-तहसील कोर्ट में किसानों ने प्रस्तुत किए दस्तावेज
भोपाल।
हिनोतिया आलम के किसानों को निष्कांत भूमि के प्रकरण में राहत मिल सकती है। यहां की जिस 71 हेक्टेयर भूमि को निष्कांत संपत्ति का प्रकरण दर्ज कर तहसील कोर्ट में पेशी चल रही है। यह भूमि किसानों की है। इस संबंध में किसानों ने तहसील कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।
दस्तावेजों के अवलोक पर प्रथम दृष्ट्या जमीन विधिवत् किसानों के हक की दिखाई देती है। किसानों ने दस्तावेज दिए हैं, जिसमें जमीन केंद्र द्वारा उनके नाम पर होना साबित होता है। साथ ही कुछ किसानों ने सनद भी पेश की है। जिला प्रशासन के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब इन दस्तावेजों की जांच कराई जाएगी। जांच में खुलासा होने के बाद ही कोर्ट आगे का निर्णय लेगा। दस्तावेजों का बारिकी से अनुसंधान होता है और इसमें जमीन किसानों के पक्ष की सामने आती है तो कृषकों को बढ़ी सफलता मिलेगी।
-ये है प्रकरण
हिनोतिया आलम की 71 हेक्टेयर भूमि यानी 175.37 एकड़ भूमि, वर्तमान में 120 किसानों के पास है। इसका प्रकरण तहसीलदार हुजूर कोर्ट में चल रहा है। सभी 120 किसानों को धारा-115 (रिकार्ड दुरस्ती) का संबंधी धारा के चलते नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस में सभी किसानों से पूछा गया है कि उनको यह जमीन किसने आवंटित की है, यदि किसी ने आवंटित की है तो उस संबंध में रिकार्ड प्रस्तुत करें। इधर नोटिस के जवाब में कुछ किसानों ने जमीन आवंटन संबंधी रिकार्ड भी प्रस्तुत कर दिए हैं।
-यह भी आ रहा सामने
सूत्र बताते हैं कि प्रकरण में सामने एक बिंदु यह भी सामने आया है कि आवंटन के समय तो निष्कांत स पत्ति की जमीनें के खसरें अलग अलग थे, लेकिन बंदोबस्त के दौरान कुछ खसरों को मिलाकर नए खसरे बना दिए गए। इसके चलते पूरा का पूरा खसरा निष्कांत संपत्ति में दर्ज हो गया। जबकि होना यह चाहिए था कि जो खसरा नवीन बंदोबस्त में शामिल किया गया था, उसमें से यदि कोई जमीन निष्कांत संपत्ति में शामिल थी तो उसके आगे अंकित कर देना चाहिए था। अंश भाग भी निष्कांत संपत्ति वाला लिखा जा सकता था। हालांकि ऐसा नहीं किया गया और पूरी जमीन निष्कांत लिख दी गई।
-क्या है निष्कांत संपत्ति
भारत पाकि स्तान विभाजन के समय जो व्यक्ति भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। उनकी संपत्ति को सरकार के अधीन रख दिया गया है। ऐसी संपत्ति को निष्कांत संपत्ति कहा जाता है। इस संपत्ति को केवल उसी व्यक्ति को दिया जा सकता है जो कि पाकिस्तान से उस समय अपनी भूमि छोड़कर आया हो।
-इसलिए जताया था हक
तहसील हुजूर के अनुसार हिनोतिया आलम में निष्कांत संपत्ति की 71 हेक्टेयर जमीन पर 120 किसानों ने जमीन का कब्जा है। वतर्मान में इस जमीन पर बिल्डरों ने निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। हालांकि इस जमीन को लेकर आज से 35 साल पहले से प्रकरण भी चल रहा है। इस प्रकरण में पीएस रेवेन्यू ने एक आदेश जारी कर लोगों लारा जमीन आवंटित किए जाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था। बावजूद इसके वतर्मान में इस भूमि पर 120 किसान काबिज है। इनमें से कुछ किसानों ने अपनी जमीन बिल्डरों को बेच दी है तथा उस पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। इधर जब इसकी सूचना एसडीएम हुजूर को मिली तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए इसकी जांच की। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि निष्कांत संपत्ति की जमीन ओपन लैण्ड है और उस पर अभी कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हुआ है। यहीं नहीं इस जमीन पर 120 किसान अपना हक जता रहे हैं, उनको न तो जमीन आवंटित की गई है और न ही उनको संपत्ति संबंधी सनद जारी की गई है, पजेशन देने की बात तो दूर की है। उन्होने बताया जो भी किसान इस जमीन पर अपना हक जता रहे हैं।
