जिला निर्वाचन आयोग की शत-प्रतिशत मतदान की योजना पर आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी) पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। ड्रायवर-कंडक्टरों को मतदान के लिए प्रेरित करने जहां प्रशिक्षण कार्यक्रम से लेकर स्वीप प्लान के तहत मतदान कैसे करें? तक की समझाईश दी गई। बावजूद इसके अब तक आरटीओ कार्यालय ड्रायवर कंडक्टरों की सूची, ईपिक नंबरों सहित निर्वाचन आयोग को उपलब्ध नहीं करा सका है। कुल मिलाकर आरटीओ की यह लापरवाही जिला निर्वाचन आयोग के स्वीप प्लान पर पानी फेर रही है। इधर निर्वाचन आयोग को भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर आरटीओ कार्यालय को इस काम में दिक्कत क्या आ रही है? जबकि अधिकतर विभाग के कमर्चारी फार्म-12 भरकर देने की तैयारी में जुट गए हैं।
100 ड्रायवर-कंडक्टरों के नाम आए - जिला निर्वाचन आयोग ने चुनाव में लगने वाले ड्रायवर-कंडक्टरों को मतदान करने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी। निजी स्कूलों में जाकर भी बसों को चलाने वाले ड्रायवर-कंडक्टरों को मतदान की प्रक्रिया से अवगत कराया। आरटीओ को वाहनों के अधिगृहण व ड्रायवर- कंडक्टरों की सूची आदि समस्त जि मेदारियों के लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया था। हालात यह है कि सरकारी ड्रायवरों की सूची को छोड़कर अन्य निजी वाहनों व स्कूलों लारा संचालित वाहनों के ड्रायवर कंडक्टरों की सूची अब तक जिला निर्वाचन आयोग को नहीं भेजी गई है। उपजिला निर्वाचन अधिकारी अक्षय सिंह भी इस स्थिति से खासे परेशान है।
नहीं है नियंत्रण - सूत्र बताते हैं कि सूची न भेज पाने का कारण आरटीओ का वाहनों व स्कूलों में संचालकों पर नियंत्रण न होना है। यदि यह नियंत्रण होता तो ड्रायवर- कंडक्टरों की सूची, ईपिक नंबरों सहित निर्वाचन आयोग तक पहुंच जाती।
अन्य विभागों के कमर्चारी जुटे फार्म -12 भरने में - ड्रायवर-कंडक्टरों की सूची को छोड़कर अन्य विभागों के कमर्चारियों की सूची निर्वाचन कार्यालय पहुंच चुकी है। उन सभी कमर्चारियों ने फार्म 12 भरकर देने का काम भी शुरू कर दिया है। यहीं नहीं अन्य तैयारियां भी लगभग पूर्ण हो चुकी है।
बोले अधिकारी - आरटीओ को कई बार ड्रायवर कंडक्टरों की सूची उपलब्ध कराने के लिए अवगत कराया। हालात यह है कि अभी तक यह सूची जिला निर्वाचन आयोग नहीं पहुंच सकी है।
अक्षय सिंह, उपजिला निर्वाचन अधिकारी भोपाल
100 ड्रायवर-कंडक्टरों के नाम आए - जिला निर्वाचन आयोग ने चुनाव में लगने वाले ड्रायवर-कंडक्टरों को मतदान करने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी। निजी स्कूलों में जाकर भी बसों को चलाने वाले ड्रायवर-कंडक्टरों को मतदान की प्रक्रिया से अवगत कराया। आरटीओ को वाहनों के अधिगृहण व ड्रायवर- कंडक्टरों की सूची आदि समस्त जि मेदारियों के लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया था। हालात यह है कि सरकारी ड्रायवरों की सूची को छोड़कर अन्य निजी वाहनों व स्कूलों लारा संचालित वाहनों के ड्रायवर कंडक्टरों की सूची अब तक जिला निर्वाचन आयोग को नहीं भेजी गई है। उपजिला निर्वाचन अधिकारी अक्षय सिंह भी इस स्थिति से खासे परेशान है।
नहीं है नियंत्रण - सूत्र बताते हैं कि सूची न भेज पाने का कारण आरटीओ का वाहनों व स्कूलों में संचालकों पर नियंत्रण न होना है। यदि यह नियंत्रण होता तो ड्रायवर- कंडक्टरों की सूची, ईपिक नंबरों सहित निर्वाचन आयोग तक पहुंच जाती।
अन्य विभागों के कमर्चारी जुटे फार्म -12 भरने में - ड्रायवर-कंडक्टरों की सूची को छोड़कर अन्य विभागों के कमर्चारियों की सूची निर्वाचन कार्यालय पहुंच चुकी है। उन सभी कमर्चारियों ने फार्म 12 भरकर देने का काम भी शुरू कर दिया है। यहीं नहीं अन्य तैयारियां भी लगभग पूर्ण हो चुकी है।
बोले अधिकारी - आरटीओ को कई बार ड्रायवर कंडक्टरों की सूची उपलब्ध कराने के लिए अवगत कराया। हालात यह है कि अभी तक यह सूची जिला निर्वाचन आयोग नहीं पहुंच सकी है।
अक्षय सिंह, उपजिला निर्वाचन अधिकारी भोपाल
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