-161 तीर्थ-यात्रियों पहला जत्था पहुंचा राजधानी
-साधना व मंत्री नरोत्तम ने की अगवानी, विमानतल पर हुआ आत्मीय स्वागत
भोपाल।
प्रदेश की राजधानी पर कद रख अपनों को सामने देखते तीर्थ यात्रियों की आंख से आंसू छलक उठे। उत्तराखंड त्रासदी में फंसे तीर्थयात्रियों के लिए सोमवार का दिन खुशी लेकर आया। यह सभी सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार के विशेष बोइंग विमान से भोपाल आए। इनकी आगवानी मुख्यमंत्री धर्मपत्नी साधना सिंह और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की।
राजाभोज विमानतल पर इन्होंने तीर्थ यात्रियों का पुष्पहारों से स्वागत किया। हवाई अड्डे से बाहर निकलते यात्रियों के खिले चेहरे और फैली मुस्कान इस बात की गवाही दे रही थी कि उनको अब इस बात का आभास हो चुका है कि वे उत्तराखंड में आई त्रासदी से बाहर निकल चुके है और अब उनके परिवारजनों से मिलने का समय है।
-राहत शिविरों में रखा अच्छा याल
प्राकृतिक विभीषिका और अनेक कठिनाइयों को झेलकर प्रदेश वापस आए यात्रियों ने हरिद्वार में प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में मिली सहायता की जमकर सराहना की। यात्रियों ने बताया कि भोजन, पानी से लेकर दवा आदि मुहैया करवाकर सभी तरह से यात्रियों का याल रखा गया। यात्रियों ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य शासन द्वारा उपलब्ध सहायता से ही वे सकुशल वापिस आ पाए है।
डाक्टरों ने की जांच
विमान से उतरते ही ही गांधी मेडिकल कॉलेज के चार डॉक्टरों की टीम ने डीन डॉ.निर्भय श्रीवास्तव के नेतृत्व में तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की जांच की। गौरतलब है कि भोपाल से विमान द्वारा हरिद्वार स्थित के प में तीन चिकित्सक और भेजे जा रहे हैं।
बसों-टैक्सियों से पहुंचगें गंतव्य स्थान तक
भोपाल पहुंचे तीर्थ-यात्रियों में जबलपुर के यात्रियों को 2 बस द्वारा जबलपुर रवाना किया गया। इसके साथ ही सीहोर, सागर, शाजापुर, रतलाम, इंदौर, दतिया, हरदा, खरगोन और उज्जैन के यात्रियों को बसों व टैक्सियों से उनके घरों के लिये रवाना किया गया है। जिन बसों के यात्रियों को रवाना किया गया है, उनमें ड्राइवर के साथ एक कन्डक्टर, राजस्व विभाग का एक निरीक्षक या पटवारी और पुलिस का एक जवान भी रवाना किया गया। यात्रियों के भोजन-पानी की व्यवस्था भी बसों में ही की गई है। यात्री सुरक्षित ढंग से अपने घर पहुंच जाएं, इस संबंध में संबंधित जिले के कलेक्टरों को भी सूचित कर दिया गया है।
सेना की प्रशंसा,उत्तराखंड सरकार की निंदा
वापस लौटे तीर्थयात्रियों एक ओर जहां भारतीय सेना की जमकर तारीफ की वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार को कोसा भी। रतलाम के अनिल पंड्या ने बताया कि सेना न होती तो शायद त्रासदी का रूप और भयंकर होता। उनका कहना था कि सेना ने न केवल फंसे तीर्थयात्रियों को उत्तरा ंाड से उनके गृहराज्यों में वापस भेजने की व्यवस्था की बल्कि उत्तरा ंाड के ढह गई सड़कों और रास्तों को तेजी से सुधारने में भी महती भूमिका निभा रही है। वहीं उत्तरा ंाड सरकार की चर्चा करने पर उनका कहना था कि इस त्रासदी से निपटने में राज्य सरकार बिलकुल ही फेल साबित हुई।
मु यमंत्री ने फोन से जाना हालचाल
मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नसरूल्लागंज सीहोर के मंडी डायरेक्टर शिवनारायण मीणा, रतलाम की कक्षा 12वीं की छात्रा हिमॉगनी शर्मा, रतलाम के ही काशी विश्वनाथ शिव मंदिर के पं. ललित शर्मा से विमानतल पर मोबाइल पर बातचीत कर उनके हाल जाने। यात्रियों ने मु यमंत्री से बातचीत के दौरान मध्यप्रदेश सरकार द्वारा देहरादून और हरिद्वार में किए जा रहे राहत कार्यों की सराहना की।
इनकी हुई वापसी
सीहोर-22
जबलपुर-73
सागर-12
शाजापुर-7
इंदौर-1
रतलाम-38
शाजापुर-7
दतिया-1
उज्जैन-2
हरदा-3
खरगौन-2
इनका कहना
जब तक प्रदेश के सभी तीर्थ-यात्रियों को सकुशल घर नहीं भेज दिया जाता, तब तक उत्तराखण्ड में बने हेल्प सेंटर कार्य करते रहेंगे और विशेष विमान तथा बसों से यात्रियों को भेजा जाता रहेगा।
नरोत्तम मिश्रा, प्रवक्ता व संसदीय कार्यमंत्री
मप्र.
ौंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात कर उत्तरा ंाड त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को कहा है। रक्षा मंत्री से भी बात हुई है। जरूरत पडऩे पर उन्होंने सेना को और वि ाान व हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। जहां तक प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे राहत कार्यों की बात है तो शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सराहनीय काम किया गया है।
अनंत कुमार,प्रदेश प्रभारी
भाजपा
सिर पर मंडराई मौत
उत्तराखंड हमारे लिए अब एक डरावनी जगह बन चुका है। वहां गए तो खुशी-खुशी थे, लेकिन जब लौटे, तो जलजले का वो भयानक मंजर याद करके शरीर थरथरा पड़ता है।
चारों ओर बाढ़ का प्रकोप, फिसलन और गहरी खाइयों के बीच इधर-उधर पड़ीं लाशें। तीर्थ दर्शन के दौरान ऐसा भयानक मंजर देखने को मिलेगा, सपने में भी नहीं सोचा था। घंटों भूखे रहे, प्यासे रहे, निढाल पड़े रहे, लेकिन कहते हैं कि जाको राखे साइयां मार सके न कोई! यह कहना है गनेश प्रसाद जाट का। बातचीत में गनेश ने बताया कि जाट समुदाय के 71 लोग एक साथ केदारनाथ गए थे। 15 जून की वह भयावह रात हम जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। उस रात हमें यमनोत्री में अंधेरे में सड़क के किनारे बैठना पड़ा। क्योंकि जिस धर्मशाला में हम ठहरे हुए थे। वह सांझ होते ही खाली करा ली गई थी। हम उससे बाहर निकले थे कि उसका आधा हिस्सा भरभरा कर ढह गया। उसी दौरान हमारी नजरें पहाडिय़ों पर पड़ीं, वहां पानी के साथ बड़े-बड़े पत्थर सड़क की ओर आते दिखे तो ऐसा लगा, मानो हम काल के सामने खड़े हैं। इस हादसे के दो दिन बाद तक हमारा घर के किसी सदस्य से फोन पर संपर्क नहीं हो सका। यमनोत्री से वापस लौटने के बाद हम खरारी गांव में जिस होटल में रुके थे। वहां केदारनाथ, गौरी कुंड और अन्य स्थानों पर हुई तबाही की चर्चा सुन कर रोंगटे खड़े हो जाते थे। कटी-फटी सड़कों और पहाड़ों को पैदल ही पार करते हुए हम रामबाड़ा से गौरीकुंड,सोनप्रयाग होते हुए देहरादून पहुंचे। हमारे समुदाय के अभी भी 3 लोग लापता है।
कांगेस विधायक दल द्वारा 6.67 लाख की मदद
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल अपने सभी विधायको के एक माह का वेतन 6 लाख 67 हजार रूपये उत्तराखंड के आपदा पीडि़तों की सहायतार्थ भेजेगा। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सभी विधायको को जून माह का वेतन देने के लिए पत्र लिखा है। यह राशि एकत्रित कर शीघ्र ही भेजी जाएगी।
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