वित्तीय वर्ष में तो भाजपा ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए उसे ५०० दानदाताओं ने ५२९.९७ लाख रुपए दान में दिए। कांग्रेस को पहले की तरह इस बार कोई दान नहीं मिला। हालांकि २००४-०५, २००५-०६, २००८-०९ के बीच दोनो ही प्रमुख पार्टियों को दान नहीं मिला।
-जरूरी है पारदर्शिता
श्री छोकर ने कहा, देश में इस समय ६ राष्ट्रीय दल और ४६ मान्यता प्राप्त स्थानीय दल हैं। इसके अलावा १३९२ अमान्यता प्राप्त किन्तु पंजीकृत दलों की श्रेणी में शामिल हैं। श्री छोकर बोले- राजनीतिक दलों को धन कई स्त्रोतों से मिलता है। इस कारण जवाबदेही व पारदर्शिता अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा होने से विभिन्न दलों की वित्तीय स्थिति की सही-सही तस्वीर जनता के सामने आ सकेगी। इन आंकड़ों का स्त्रोत क्या है? इस पर उन्होंने कहा, केंद्रीय सूचना आयोग ने पत्र क्र. सीआईसी/एटी/ए/२००७/०१०२९ एवं १२६३-१२७० के जरिए आयकर विभाग को आदेश दिया है कि वे राजनीतिक दलों की आयकर विवरणिका को सार्वजनिक करे और जनता को उपलब्ध कराएं।
-यह कहता है आंकड़ा
पार्टी आय दान दान का प्रतिशत २०हजार से ज्यादा दान राशि २०हजार से ज्यादा दान राशि का प्रतिशत
कांग्रेस २,००,८७१.७४ २७,२५०.४८ १३.५७ १७,७६९.४९ ८.८५
भाजपा ९९,४७६.६७ ८२,०००.५० ८२.४३ १९,३५४.५२ १९.४६
बसपा ४३,८३९.८४ ३०,७३१.०० ७०.१० ० ०
सपा २७, ८५५.६५ २१,२६६.८४ ७६.३५ ३६७.०९ १.३९
(पार्टियों को राष्ट्रीयस्तर पर मिला दान व आय)
-पार्टियां कर रही चालाकी
पार्टियां आय का स्त्रोत न बताने के लिए कूपन व्यवस्था कर रही हैं। रसीद की जगह कूपन जारी कर दानदाताओं से नकद राशि लेते हैं। श्री छोकर कहते हैं, चूंकि यह राशि नकद होती है इसलिए पैसे देने वाले की पहचान करना कठिन हो जाता है। इससे एक बात तो स्पष्ट होती है नकद राशि का कोई हिसाब किताब नहीं है। केवल उसी राशि का हिसाब है जिसका लेखा-जोखा दर्ज है या रसीद दी जाती है। इसकी मॉनिटरिंग व नियामक व्यवस्था होना बेहद जरूरी है। कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर २,००,८७१.७४ लाख रुपए मिले। भाजपा को ९९,४७६.६७ लाख, बसपा को ४३,८३९.८४ लाख और समाज वादी पार्टी को २७,८५५.६५ लाख रुपए मिले। वित्तीय वर्ष २००४-०५ से २०१०-११ में कांग्रेस की आय २००,८७१.७४ लाख दर्ज की गई, लेकिन उसने घोषणा की कि उन्हें २०,००० से ज्यादा दान देने वालों का प्रतिशत ८.८५ ही है।
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