आग की घटनाओं को लेकर नगर निगम की तैयारी आधी-अधूरी
भोपाल।
आग के नाम से ही शहरवासी सहम जाते हैं। मेन रोड हो या गली, आग छोटी हो या बड़ी, काफी नुकसान पहुंचाती है। फायर फायटिंग का सिस्टम क्योंकि सिटी में मजबूत नहीं है। गर्मी के सीजन में आग के खतरे ज्यादा बढ़ते हैं, जबकि राजधानी में फायर फाइटिंग सिस्टम बदतर हो रहा है। शहर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और बहुमंजिला भवनों से पट रहा है। हर महीने मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट बन रहे हैं। सिनेमा हॉल की जगह मॉल्स ने ले ली है। पूरी सिटी मार्केट बन गई है। इस डेवलपमेंट में सिक्योरिटी सिस्टम को नजरअंदाज किया गया। स्थानीय प्रशासन के संजीदा न होने से अक्सर आगजनी से काफी नुकसान होता है। लेकिन न तो मप्र सरकार ने और न नगरीय निकायों ने अपने स्तर पर फायर एक्ट बनाने की कोशिश की। नगर निगम भोपाल में तैयारियों के लिए 15 मार्च से 15 जून तक फायर अलर्ट होने से कर्मचारियों की छुट्टी पर पांबदी होती है। लेकिन फायर ब्रिगेड व अमला संसाधनों को लेकर खस्ताहाल है। आबादी के हिसाब से फायर स्टेशन और अन्य केन्द्र नहीं बन पाए। जनसं या व क्षेत्रफल के हिसाब से जरूरी 22 सब फायर स्टेशन की बजाय 6 फायर स्टेशन हैं।
नहीं बना फायर एक्ट:-
स्थापना के 66 साल बाद भी प्रदेश सरकार फायर एक्ट नहीं बना पाई जबकि कर्नाटक व गोवा में फायर एक्ट है। वहीं प. बंगाल सरकार ने फायर मिनिस्ट्री का गठन किया है। वहीं राजधानी भोपाल में किसी भी बहुमंजिला इमारत, होटल, रेस्टोरेंट व अन्य भवन में अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। जब तभी आग लगती है तो ऐहतियातन सभी होटल, रेस्टोरेंट, द तर और बहुमंजिला इमारतों में अग्नि सुरक्षा के इंतजामों के लिए नगर निगम नोटिस जारी करता है। परंतु निर्देशों पर अमल की कभी पड़ताल नहीं होती। भूमि विकास नियम-2012 लागू होने के बाद बहुमंजिला भवनों की ऊंचाई तो बढ़ा दी, लेकिन अग्नि सुरक्षा संबंधी संसाधन व नियमों का कड़ाई से पालन करने का परन्तु नगर निगम को अधिकार नहीं दिया। बहुमंजिला भवनों के लिए फायर एनओसी का प्रावधान है, लेकिन कर्ताधर्ताओं के लिए दंडात्मक प्रावधान नहीं होने से कार्रवाई नहीं कर सकती।
संसाधन सीमित:-
नगर निगम भोपाल के फायर डिर्पाटमेंट के पास वर्तमान में फिलहाल 6 फायर स्टेशन है जो शहर की लगातार बढ़ती भोगौलिक सीमाओं और आबादी को देखते हुए नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के अनुसार 50 हजार की आबादी पर एक फायर स्टेशन होना जरूरी है। लेकिन 22 लाख की आबादी का आंकड़ा पार कर चुके भोपाल शहर में आधा दर्जन ही फायर स्टेशन हैं। यानि साढ़े तीन लाख की आबादी पर सिर्फ एक फायर स्टेशन है, जो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। बड़ी आग बुझाने के लिए नगर निगम के पास 17 फायर गाडिय़ां और 4 पानी के टैंकर ही मौजूद हैं।
35 साल से नहीं हुई भर्ती:-
नगर निगम के फायर महकमे में 1998 से कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। वर्तमान में फायर अमले के पास 220 कर्मचारी हैं। ऊंचे स्थान पर आग बुझाने के लिए सिर्फ एक हाइड्रोलिक लि ट, जिसकी अधिकतम ऊंचाई 70 फिट है। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के अनुसार इस लि ट की ऊंचाई 110 फिट हो। नगर निगम ने इसके लिए 110 फीट की एक हाइड्रोलिक फायर ब्रिगेड क्रय करने का प्रस्ताव गत साल शासन को भेजा था। इसी साल दो महीने पहले शासन को रिमांडर भी भेजा गया, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।