भोपाल।
हिनोतिया आलम के किसानों को निष्कांत भूमि के प्रकरण में राहत मिल सकती है। यहां की जिस 71 हेक्टेयर भूमि को निष्कांत संपत्ति का प्रकरण दर्ज कर तहसील कोर्ट में पेशी चल रही है। यह भूमि किसानों की है। इस संबंध में किसानों ने तहसील कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।
दस्तावेजों के अवलोक पर प्रथम दृष्ट्या जमीन विधिवत् किसानों के हक की दिखाई देती है। किसानों ने दस्तावेज दिए हैं, जिसमें जमीन केंद्र द्वारा उनके नाम पर होना साबित होता है। साथ ही कुछ किसानों ने सनद भी पेश की है। जिला प्रशासन के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब इन दस्तावेजों की जांच कराई जाएगी। जांच में खुलासा होने के बाद ही कोर्ट आगे का निर्णय लेगा। दस्तावेजों का बारिकी से अनुसंधान होता है और इसमें जमीन किसानों के पक्ष की सामने आती है तो कृषकों को बढ़ी सफलता मिलेगी।
-ये है प्रकरण
हिनोतिया आलम की 71 हेक्टेयर भूमि यानी 175.37 एकड़ भूमि, वर्तमान में 120 किसानों के पास है। इसका प्रकरण तहसीलदार हुजूर कोर्ट में चल रहा है। सभी 120 किसानों को धारा-115 (रिकार्ड दुरस्ती) का संबंधी धारा के चलते नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस में सभी किसानों से पूछा गया है कि उनको यह जमीन किसने आवंटित की है, यदि किसी ने आवंटित की है तो उस संबंध में रिकार्ड प्रस्तुत करें। इधर नोटिस के जवाब में कुछ किसानों ने जमीन आवंटन संबंधी रिकार्ड भी प्रस्तुत कर दिए हैं।
-यह भी आ रहा सामने
सूत्र बताते हैं कि प्रकरण में सामने एक बिंदु यह भी सामने आया है कि आवंटन के समय तो निष्कांत स पत्ति की जमीनें के खसरें अलग अलग थे, लेकिन बंदोबस्त के दौरान कुछ खसरों को मिलाकर नए खसरे बना दिए गए। इसके चलते पूरा का पूरा खसरा निष्कांत संपत्ति में दर्ज हो गया। जबकि होना यह चाहिए था कि जो खसरा नवीन बंदोबस्त में शामिल किया गया था, उसमें से यदि कोई जमीन निष्कांत संपत्ति में शामिल थी तो उसके आगे अंकित कर देना चाहिए था। अंश भाग भी निष्कांत संपत्ति वाला लिखा जा सकता था। हालांकि ऐसा नहीं किया गया और पूरी जमीन निष्कांत लिख दी गई।
-क्या है निष्कांत संपत्ति
भारत पाकि स्तान विभाजन के समय जो व्यक्ति भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। उनकी संपत्ति को सरकार के अधीन रख दिया गया है। ऐसी संपत्ति को निष्कांत संपत्ति कहा जाता है। इस संपत्ति को केवल उसी व्यक्ति को दिया जा सकता है जो कि पाकिस्तान से उस समय अपनी भूमि छोड़कर आया हो।
-इसलिए जताया था हक
तहसील हुजूर के अनुसार हिनोतिया आलम में निष्कांत संपत्ति की 71 हेक्टेयर जमीन पर 120 किसानों ने जमीन का कब्जा है। वतर्मान में इस जमीन पर बिल्डरों ने निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। हालांकि इस जमीन को लेकर आज से 35 साल पहले से प्रकरण भी चल रहा है। इस प्रकरण में पीएस रेवेन्यू ने एक आदेश जारी कर लोगों लारा जमीन आवंटित किए जाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था। बावजूद इसके वतर्मान में इस भूमि पर 120 किसान काबिज है। इनमें से कुछ किसानों ने अपनी जमीन बिल्डरों को बेच दी है तथा उस पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। इधर जब इसकी सूचना एसडीएम हुजूर को मिली तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए इसकी जांच की। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि निष्कांत संपत्ति की जमीन ओपन लैण्ड है और उस पर अभी कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हुआ है। यहीं नहीं इस जमीन पर 120 किसान अपना हक जता रहे हैं, उनको न तो जमीन आवंटित की गई है और न ही उनको संपत्ति संबंधी सनद जारी की गई है, पजेशन देने की बात तो दूर की है। उन्होने बताया जो भी किसान इस जमीन पर अपना हक जता रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें