बुधवार, 30 अक्टूबर 2013

भृत्य बना सहायक राज्य संगठन आयुक्त

-जुगाड़ से हुआ काम, मामला मप्र भारत स्काउट एवं गाइड का 
भोपाल। 
जुगाड़ और पकड़ हो तो सब संभव वर्ना सब व्यर्थ। भारत स्काउट एवं गाइड मप्र में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने मिल रहा है। यहां एक भृत्य की जुगाड़ से वह सहायक राज्य संगठन आयुक्त बन बैठा। इतना ही नहीं इन्होंने कई अनियमितताएं भी की हैं। 
यह आरोप भारत स्काउट एवं गाइउ के कर्मचारी डीएल शर्मा और राम नरेश तिवारी ने लगाए हैं। इनका कहना है, वर्तमान एएसओसी डीपी मिश्रा जोकि वर्ष 1982 में भृत्य के पद पर नियुक्त हुए थे। वह पूर्व राज्य मुख्य आयुक्त की कृपा पात्रता के चलते सहायक राज्य संगठन आयुक्त बन गए। इनकी नियुक्ति और पदोन्नति दोनों ही गलत तरीके से हुई है। इसके अलावा इन्होंने अपने रिश्तेदारों को संस्था में नौकरी दिलाई। श्री तिवारी के अनुसार डीपी मिश्रा एएसओसी जबलपुर के कायर्काल के दौरान जिला संघ का खाता जो जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर को संचालित करना था, वह स्वयं के हस्ताक्षर से संचालित किया, जिसमें इन्होंने कई लाख रुपए की राशि की हेराफेरी की थी। इसकी शिकायत कटनी के विधायक गिरराज पोद्दार से प्राप्त होने पर राज्य सचिव ने जांच दल भेजकर जांच कराई। जिसमें डीपी मिश्रा लारा की गई अनेकों वित्तीय अनियमितताएं एवं राशि का गबन होना प्रमाणित पाया गया। जिसके बाद मप्र के राज्य मु यालय लारा 15 अक्टूबर को पत्र क्र 4530-31 के जारिये अनिवार्य सेवा निवृत्त का नोटिस दिया गया। श्री शर्मा ने बताया कि कमीशन कमाने के चलते एएसओसी डीपी मिश्रा ने स्वयं अपने प्रभाव से एसओसी (स्काउट) का प्रभार प्राप्त कर लिया एवं मूल पद पर पदस्थ प्रकाश दिसौरिया को वंचित रखा है। डीपी मिश्रा सेवाकाल से जहां पर भी जिला संगठन आयुक्त अथवा सहायक राज्य संगठन आयुक्त पद पर पदस्थ रहे उसी स्थान पर वित्तीय रिकार्ड गायब करवाते हैं। राज्य मुख्य आयुक्त जितेंद्र सिंह बुंदेला भी इसे उजागर कर चुके हैं। भारत स्काउड एवं गाइड राज्य सचिव जीआर शर्मा कहते हैं, डीपी मिश्रा पर कई गंभीर आरोप हैं। यह सच है उनकी नियुक्ति और पदोन्नति दोनो की गलत तरीके से की गई है। इस प्रकारण में कार्यवाही करते हुए उन्हें सेवा निवृत्त का नोटिस भेजा दिया गया है। 

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