बड़ी आग के सामने बेबस है ननि:-
पिछले साल भारत संचार निगम लिमिटेड के राजधानी स्थिति क्षेत्रीय एक्सचेंज में आग लगी। इसमें वहां रखा एक करोड़ से अधिक का माल जलकर नष्ट हो गया। लेकिन नगर निगम और पुलिस फायर सर्विस स्टेशन के दमकल दस्ते को पर्याप्त संसाधन न होने से आग बुझाने में घंटों लगे और। यदि पर्याप्त संसाधन होते तो समय रहते आग पर काबू पा लिया जाता। घटना के बाद राजधानी की टेलीफोन सेवा को पटरी पर लौटने में एक माह से अधिक का समय लगा था।
14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले
भोपाल। राज्य शासन ने भारतीय पुलिस सेवा के 14 अधिकारियों के तबादला आदेश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में गृह विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिए है।
कंमांक नाम वर्तमान पदस्थापना नवीन पदस्थापना
1 जेएस संसवाल डीआईजी होशंगाबाद डीआईजी ग्वालियर
2 रमन सिंह सिकरवार एसपी शिवपुरी एसपी सीहोर
3 केबी शर्मा एसपी सीहोर एसपी शिवपुरी
4 बीपी चन्द्रवंशी एसपी राजगढ़ कमांडेंट 18वीं बाटलियन शिवपुरी
5 सुशांत सक्सेना एसपी भोपाल मुयालय एसपी राजगढ़
6 रूडोल्फ अल्वारिस एसपी इंदौर मुयालय एसपी नीमच
7 आरए चौबे एसपी नीचम कमांडेंट 25वीं बटालियन भोपाल
8 आबिद खान सीएसपी इंदौर एएसपी इंदौर
9 गौरव तिवारी एएसपी रतलाम एएसपी उज्जैन
10 निमिश अग्रवाल सीएसपी छतरपुर एएसपी जबलपुर
11 आशुतोष प्रताप सिंह सीएसपी गोविंदपुरा भोपाल एएसपी भोपाल
12 युसुफ कुरैशी एसडीओपी डबरा एएसपी ग्वालियर
13 डी कल्याण चक्रवर्ती सीएसपी इन्दौर एएसपी इंदौर
14 सिद्धार्थ बहुगुणा एसडीओपीए सिवनी एसपी जबलपुर
भोपाल।
आग के नाम से ही शहरवासी सहम जाते हैं। मेन रोड हो या गली, आग छोटी हो या बड़ी, काफी नुकसान पहुंचाती है। फायर फायटिंग का सिस्टम क्योंकि सिटी में मजबूत नहीं है। गर्मी के सीजन में आग के खतरे ज्यादा बढ़ते हैं, जबकि राजधानी में फायर फाइटिंग सिस्टम बदतर हो रहा है। शहर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और बहुमंजिला भवनों से पट रहा है। हर महीने मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट बन रहे हैं। सिनेमा हॉल की जगह मॉल्स ने ले ली है। पूरी सिटी मार्केट बन गई है। इस डेवलपमेंट में सिक्योरिटी सिस्टम को नजरअंदाज किया गया। स्थानीय प्रशासन के संजीदा न होने से अक्सर आगजनी से काफी नुकसान होता है। लेकिन न तो मप्र सरकार ने और न नगरीय निकायों ने अपने स्तर पर फायर एक्ट बनाने की कोशिश की। नगर निगम भोपाल में तैयारियों के लिए 15 मार्च से 15 जून तक फायर अलर्ट होने से कर्मचारियों की छुट्टी पर पांबदी होती है। लेकिन फायर ब्रिगेड व अमला संसाधनों को लेकर खस्ताहाल है। आबादी के हिसाब से फायर स्टेशन और अन्य केन्द्र नहीं बन पाए। जनसं या व क्षेत्रफल के हिसाब से जरूरी 22 सब फायर स्टेशन की बजाय 6 फायर स्टेशन हैं।
नहीं बना फायर एक्ट:-
स्थापना के 66 साल बाद भी प्रदेश सरकार फायर एक्ट नहीं बना पाई जबकि कर्नाटक व गोवा में फायर एक्ट है। वहीं प. बंगाल सरकार ने फायर मिनिस्ट्री का गठन किया है। वहीं राजधानी भोपाल में किसी भी बहुमंजिला इमारत, होटल, रेस्टोरेंट व अन्य भवन में अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। जब तभी आग लगती है तो ऐहतियातन सभी होटल, रेस्टोरेंट, द तर और बहुमंजिला इमारतों में अग्नि सुरक्षा के इंतजामों के लिए नगर निगम नोटिस जारी करता है। परंतु निर्देशों पर अमल की कभी पड़ताल नहीं होती। भूमि विकास नियम-2012 लागू होने के बाद बहुमंजिला भवनों की ऊंचाई तो बढ़ा दी, लेकिन अग्नि सुरक्षा संबंधी संसाधन व नियमों का कड़ाई से पालन करने का परन्तु नगर निगम को अधिकार नहीं दिया। बहुमंजिला भवनों के लिए फायर एनओसी का प्रावधान है, लेकिन कर्ताधर्ताओं के लिए दंडात्मक प्रावधान नहीं होने से कार्रवाई नहीं कर सकती।
संसाधन सीमित:-
नगर निगम भोपाल के फायर डिर्पाटमेंट के पास वर्तमान में फिलहाल 6 फायर स्टेशन है जो शहर की लगातार बढ़ती भोगौलिक सीमाओं और आबादी को देखते हुए नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के अनुसार 50 हजार की आबादी पर एक फायर स्टेशन होना जरूरी है। लेकिन 22 लाख की आबादी का आंकड़ा पार कर चुके भोपाल शहर में आधा दर्जन ही फायर स्टेशन हैं। यानि साढ़े तीन लाख की आबादी पर सिर्फ एक फायर स्टेशन है, जो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। बड़ी आग बुझाने के लिए नगर निगम के पास 17 फायर गाडिय़ां और 4 पानी के टैंकर ही मौजूद हैं।
35 साल से नहीं हुई भर्ती:-
नगर निगम के फायर महकमे में 1998 से कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। वर्तमान में फायर अमले के पास 220 कर्मचारी हैं। ऊंचे स्थान पर आग बुझाने के लिए सिर्फ एक हाइड्रोलिक लि ट, जिसकी अधिकतम ऊंचाई 70 फिट है। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के अनुसार इस लि ट की ऊंचाई 110 फिट हो। नगर निगम ने इसके लिए 110 फीट की एक हाइड्रोलिक फायर ब्रिगेड क्रय करने का प्रस्ताव गत साल शासन को भेजा था। इसी साल दो महीने पहले शासन को रिमांडर भी भेजा गया, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।
बड़ी आग के सामने बेबस है ननि:-
पिछले साल भारत संचार निगम लिमिटेड के राजधानी स्थिति क्षेत्रीय एक्सचेंज में आग लगी। इसमें वहां रखा एक करोड़ से अधिक का माल जलकर नष्ट हो गया। लेकिन नगर निगम और पुलिस फायर सर्विस स्टेशन के दमकल दस्ते को पर्याप्त संसाधन न होने से आग बुझाने में घंटों लगे और। यदि पर्याप्त संसाधन होते तो समय रहते आग पर काबू पा लिया जाता। घटना के बाद राजधानी की टेलीफोन सेवा को पटरी पर लौटने में एक माह से अधिक का समय लगा था।
14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले
भोपाल। राज्य शासन ने भारतीय पुलिस सेवा के 14 अधिकारियों के तबादला आदेश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में गृह विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिए है।
कंमांक नाम वर्तमान पदस्थापना नवीन पदस्थापना
1 जेएस संसवाल डीआईजी होशंगाबाद डीआईजी ग्वालियर
2 रमन सिंह सिकरवार एसपी शिवपुरी एसपी सीहोर
3 केबी शर्मा एसपी सीहोर एसपी शिवपुरी
4 बीपी चन्द्रवंशी एसपी राजगढ़ कमांडेंट 18वीं बाटलियन शिवपुरी
5 सुशांत सक्सेना एसपी भोपाल मुयालय एसपी राजगढ़
6 रूडोल्फ अल्वारिस एसपी इंदौर मुयालय एसपी नीमच
7 आरए चौबे एसपी नीचम कमांडेंट 25वीं बटालियन भोपाल
8 आबिद खान सीएसपी इंदौर एएसपी इंदौर
9 गौरव तिवारी एएसपी रतलाम एएसपी उज्जैन
10 निमिश अग्रवाल सीएसपी छतरपुर एएसपी जबलपुर
11 आशुतोष प्रताप सिंह सीएसपी गोविंदपुरा भोपाल एएसपी भोपाल
12 युसुफ कुरैशी एसडीओपी डबरा एएसपी ग्वालियर
13 डी कल्याण चक्रवर्ती सीएसपी इन्दौर एएसपी इंदौर
14 सिद्धार्थ बहुगुणा एसडीओपीए सिवनी एसपी जबलपुर
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