भानपुर कचरा खंती में किसी भी हालत में आग नहीं लगने देने और खंती को शिफ्ट करने के लिए कायर्योजना बनाकर पेश करने के हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नगर निगम भोपाल ने तीन साल बाद भी नहीं किया है। लगातार हाईकोर्ट के आदेशों की अवज्ञा करते हुए नगर निगम प्रशासन की शह पर खंती में कमर्चारी ही आग लगा देते हैं।
यह खुलासा करते हुए भानपुर कचरा खंती हटाओ अभियान समिति के अध्यक्ष अशफाक अहमद और उपाध्यक्ष तुलसीराम गौर ने बताया कि, एक जनहित याचिका 152/2009 पर 15 मार्च,2009 को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने आयुक्त नगर निगम, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, चेयरमैन प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं कलेक्टर भोपाल को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि, किसी भी हालत में कचरा खंती में आग नहीं लगने दी जाए। कोर्ट ने कहा था कि, ऐसे इंतजाम किए जाए कि खंती में आग नहीं लगे और प्रदूषण नहीं फैले। इसके साथ ही कोर्ट ने यह निर्देश भी दिए थे कि कचरा खंती को मानवीय आबादी के बाहर शिफ्ट करने के लिए समयबद्ध कायर्योजना बनाकर क्रियान्वयन किया जाए। इसके बाद भी नगर निगम कमिश्नर ने आज तक हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया है। बल्कि उलटे कचरा खंती में नगर निगम कमर्चारी ही आग लगा रहे हैं। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि बीते महीनेभर से खंती की आग नहीं बुझी हैं और धुआं आस पास की बस्तियों में फैल रहा है। इसके साथ ही नगर निगम प्रशासन ने खंती शिफ्टिंग की योजना पर भी अमल नहीं किया है, बल्कि डिस्पोजल प्लांट की कवायद में जुट गया है। नगर निगम प्रशासन जानबूझकर इस तथ्य को छुपा रहा हैकि, डिस्पोजल प्लांट के लिए रोज फ्रेश वेस्ट चाहिए होगा। यानि प्लांट लगने पर खंती को शिफ्ट किया जाना संभव ही नहीं होगा। दूसरी ओर, शासन लारा शिफ्टिंग के लिए एक करोड रुपए नगर निगम को दिए जाने के बाद भी सालभर बीतने के बाद भी शिफ्टिंग की दिशा में कुछ भी नहीं किया गया है।
जहरीले धुएं से छा गया अंधेरा
भानपुर कचरा खंती में लगी आग के बाद मंगलवार शाम को यह आलम हो गया कि करोद से लेकर माहोली गांव तक अंधेरा छा गया। शाम के बाद स्ट्रीट लाइट भी टिमटिमा रही थी। सड़क से गुजरने वाले वाले गाड़ियों की रफ्तार धीमी करके धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। आस पास की बस्तियां नजर नहीं आ रही थी। रहवासियों को खांसते-खांसते बुरा हाल था और आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। इस बारे में अपर आयुक्त नगर निगम संजय कुमार को फोन करके जानकारी देने पर उन्होने माना कि, खंती में लगातार कई दिनों से आग लगी है और जहरीला धुआं आस पास की बस्तियों में फैल रहा है। कुमार ने कहा कि, आग बुझाने के लिए दिखवाएंगे की क्या किया जा सकता है।
यह खुलासा करते हुए भानपुर कचरा खंती हटाओ अभियान समिति के अध्यक्ष अशफाक अहमद और उपाध्यक्ष तुलसीराम गौर ने बताया कि, एक जनहित याचिका 152/2009 पर 15 मार्च,2009 को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने आयुक्त नगर निगम, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, चेयरमैन प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं कलेक्टर भोपाल को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि, किसी भी हालत में कचरा खंती में आग नहीं लगने दी जाए। कोर्ट ने कहा था कि, ऐसे इंतजाम किए जाए कि खंती में आग नहीं लगे और प्रदूषण नहीं फैले। इसके साथ ही कोर्ट ने यह निर्देश भी दिए थे कि कचरा खंती को मानवीय आबादी के बाहर शिफ्ट करने के लिए समयबद्ध कायर्योजना बनाकर क्रियान्वयन किया जाए। इसके बाद भी नगर निगम कमिश्नर ने आज तक हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया है। बल्कि उलटे कचरा खंती में नगर निगम कमर्चारी ही आग लगा रहे हैं। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि बीते महीनेभर से खंती की आग नहीं बुझी हैं और धुआं आस पास की बस्तियों में फैल रहा है। इसके साथ ही नगर निगम प्रशासन ने खंती शिफ्टिंग की योजना पर भी अमल नहीं किया है, बल्कि डिस्पोजल प्लांट की कवायद में जुट गया है। नगर निगम प्रशासन जानबूझकर इस तथ्य को छुपा रहा हैकि, डिस्पोजल प्लांट के लिए रोज फ्रेश वेस्ट चाहिए होगा। यानि प्लांट लगने पर खंती को शिफ्ट किया जाना संभव ही नहीं होगा। दूसरी ओर, शासन लारा शिफ्टिंग के लिए एक करोड रुपए नगर निगम को दिए जाने के बाद भी सालभर बीतने के बाद भी शिफ्टिंग की दिशा में कुछ भी नहीं किया गया है।
जहरीले धुएं से छा गया अंधेरा
भानपुर कचरा खंती में लगी आग के बाद मंगलवार शाम को यह आलम हो गया कि करोद से लेकर माहोली गांव तक अंधेरा छा गया। शाम के बाद स्ट्रीट लाइट भी टिमटिमा रही थी। सड़क से गुजरने वाले वाले गाड़ियों की रफ्तार धीमी करके धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। आस पास की बस्तियां नजर नहीं आ रही थी। रहवासियों को खांसते-खांसते बुरा हाल था और आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। इस बारे में अपर आयुक्त नगर निगम संजय कुमार को फोन करके जानकारी देने पर उन्होने माना कि, खंती में लगातार कई दिनों से आग लगी है और जहरीला धुआं आस पास की बस्तियों में फैल रहा है। कुमार ने कहा कि, आग बुझाने के लिए दिखवाएंगे की क्या किया जा सकता है।
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